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हैलो… क्या आप शेयर मार्केट में निवेश करके रोज 5 हजार रुपए का प्रॉफिट कमाना चाहते हैं? यदि हां तो आप हमारी कंपनी डायमंड रिसर्च में इन्वेस्ट कर सकते हैं। हम आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और रिसर्च के माध्यम से सिर्फ उन्हीं शेयरों में इन्वेस्ट करते हैं, जो सबस
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ये स्क्रिप्ट है, मंदसौर जिले के उस कॉल सेंटर के एक्जीक्यूटिव की, जहां एक दिन पहले पुलिस ने 17 लड़कियों सहित 21 लोगों को गिरफ्तार किया है। 17 को जेल भेज दिया गया है। चार पुलिस रिमांड पर हैं।
टीम ने दबिश देकर मौके से 4 लड़कों और 17 लड़कियों को गिरफ्तार किया था।
जिला मुख्यालय से 80 किलोमीटर दूर शामगढ़ के इस कॉल सेंटर से शेयर मार्केट के नाम पर इन्वेस्टमेंट करवाकर ठगी की जा रही थी। टेलीकॉलर को बाकायदा डीमैट अकाउंट वाले लोगों के फोन नंबरों की पूरी सूची दी गई थी। उन्हें इस बात की ट्रेनिंग भी दी गई थी कि वे सामने वाले को कैसे अपने जाल में फंसाएंगे? हर टेलीकॉलर को रोज 30 से 35 कॉल का टारगेट दिया जाता था। जानिए कैसे काम करता था ये कॉल सेंटर और लोगों को कैसे अपने झांसे में फंसाते थे। पढ़िए पूरी रिपोर्ट…
तीन कैटेगरी के बनाए थे ग्राहक
जिन लोगों को ये अपने जाल में फंसाते थे, उन्हें तीन कैटेगरी में बांटा गया था। ये कैटेगरी थीं- सिल्वर, गोल्ड और डायमेंट। ये कैटेगरी इन्वेस्टमेंट के हिसाब से तय की गई थी। सबसे ज्यादा ख्याल डायमंड कैटेगरी के ग्राहकों का रखा जाता था। ग्राहकाें से टेलीकॉलर कहते थे कि वे रिसर्च के आधार पर ग्राहकों का पैसा गारंटीड रिटर्न वाले शेयरों में लगाते हैं।
ट्रेनिंग और हर महीने की तनख्वाह भी दी
नेशनल स्टॉक एक्सचेंज, बांबे स्टॉक एक्सचेंज और हर अहम शेयरों में आ रहे उतार–चढ़ाव की पूरी ट्रेनिंग भी इन एक्जीक्यूटिव को दी जाती थी। इन टेलीकॉलर की तनख्वाह 5 हजार रुपए महीने होती थी। इन्हें दूर के गरोठ और इसके आसपास के गांवों से लाने के लिए बाकायदा टैक्सी की व्यवस्था थी।
पैसे वापस मांगते थे ग्राहक तो सिम बंद कर लेते थे
मोबाइल से लोगों को कॉल कर फर्जी इन्वेस्टमेंट कंपनी के नाम पर पैसे लेते थे। इसके बाद जब वह अपना पैसा वापस मांगते थे तो सिम बंद कर लेते थे। सेंटर पर हर रोज 500 लोगों को कॉल किया जाता था। इनमें से उन्हें 7-8 प्रतिशत लोगों से रिस्पांस मिल जाता था। यानी महीने के हजार- बारह सौ ग्राहक।
आरोपी लोगों को कंपनी के नाम से संचालित एप पर पूरी डिटेल भरवाते थे, लॉगिन कर पासवर्ड देते थे। इसके बाद खुद का बैंक अकाउंट देते थे और उसमें इन्वेस्टमेंट के नाम पर रकम जमा करवाते थे।
