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Haryana Politics: हरियाणा में भाजपा से गठबंधन टूटने और सरकार से हटने के बाद पूर्व उप मुख्यमंत्री दुष्यंत चौटाला को लगातार एक पर एक झटका लग रहा है। उनकी पार्टी जननायक जनता पार्टी (JJP) में जहां इस्तीफों का दौर चल रहा है, वहीं अब खुद दुष्यंत चौटाला को नाराज किसानों यानी जाटों का गुस्सा झेलना पड़ रहा है। पिछले हफ्ते 5 अप्रैल को जब दुष्यंत चौटाला हिसार पहुंचे तो उन्हें नाराज किसानों का गुस्सा झेलना पड़ा।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, हिसार में उस दिन नाराज लोगों ने उन्हें जबरन गाड़ी से उतार दिया और पैदल चलने को मजबूर कर दिया। तभी दुष्यंत चौटाला की मां और डबवाली से विधायक नैना चौटाला को बीच में दखल देनी पड़ी। नैना चौटाला ने अपने बेटे की तरफ से नाराज किसानों और स्थानीय लोगों से माफी मांगी और कहा कि भाजपा के गलत कामों के लिए उनके बेटे को दंडित नहीं किया जाय। बाद में नैना चौटाला ने कहा कि प्रदर्शनकारी किसानों को दुष्यंत के विरोधियों ने उकसाया था।
दुष्यंत को किसानों के गुस्सा का शिकार तब होना पड़ा, जब वह लोकसभा का चुनाव प्रचार करने नाड़ा गांव पहुंचे थे। तभी किसान सड़क के बीचो-बीच खड़े हो गए और उनके खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसके बाद किसानों ने दुष्यंत की गाड़ी आगे बढ़ने से रोक दिया और कहा कि जाना है तो आगे पैदल चलकर जाएं।
दुष्यंत चौटाला इन दिनों पार्टी के अंदर से लेकर सड़क तक संघर्ष कर रहे हैं। मंगलवार को ही उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष और पार्टी संस्थापकों में शामिल रहे शुमार निशान सिंह ने भी पार्टी छोड़ दी है। समझा जा रहा है कि वह कांग्रेस में शामिल हो सकते हैं। पिछले दिनों हिसार के बरवाला से जजपा विधायक जोगी राम सिहाग ने पार्टी के सभी पदों से इस्तीफा दे दिया था। हालांकि, उन्होंने अभी पार्टी नहीं छोड़ी है। कैथल से पूर्व विधायक सतविंद्र राणा और पार्टी महासचिव कमलेश सैनी ने भी जजपा छोड़ दी है।
इन सियासी संकटों के बीच एक बार फिर से चौटाला परिवार के एकजुट होने की खबरें आ रही हैं। पिछले दिनों जजपा सुप्रीमो और दुष्यंत चौटाला के पिता अजय चौटाला ने एक बयान में कहा था कि अगर ओमप्रकाश चौटाला (पिताजी) कहेंगे तो हम एक हो सकते हैं लेकिन पहल उन्हें ही करनी होगी। उन्होंने कहा था कि अगर पिताजी कल ही बुलाते हैं तो वह तैयार हैं। दूसरी तरफ अजय चौटाला के भाई और इनेलो के महासचिव अभय चौटाला भी ये टीस जाहिर कर चुके हैं कि अगर हम एक होते और बिखराव नहीं होता तो प्रदेश में हमारी सत्ता होती।
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