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Iranian President vs Supreme Leader : ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई की इन दिनों काफी चर्चा हो रही है, क्योंकि ईरान-इजरायल युद्ध के बाद ये दोनों नेता काफी खबरों में हैं. इन दोनों नेताओं में सबसे बड़ा कौन है, किसके पास ज्यादा अधिकार हैं, इस विषय पर भी एक बहस चल रही है. अगर ईरान सरकार के स्ट्रक्चर को देखें तो सबसे ज्यादा शक्ति सुप्रीम लीडर के पास हैं. ईरान में सुप्रीम लीडर सबसे ऊपर रहता है. उनके बाद राष्ट्रपति, न्यायपालिका, संसद, गार्जियन काउंसिल और आर्म्स फोर्स को रखा गया है.
सुप्रीम लीडर और राष्ट्रपति की ये हैं अधिकार
अगर ईरान में सबसे ताकतवर व्यक्ति की बात की जाए तो वह सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, वह 1989 से अब तक देश के सर्वोच्च नेता हैं. वह स्टेट हेड और कमांडर-इन-चीफ हैं. उनके पास राष्ट्रीय पुलिस और मोरिलिटी पुलिस को आदेश देने के अधिकार हैं. सुप्रीम लीडर इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स को नियंत्रित करता है. न्यायपालिका के प्रमुख को भी वही चुनते हैं.
सुप्रीम लीडर के बाद राष्ट्रपति ईरान के शीर्ष अधिकारी और दूसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं. इब्राहिम रईसी रोजमर्रा के कामकाज के लिए जिम्मेदार हैं. सुरक्षा मामलों में राष्ट्रपति की शक्तियां सीमित हैं. राष्ट्रपति का आंतरिक मंत्रालय राष्ट्रीय पुलिस बल चलाता है, लेकिन इसके कमांडर की नियुक्ति सुप्रीम लीडर करता है. सुप्रीम लीडर की बात को राष्ट्रपति को मानना पड़ता है.
संसद में 290 सदस्यों का होता है चुनाव
हर 4 साल में ईरानी संसद के 290 सदस्य चुने जाते हैं. संसद कानून का मसौदा तैयार कर देश के बजट को मंजूरी देती है. हालांकि, संसद पर गार्जियन काउंसिल का नियंत्रण है, जो प्रभावशाली बॉडी है. ये शरिया या इस्लामी कानून की नजर से सभी कानूनों की जांच करता है और कानून रद्द कर सकता है. काउंसिल के आधे सदस्य सुप्रीम लीडर ही नियुक्त करता है. सुप्रीम लीडर ही न्यायपालिका के प्रमुख की नियुक्ति करता है.
पुलिस और इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स
मोरालिटी पुलिस राष्ट्रीय पुलिस का हिस्सा है. इसकी स्थापना 2005 में की गई थी. आईआरजीसी आंतरिक सुरक्षा बनाए रखने के लिए ईरान का मुख्य संगठन है, इसकी स्थापना इस्लामी व्यवस्था की रक्षा के लिए की गई थी. इसकी अपनी थल सेना, नौसेना और वायु सेना है. यही ईरान के हथियारों की देखरेख करती है. इसकी एक विदेशी शाखा भी है, जिसे कुद्स फोर्स कहा जाता है. ये पूरे मध्य पूर्व में धन, हथियार और टेक्नॉलोजी का प्रशिक्षण देती है. आईआरजीसी ही बासिज रेजिस्टेंस फोर्स को भी नियंत्रित करता है. बासिज प्रतिरोध बल का गठन 1979 में स्वयंसेवी अर्धसैनिक संगठन के रूप में किया गया था. ये फोर्स 2009 में राष्ट्रपति चुनाव के बाद से सरकार विरोधी प्रदर्शनों को दबाने में बड़े पैमाने पर शामिल रही
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