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भारत में बुलेट ट्रेन (Bullet Train) चलने का सपना जल्द साकार होने वाला है. देश का पहला हाई-स्पीड ट्रेन प्रोजेक्ट मुंबई-अहमदाबाद (Mumbai-Ahmedabad) के बीच बन रहा है. इस प्रोजेक्ट का पहला हिस्सा 2026 में शुरू होने की संभावना है. इस पर जापान की शिनकानसेन ई-5 सीरीज की बुलेट ट्रेन चलेगी, जिसकी नोज (ट्रेन का अगला हिस्सा) 15 मीटर लंबी होती है. यही नोज बुलेट ट्रेन की खासियत है. 320 किमी प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली इन ट्रेनों का सफर सबसे सुरक्षित माना जाता है. बुलेट ट्रेन आधुनिक इंजीनियरिंग की वो देन है, जिस पर हर जापानी को गर्व है. लेकिन एक समय ऐसा भी था जब माना जा रहा था कि कहीं इनको बंद ना करना पड़ जाए. लेकिन एक पक्षी किंग फिशर ने इनको नया जीवन दिया.
515 किलोमीटर लंबी टोकेडो-शिंकानसेन दुनिया की सबसे व्यस्त हाई-स्पीड रेल लाइन है, जिसके 1964 में (टोक्यो ओलंपिक के लिए) उद्घाटन से लेकर 2010 तक 4.9 बिलियन यात्रियों ने यात्रा की है. जापान में ज्यादातर लोग ट्रेन से यात्रा करते हैं. एक अनुमान के अनुसार प्रति दिन 64 मिलियन लोग यहां ट्रेनों में चलते है. यह दुनिया में किसी और देश की तुलना में सर्वाधिक संख्या है.
करती थी बहुत शोर
शुरुआत में इन ट्रेनों के डिजाइन में दिक्कत थी. जब ट्रेन टनल से बाहर निकलती थी तो इतनी ज्यादा आवाज करती थी कि लोगों के लिए इसे बर्दाश्त करना मुश्किल होता था. जहां से यह ट्रेन गुजरती थी उसके करीब रहने वालों लोगों के लिए भी इसका शोर सहन करना आसान नहीं था. जल्द ही इतना शोर होने की वजह खोज निकाली गई. जब ट्रेन टनल से बाहर निकलती है तो बंद जगह के कारण वह हवा को आगे धक्का देती है. इससे हवा का दबाव बनता है. ट्रेन टनल से इस तरह बाहर निकलती है जैसे बंदूक से गोली. इसकी वजह से 70 डेसीबल से ज्यादा का शोर पैदा होता है और वह सभी दिशाओं में 400 मीटर की दूरी तक रहने वालों लोगों को प्रभावित करता है.
किंगफिशर से मिली प्रेरणा
शोर की वजह तो मिल गई थी, लेकिन अब दिक्कत यह थी कि इसका क्या हल निकाला जाए. इंजीनियरों के सामने ट्रेन के आकार को फिर से डिजाइन करने की चुनौती थी ताकि शोर को कम किया जा सके. जापानी रेलवे के तकनीकी विकास विभाग के महाप्रबंधक और इंजीनियर आइजी नाकात्सु को प्रकृति में उत्तर खोजने के लिए प्रेरित किया. नाकात्सु को अपने पक्षी-दर्शन के अनुभवों से किंगफिशर की याद आई. किंगफिशर एक ऐसा पक्षी जो पानी में अपना शिकार करने के लिए इतनी तेज गति से गोता लगाता है कि बमुश्किल एक छींटा बाहर गिरता है. उन्होंने अनुमान लगाया कि इसकी चोंच का आकार ही पक्षी को पानी में इतनी सफाई से काटने की अनुमति देता है. इसकी चोंच का डिजाइन जापानी इंजीनियरों के लिए वरदान साबित हुआ. इसकी चोंच आगे से संकरी और पीछे की तरफ चौड़ी होती है.
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प्रयास सफल रहा
जापानी इंजीनियरों का यह प्रयास कामयाब रहा. आइजी नाकात्सु ने बुलेट ट्रेन के अगले हिस्से को किंगफिशर की चोंच की तरह डिजाइन किया. इससे ना केवल शोर कम करने में सफलता मिली, बल्कि ट्रेन में ईंधन की खपत भी कम हो गई. डिजाइन बदलने के बाद ट्रेन अब 320 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से चल सकती थी और सरकार द्वारा निर्धारित कड़े शोर मानकों को भी पूरा करने में सफल रही. इसके बाद नाकात्सु को विश्वास हो गया कि प्रकृति के पास सिखाने के लिए बहुत कुछ है.
24 बुलेट ट्रेन के लिए टेंडर
भारत में पहली बुलेट ट्रेन परियोजना पर काम करने वाली एजेंसी NHSRCL ने लगभग 11,000 करोड़ रुपये की लागत से 24 5 सीरीज शिंकानसेन ट्रेनसेट की खरीद के लिए पिछले साल टेंडर निकाला था. NHSRCL ने खरीद के लिए प्रस्ताव आमंत्रण (आईएफपी) जारी किया. इसके तहत इच्छुक कंपनियों को अक्टूबर 2013 के अंत तक अपनी बोलियां जमा करनी थीं. प्रत्येक शिंकानसेन ट्रेन सेट में 10 कोच होंगे, जिसमें 690 यात्री बैठ सकेंगे. बता दें कि देश के इस महत्वाकांक्षी बुलेट ट्रेन प्रोजेक्ट की लागत 1.16 लाख करोड़ रुपये होने की संभावना है. उम्मीद है कि 2026 तक दक्षिण गुजरात में सूरत और बिलिमोरा के बीच पहले चरण में बुलेट ट्रेन का संचालन शुरू हो सकता है. इस प्रोजेक्ट की शुरुआत सितंबर 2017 में हुई थी.
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Tags: Bullet train, Bullet Train Project, Mumbai-Ahmedabad bullet train, Mumbai-Ahmedabad bullet train project
FIRST PUBLISHED : April 8, 2024, 10:57 IST
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