[ad_1]
सम्मेलन में सभा को संबोधित करते केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान
भारतीय शिक्षण मंडल के युवा आयाम द्वारा एसजीटी विश्वविद्यालय में आयोजित शोधार्थी सम्मेलन ‘विविभा-2024’ के दूसरे दिन युवा शोधार्थियों को सम्बोधित करते हुए केन्द्रीय शिक्षामंत्री धर्मेन्द्र प्रधान ने कहा कि वेदों में लिखा गया है युवा हमारी सृजनशक्ति हैं
.
हार्वर्ड बिजनेस स्कूल में भारत की चर्चा भौतिक उपलब्धि व्यक्ति देश समाज के लिए चिर स्थायी नहीं है। भारतीय ज्ञान परंपरा बहु-आयामी, बहु-रूपीय, बहु-स्तरीय, सर्व-व्यापी, सर्व-स्पर्शी है इसीलिए हम टिके हैं। आज हमारे देश को न केवल भौतिक ऊंचाई तक ले जाने की चुनौती है, बल्कि विश्व गुरू भी बनना है। पीएम नरेंद्र मोदी ने कहा है कि हमें विश्वबंधु की भूमिका निभानी चाहिए। हार्वर्ड बिजनेस स्कूल के लेख में भारत की चर्चा हो रही है, भारत के बारे में रणनीति बनाई जा रही है, ये औद्योगिक क्रांति का सत्य है। भारत सस्ती दवाई नहीं बनाएगा तो विश्व में बीमारियां हो जाएंगी। भारत अगर आईटी प्रोफेशनल तैयार नहीं करेगा तो दुनिया के आर्थिक तंत्र पर सवालिया निशान लग जाएगा। शिक्षा मंत्री ने शिक्षा विभाग की ओर से भारतीय शिक्षण मंडल और युवा आयाम को धन्यवाद दिया।
“हर समस्या का गीता में समाधान” इस अवसर पर गीता मनीषि महामंडलेश्वर परम पूज्य ज्ञानानंद जी महाराज ने विविधा 2024 प्रासंगिक सामयिक और वर्तमान उपयोगिता के साथ आगे बढ़ रहे इस कार्यक्रम की सराहना की। विकसित भारत भविष्य में सिर्फ एक नई ऊंचाई तक ले जाने वाला विषय नहीं है। प्रत्येक समस्या का समाधान गीता के श्लोक “कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन” में निहित है। भविष्य की ऊर्चा चिंता में क्षय करने के स्थान पर वर्तमान के निर्माण पर लगाएं, ऐसा करने पर उज्ज्वल भविष्य आपका स्वागत करेगा। सत्र का शुभारंभ विकास की भारतीय अवधारणा विषय के साथ हुआ।
“शोधार्थी होता है त्यागी” इस सत्र में श्री कैलाशानंद जी महाराज एवं राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के अखिल भारतीय कार्यकारी सदस्य मनमोहन वैद्य जी ने विषय प्रबोधन किया। कैलाशानंद जी महाराज ने इस दौरान कहा कि शोधार्थी सदैव त्यागी होता है और अभ्यास से किसी भी चीज को प्राप्त किया जा सकता है। उन्होंने कहा कि शोधार्थियों को अपने आहार, विहार, विचार और कर्तव्य पर ध्यान देना चाहिए। गीता में भगवान श्री कृष्ण के कथन को उद्धृत करते हुए उन्होंने कहा कि व्यक्ति को सदैव अपने स्वधर्म का पालन करना चाहिए। मनमोहन वैद्य जी ने कहा कि भारत में चहुंओर एक ही संस्कृति है जो विविधता का उत्सव मनाती है। यहां सदियों से आध्यात्मिक लोकतंत्र का अभ्यास होता आ रहा है। हमने सदैव विश्व को दिया है और इसका बेहतरीन उदाहरण कोरोना काल है जब पूरे विश्व को हमने सहयोग प्रदान किया।
कार्यक्रम में 1200 शोधार्थी हुए सम्मिलित भारत को विश्वगुरु की पहचान फिर से दिलाने के लिए विविभा 2024 में भारत के विभिन्न सत्रों की विभूतियों ने विकास की भारतीय अवधारणा पर प्रकाश डाला। 2 सत्र एवं 11 समानांतर सत्रों में भारत को विजन 2047 के लिए तैयार करने पर विषद मंथन किया गया। ज्ञान विज्ञान और तकनीक, पर्यावरण संरक्षण एवं समृद्ध भारत, ग्रामीण विकास एवं स्वरोजगार, महिला सशक्तिकरण और भारत के इतिहास एवं उज्ज्वल भविष्य के प्रति सम्यक दृष्टि पर चर्चा-संवाद में देशभर से आए 1200 शोधार्थी सम्मिलित हुए।
