मिलिन्द कुमार
घोरावल सोनभद्र
शुभ संकल्प क्रिया और – ईश्वर की कृपा इन तीनों वस्तुओं के एकत्रित होने से ही कोई भगवत कार्य प्रारंभ होता है। क्योंकि फिर ईश्वर भी भक्त के कार्यों में स्वयं संलग्न हो जाते हैं।
उक्त बातें घोरावल तहसील के अंतर्गत ओबराडीह ग्राम में हो रही श्री अभिषेकात्मक रुद्रमहायज्ञ के सप्तम दिवस व संगीतमय श्री राम कथा के षष्ठम दिवस भक्तों को अपने प्रवचन सुनाने के दौरान कथा वाचिका बाल व्यास आराधना चतुर्वेदी ने मर्यादा पुरुषोत्तम भगवान श्री राम के आदर्श जीवन के बारे में कहीं। आगे उन्होंने कहा कि यह राम चरित मानस की कथा रामकथा मात्र कथा नहीं है, मात्र वह एक पारंपरिक इतिहास नहीं है बल्कि वह एक मर्यादित आदर्श व संस्कारित सनातन संस्कृति का परिचायक है।
बाल ब्यास आराधना चतुर्वेदी कथा श्रवण करने आए राम भक्त नर नारियों को गोस्वामी तुलसीदास जी महाराज द्वारा रचित श्रीरामचरितमानस का श्रवण करने की प्रेरणा देते हुए तमाम उद्धरण भी प्रस्तुत किए जिससे मानव जीवन कृतार्थ हो सकता है। सनातन संस्कृति की परिचायक राम कथा इस बात की प्रमाण है कि जब रघुवंश की नारी पर विपत्ति पड़ी तब एक मांसाहार करने वाला जीव गिद्ध भी आर्यावर्त की नारी की रक्षा करने के किये अपने प्राण त्याग दिए परन्तु वर्तमान में मनुष्य उस जीव से भी सीख न लेकर घृणित कार्य कर रहा है। इस दौरान उनके साथ संगीत में आर्गन पर सुनील पाठक, नाल पर सर्वेश सिंह और पैड पर राकेश जी संगत कर रहे थे। यज्ञाचार्य पण्डित निरजानंद शास्त्री जी के कुशल नेतृत्व में वैदिक कार्यों को पूर्ण करा रहे पण्डित अनूप पाण्डेय, मनोरथ मिश्र, राजन पाण्डेय, प्रदीप मिश्र इत्यादि समस्त ब्राह्मणों के द्वारा ग्राम ओबराडीह की धरती वेदमन्त्रों से गुंजायमान हो रही है। प्रवचन के समय सैकडों नर नारी जहां उपस्थित रहे वही यज्ञशाला की परिक्रमा करते भी लोग नहीं थक रहे थे।