एप पर इन्वेस्टमेंट की फर्जी ग्रोथ डिस्पले ठगों ने लोगों का भरोसा जीतने के लिए एल्गो ट्रेडिंग के नाम से एक एप बनाया था, जिसमें उनके इन्वेस्टमेंट का पूरा ग्राेथ चार्ट होता था। इससे लोगों को ये भरोसा होता था कि उन्होंने जितना पैसा इन्वेस्ट किया है, उसमें ग्रोथ हो रही है। ये देखकर इन्वेस्टर्स और ज्यादा इन्वेस्ट करते थे।
कुशल की जानकारी जुटा रही पुलिस
शुक्रवार को उज्जैन सायबर पुलिस ने 21 आरोपियों को इंदौर कोर्ट में पेश किया। इसमें 17 को जेल भेज दिया गया। जबकि 4 आरोपियों को 1 दिन की पुलिस रिमांड पर लिया है। इसके अलावा पुलिस यहां कॉलसेंटर चलाने वाले आरोपी कुशल केवट की जानकारी जुटा रही है। कुशल ने ही इन लड़कियों को नौकरी पर रखा था।
डीआईजी साइबर मो. युसूफ कुरैशी ने बताया कि यहां पर जालसाजों ने शेयर बाजार में निवेश कराने का झांसा देने डायमंड रिसर्च कंपनी बनाई थी। इसमें ये उन्हीं लोगों को टारगेट करते थे, जिनके डीमेट अकाउंट हैं। कॉलसेंटर से डीमेट अकाउंट की सूची भी मिली है।
इसके अलावा फर्जी दस्तावेजों से इशू हुए सिम कार्ड भी मिले हैं। कॉलसेंटर की कर्मचारियों के मोबाइल चैट से कुछ अकाउंट्स की जानकारी मिली है। हमने इस आधार पर उन बैंकों को ईमेल करके वो अकाउंट फ्रीज करा दिए हैं।
अभी इस बात की भी जांच की जा रही है कि इन्हें डीमेट अकाउंट की जानकारी कैसे मिली और इतनी बड़ी संख्या में फर्जी दस्तावेजों से प्राप्त सिम कार्ड कैसे इशू हुए? जब्त मोबाइल की फॉरेंसिक जांच भी कराई जा रही है।
दैनिक भास्कर ने शामगढ़ में कॉलसेंटर बिल्डिंग के मकान मालिक, वहां काम करने वाली लड़कियों के परिजनों व आस-पड़ोस के लोगों से बात करके जाना कि वहां ये फर्जीवाड़ा कब से हो रहा था?
15 हजार रु महीने की बिल्डिंग में बनाया कॉलसेंटर
मकान मालिक फत्तू लाल पाटीदार बताते हैं कि 500 रुपए के एग्रीमेंट और 15 हजार रुपए महीने किराए पर हमने मकान दिया था। हमें ये नहीं मालूम कि यहां क्या होता था? हमें सिर्फ ये बताया गया था कि यहां कोचिंग क्लास लगती है।
गिरफ्तार एक लड़की के पिता बताते हैं कि हमें तो कुशल केवट ने बताया था कि तुम्हारी लड़की को नौकरी पर रख रहे हैं। हमें ये नहीं पता था कि यहां से ठगी का काम होता है।
शामगढ़ में कॉलसेंटर के पास में रहने वाले किशोर कुमार कहते हैं कि यहां से निकलते थे तो आधा शटर खुला रहता था। लगता था बच्चे पढ़ने के लिए आते हैं। पता नहीं था कि यह लोग शेयर मार्केट को लेकर फ्रॉड कर रहे हैं, कार्रवाई हुई तो पता चला।
कॉलसेंटर के पास में रहने वाले निमिचंद गुप्ता बताते हैं कि 10 बजे आते थे शाम 6 बजे सेंटर बंद हो जाता था। लड़कियों की फोन पर बात करने की आवाज आती थी। यह सेंटर लगभग 5 माह से चल रहा था।
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