यूजीसी के सचिव बोले- लौटना होगा संस्कृति की ओर रक्षामंत्री के वैज्ञानिक सलाहकार एवं डीआरडीओ के पूर्व अध्यक्ष सतीश रेड्डी ने प्राचीन ज्ञान के क्षेत्र में शोध करने की आवश्यकता पर जोर दिया, उन्होंने कहा कि राष्ट्र की समृद्धि के लिए तकनीकी उन्ननयन की महती आवश्यकता है। एआईसीटीई के चेयरमैन टीजी सीताराम ने भारत को विकसित बनाने के मार्ग में उच्च शिक्षा में ज्यादा से ज्यादा पंजीकरण के लिए शोध की भूमिका को महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने ये भी कहा कि अनुसंधान को ऐसे नवाचारों और उत्पादों में परिवर्तित होना चाहिए जो राष्ट्र को समृद्ध बनाए। UGC के सचिव डॉ. मनीष जोशी ने कहा कि जल, जीवन, जंगल, पहाड़ और मानवीय सभ्यता को बचाने के लिए संस्कृति की ओर लौटना होगा। शोधार्थियों को बिना प्रमाण और साक्ष्यों के किसी भी विषय पर लिखने से बचना चाहिए। शोध की यह नीति प्राचीन काल से भारतीय ज्ञान के मूल में रही है।
नहीं संभले तो सारे जीव हो जाएंगे खत्म पर्यावरण संरक्षण और समृद्ध भारत विषय पर बोलते हुए IIT मुंबई के प्रो. चेतन सोलंकी, इंस्टीट्यूट ऑफ केमिकल टेक्नोलॉजी मुम्बई के कुलपति प्रो. अनिरुद्ध पंडित ने भारत की संस्कृति, धरती और विरासत के संरक्षण में समेकित भूमिका निभाने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि फिलहाल हम सब इस स्थिति में हैं, जब हम इस विषय पर सोच सकते हैं। जीवन बार-बार नहीं मिलता। अब भी नहीं संभले तो फिर परमाणु कचरे से लेकर रासायनिक अपशिष्ट आदि सामग्री समुद्र से लेकर धरती के सारे जीवन का खत्म कर देगी। भारतीय शिक्षण मंडल के अखिल भारतीय महामंत्री प्रो. भरत शरण सिंह ने कहा कि पर्यावरण संरक्षण की जिम्मेदारी मानवीय समाज के कंधों पर है।
भारत में अधिक लोग हो रहे बूढ़े राष्ट्रीय व्यावसायिक शिक्षा एवं प्रशिक्षण परिषद के अध्यक्ष एनएस कल्सी ने कहा कि भारत में ग्रामीण विकास के लिए डिजिटल समावेशन, वित्तीय समावेशन और बेहतर ग्रामीण बुनियादी ढांचे की महती आवश्यकता है। हमें बेहतर ग्रामीण विकास के लिए कृषि उत्पादों के प्रसंस्करण के साथ-साथ कामगारों के लिए हितों के लिए मोबाइल टेक्नोलॉजी के उपयोग पर भी काम करना चाहिए। NIMHANS बैंगलुरू के प्रोफेसर एवं पूर्व अध्यक्ष एम. भास्कर राव ने कहा कि डॉ. वी कुरियन की श्वेत क्रांति ने भारत में महिलाओं की आजीविका पर सकारात्मक प्रभाव डाला है। कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर के डीन प्रोफेसर दामोदर जेना ने चिंता जताते हुए कहा कि भारत में अधिक लोग बूढ़े हो रहे हैं। जिसका असर देश के आर्थिक विकास पर पड़ सकता है। इसलिए हमें विकसित भारत के लिए कृषि व्यवसाय पर अधिक ध्यान केंद्रित करना होगा।
स्कूलों में छात्राओं की संख्या बढ़ी उत्तराखण्ड विधानसभा की पूर्व स्पीकर ऋतु खंडूरी ने कहा कि “बेटी बचा- बेटी पढ़ाओ” कार्यक्रम ने स्कूलों में बच्चियों की संख्या बढ़ाने में महती भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि जब तक आप अंदर से शक्तिशाली महसूस नहीं करते, आप बाहर से सशक्त नहीं हो सकते। परिवारों को अपनी बेटियों को यह विश्वास दिलाने की आवश्यकता है कि वे कुछ भी कर सकती हैं। नारी शक्ति वंदन अधिनियम विधेयक को सराहते हुए उन्होंने कहा कि महिलाओं के लिए आरक्षण एक अधिकार है, कोई सौगात नहीं।
“हरियाणा में भ्रूण हत्या देश में सबसे अधिक”- डॉ. सुनील कलिंगा इंस्टीट्यूट ऑफ इंडस्ट्रियल टेक्नोलॉजी, भुवनेश्वर की प्रति कुलपति प्रोफेसर सस्मिता समंता ने कहा कि दुनिया में लैंगिक असमानता के मुद्दे से बड़ा कोई मुद्दा नहीं है। भारतीय शिक्षा में लड़कियों की भागीदारी सभी स्तरों पर 50% के करीब ही हो पा रही है, जो चिंता का विषय है, इसे और बढ़ाया जाना चाहिए। निर्णय लेने के स्तर पर, महिला दृष्टिकोण की कमी है। द्रोणाचार्य कॉलेज गरुग्राम के राष्ट्रीय महिला कबड्डी कोच पद्मश्री डॉ. सुनील डबास ने कहा कि समाज में महिलाओं का स्थान बेहद महत्वपूर्ण है, इसके बावजूद उन्हें अभी भी गंभीर असमानताओं का सामना करना पड़ रहा है, विशेषकर ग्रामीण इलाकों में। इसलिए 50% महिला आरक्षण आवश्यक है। हरियाणा की महिलाओं ने खेलों में राष्ट्र का नाम वैश्विक पटल पर चमकाया है, फिर भी यहां पर महिला भ्रूण हत्या देश में सबसे ज्यादा है।
छूटे हुए पहलु इतिहास में जोड़ना है- रघुवेंद्र तंवर भारतीय इतिहास अनुसंधान परिषद के अध्यक्ष रघुवेंद्र तंवर ने कहा कि इतिहास लिखना सत्य लिखने जैसा है। हमें इतिहास को दोबारा से नहीं लिखना है, हमें इतिहास के उन पहलुओं को जोड़ना है जो छूट गए हैं। इतिहासकार और गार्गी कॉलेज की पूर्व एसोसिएट प्रोफेसर प्रो मीनाक्षी जैन ने कहा कि भारत का शिक्षा इतिहास बहुत महान रहा है, वेदों से इसका प्रारंभ हुआ। परंतु अंग्रेजों के आने के बाद हुए भारतीय शिक्षा पद्धति के व्यावसायीकरण ने इसे पतन की ओर बढ़ा दिया। दूसरे सत्र में प्रतिभाग करते हुए अभिनेता एवं फिल्म निर्देशक डॉ. चंद्रप्रकाश द्विवेदी ने कहा कि संस्कृति एक विचार है। यह विचार हजारों वर्षों में बना है। हर मंत्रालय में संस्कृति का विभाग होना चाहिए। भारत मनुष्यता की सबसे बड़ी प्रयोगशाला है। आचार्य परंपरा में शिक्षा के बदले शुल्क नहीं लिया जाता है। संस्कृति सोच-विचार की एक परंपरा है। हमें भौतिक, अधोभौतिक और आध्यात्मिक, तीनों स्तर पर सोचना है और अनुसंधान करते रहना है।
प्रकृति में समाहित है विविधता वेद-विज्ञान गुरुकुलम के संस्थापक आचार्य रामचंद्र भट्ट ने कहा कि गुरु इसलिए गुरु नहीं होता कि उसके पास विद्यार्थियों से अधिक जानकारी होती है बल्कि वह गुरु इसलिए है क्योंकि उनके पास भारतीय ज्ञान है और वह छात्रों के उत्थान के लिए प्रयासरत है। इस दौरान डॉ. विश्वजीत ने कहा कि प्रकृति में विविधता समाहित है। इसी तरह एक गुरु को अपने छात्रों के बीच विविधता को समझना चाहिए और प्रत्येक छात्र की आवश्यकताओं को पहचानना और उनका समाधान करना चाहिए।
प्रसिद्ध भागवताचार्य पूज्य श्री संजीव ठाकुर जी महाराज ने गुरुकुल शिक्षा प्रणाली को महत्वपूर्ण बताते हुए कहा कि हमारी गुरुकुल परंपरा मानव के चरित्र का निर्माण करती है। हमारी ज्ञान प्रणाली इतनी महान थी कि अष्टावक्र अपने पिता से प्रश्न किया करते थे और तो और अभिमन्यु ने माँ के गर्भ से ही चक्रव्यूह भेदना सीख लिया था। हमारी ज्ञान परंपरा इतनी समृद्ध थी कि लकड़हारे भी संस्कृत बोला करते थे। भारतीय ज्ञान परम्परा हमें अहम् से वयं की ओर ले जाती है।
शोधार्थी सम्मेलन से मिल रही नई दृष्टि केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. श्रीनिवास वरखेड़ी ने कहा कि नैतिक शिक्षा को एक विशिष्ट विषय के रूप में अलग से नहीं पढ़ाया जाना चाहिए अपितु इसे सभी विषयों में स्वाभाविक रूप से सम्मिलित किया जाना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि शिक्षण सामग्री तो महत्वपूर्ण होती है; परंतु सामग्री का संदर्भ भी बहुत महत्व रखता है। नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम नई दिल्ली के अध्यक्ष प्रो अनिल सहस्त्रबुद्धे ने कहा कि सारे समाज में सार्वभौमिक मानव मूल्यों का प्रसार होना चाहिए। भारतीय शिक्षण मंडल के युवा शोधार्थी सम्मेलन से देश के युवाओं को एक नवीन दृष्टि प्राप्त हो रही है।
पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने किया संबोधित सांसद एवं पूर्व कानून मंत्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि विकसित भारत का खाका खींचना है तो हमें वोट बैंक के दबाव एवं प्रभाव से मुक्त होना होगा। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के कार्यों की प्रशंसा करते हुए उन्होंने कहा कि देश के संतों ने जो बड़े बड़े कार्य किए। संघ उन्हें फैला रहा है, ये ईश्वरीय कार्य है। राष्ट्रवाद को भारत की आवाज होना चाहिए। संघ की विचारधारा की वजह से विश्वविद्यालों में सशक्त प्रतिनिधित्व संभव हो सका है। वामपंथी समेत जितनी विचारधाराएं थीं, उनका आज कोई अता-पता नहीं। रविशंकर प्रसाद ने अपने भाषण के दौरान संविधान की मूल प्रति दिखाई और उसमें दिखाया कि मूल प्रति में प्रभु राम, कृष्ण, बुद्ध, नटराज, रानी लक्ष्मीबाई और महाराणा प्रताप की तस्वीरें थीं। उन्होंने कहा कि यह भारत की सही शुरुआत है, जो संविधान में है उसमें भारतीय संस्कृति और संस्कार होना चाहिए।
अल्पसंख्यकों के नाम पर घोला जा रहा जहर सुप्रीम कोर्ट के वरिष्ठ अधिवक्ता विष्णु शंकर जैन ने कहा कि पहले की सरकारों ने संविधान पर धर्मनिरपेक्षता और समाजवाद थोपा। 25 साल बाद संविधान में 2 शब्द जोड़ दिए गए और इन्हें स्पष्ट नहीं किया गया जो बहुत बड़ा विरोधाभास है। अल्पसंख्यकों के नाम पर देश में जहर घोला जा रहा है; लेकिन देश की नयी भारतीय न्याय संहिता में किए गए बदलावों पर उन्होंने प्रसन्नता जताई। इंडिया फाउंडेशन के निदेशक और विज्ञान एवं कला विश्व संस्थान के फेलो शौर्य डोवल ने कहा कि इस देश को 1000 वर्षों के उपनिवेशीकरण के दौरान लूटा गया, लेकिन इसकी बुद्धिमत्ता के लिए नहीं लूटा गया, धन के लिए लूटा गया। प्रोफेसर विनीता सहाय ने कहा कि संविधान में दिए गए अधिकारों का लाभ उठाने के लिए लोगों का शिक्षित होना आवश्यक है। भारत को स्थिरता और जैविक खेती जैसे विषयों पर पश्चिम से किसी सबक की आवश्यकता नहीं है।
प्रोफेसर राजीव आहूजा ने किया संबोधित प्रोफेसर राजीव आहूजा जी ने अकादमी और उद्योग के बीच सामंजस्य की बात कही। अपने वक्तव्य में उन्होंने बताया कि दोनों पक्षों की तरफ से झूठे वादे नहीं नहीं होने चाहिए। देश को ताइवान की तरह इलेक्ट्रॉनिक चिप बनाने में आत्मनिर्भर बनने की बात पर बल दिया और कहा सबसे महत्वपूर्ण बात है कि देश को अपने युवाओं पर भरोसा करना ही होगा। चिंतन और शोध पर भी बल देना ही होगा।
भारतीय शिक्षण मंडल के युवा आयाम विविभा: 2024 में भारतीय शिक्षा पद्धति में उन्नयन के लिए मंथन एक बौद्धिक विमर्श को दिशा देगा। देश के विभिन्न राज्यों से आए शोधार्थी विषय विशेषज्ञों के साथ मिलकर भारत के ‘विजन-2047’ को साकार करने के लिए हो रहे इस पुण्य यज्ञ में आहूति दे रहे हैं। ज्ञान-विज्ञान और तकनीक के क्षेत्र में नवाचार और शोध को प्रोत्साहित कर विकसित भारत की दिशा में नए आयाम स्थापित करने में विविभा: 2024 सहायक सिद्ध होगा।
[ad_2]
Source link