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नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 19 से 21 नवंबर 2024 तक गुयाना गणराज्य के ऐतिहासिक दौरे पर जा रहे हैं. 1968 के बाद किसी भारतीय प्रधानमंत्री का इस दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना का यह पहला दौरा होगा. यानी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रूप में 56 साल बाद कोई भारतीय पीएम गुयाना जा रहा है. यह यात्रा दोनों देशों के बीच मजबूत और बढ़ते संबंधों को दर्शाती है, जो एक साझा औपनिवेशिक अतीत, सांस्कृतिक विरासत और रणनीतिक हितों से जुड़े हैं. राष्ट्रपति मोहम्मद इरफान अली के निमंत्रण पर यह दौरा गुयाना के साथ भारत के संबंधों को गहरा करने और कैरिबियन समुदाय (CARICOM) के भीतर अपने प्रभाव का विस्तार करने की प्रतिबद्धता को दर्शाता है.
दोनों देशों के बीच संबंध और मजबूत होंगे
इस दौरान पीएम मोदी राष्ट्रपति अली के साथ कई अहम मुद्दों पर बातचीत करेंगे. इनमें ऊर्जा, रक्षा और संस्कृति के क्षेत्र में आपसी सहयोग पर चर्चा होगी. दोनों नेता जॉर्जटाउन में दूसरे भारत-कैरिकॉम शिखर सम्मेलन की सह-अध्यक्षता करेंगे. इस सम्मेलन से आपसी हितों पर चर्चा, आर्थिक भागीदारी तलाशने और भारत और कैरेबियाई देशों के बीच राजनयिक संबंधों को मजबूत करने का मंच मिलेगा. इससे पहले 2023 में भारत में 17वें प्रवासी भारतीय दिवस के दौरान एक उपयोगी बैठक हुई थी. इसी बैठक में राष्ट्रपति अली को प्रवासी भारतीय सम्मान से सम्मानित किया गया था. यह पुरस्कार भारत की ओर से नन रेसिडेंट इंडियंस और भारतीय मूल के लोगों को दिया जाने वाला सर्वोच्च सम्मान है.
पीएम मोदी गुयाना की संसद के नेशनल एसेम्बली को संबोधित करेंगे. यह दर्शाता है कि दोनों देशों के बीच लोकतांत्रिक रिश्ते कितने मजबूत हैं. प्रधानमंत्री मोदी का यह दौरा ऐसे महत्वपूर्ण समय पर हो रहा है, जब भारत अपनी वैश्विक साझेदारियों को और विस्तृत करना चाहता है, खासकर अमेरिका में. पीएम मोदी, राष्ट्रपति अली और ग्रेनेडा के प्रधानमंत्री डिकॉन मिशेल की संयुक्त अध्यक्षता में होने वाले कैरीकॉम-भारत शिखर सम्मेलन में कैरिबियन क्षेत्र के भीतर जलवायु परिवर्तन से निपटने, सतत विकास और आर्थिक सहयोग जैसी रणनीतिक प्राथमिकताओं पर चर्चा होगी.
यह दौरा प्रधानमंत्री मोदी को गुयाना में भारतीय मूल के लोगों से जुड़ने का अवसर भी देगा, जो गुयाना में भारत के प्रभाव और सांस्कृतिक संबंधों की आधारशिला बने हुए हैं. गुयाना में एक बड़े भारतीय समुदाय की उपस्थिति गुयाना के राजनीतिक, आर्थिक और सांस्कृतिक परिदृश्य को आकार देने के साथ-साथ द्विपक्षीय सद्भावना को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती रही है.
रक्षा और सुरक्षा साझेदारी का विस्तार
हाल के सालों में भारत ने क्षेत्रीय सुरक्षा सहयोग को मजबूत बनाने के लिए गुयाना की रक्षा क्षमताओं में महत्वपूर्ण योगदान दिया है. भारत ने गुयाना रक्षा बल को 23.37 मिलियन डॉलर के ऋण के तहत दो डोर्नियर-228 विमान प्रदान किए, जिससे देश की हवाई निगरानी और आपदा प्रतिक्रिया क्षमताओं को बढ़ाया जा सके. यह समर्थन रक्षा में व्यापक सहयोग का हिस्सा है. जैसा कि क्षमता निर्माण और संयुक्त प्रशिक्षण पहल के उद्देश्य से दोनों देशों के सैन्य अधिकारियों के बीच आदान-प्रदान से स्पष्ट है.
भारत का ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम गुयाना के लिए उच्च गुणवत्ता वाले रक्षा उपकरणों तक किफायती पहुंच को और आसान बनाता है. इससे क्षेत्रीय स्थिरता को बढ़ावा देने के साथ ही देश के सुरक्षा बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद मिलेगी. उम्मीद है कि भविष्य में यह साझेदारी और भी बढ़ेगी, क्योंकि दोनों देश रक्षा निर्माण और समुद्री सहयोग को गहराई से बढ़ाना चाहते हैं.
भारत और गुयाना के बीच ऊर्जा और आर्थिक विकास पर रणनीतिक फोकस
भारत और गुयाना के रिश्तों में ऊर्जा एक अहम मुद्दा बनकर उभरा है. खासकर 2015 में गुयाना में तेल के बड़े भंडार मिलने के बाद से. दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा तेल उपभोक्ता भारत, गुयाना को अपने ऊर्जा स्रोतों में विविधता लाने के लिए एक दीर्घकालिक साझेदार के रूप में देखता है. 2021 में इस साझेदारी को और गति मिली जब भारत को गुयाना से तेल की पहली खेप मिली. यह द्विपक्षीय व्यापार और सहयोग के लिए एक आशाजनक रास्ते का प्रतीक है. अक्षय ऊर्जा और जैव ईंधन उत्पादन में अपनी विशेषज्ञता के लिए जानी जाने वाली भारतीय फर्में, गुयाना के सतत ऊर्जा लक्ष्यों का समर्थन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती हैं.
गुयाना इंटीग्रेटेड नेचुरल गैस लिक्विड प्लांट और कंबाइंड साइकिल गैस टर्बाइन पावर प्लांट पर कंसल्टेंसी के लिए इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड और गुयाना के बीच प्रस्तावित साझेदारी, गुयाना के ऊर्जा क्षेत्र में भारत की भागीदारी का एक और उदाहरण है. कंसल्टेंसी सेवाओं के लिए एक समझौते से भविष्य में सहयोग का मार्ग प्रशस्त होने की उम्मीद है. इसमें गुयाना के गन्ने से इथेनॉल उत्पादन भी शामिल है जो भारत के स्थापित इथेनॉल उत्पादन उद्योग के अनुरूप है.
भारत और गुयाना के बीच सांस्कृतिक और ऐतिहासिक संबंध बहुत गहरे हैं. गुयाना में भारतीय मूल के लोगों की एक बड़ी आबादी रहती है, जो दोनों देशों के बीच एक सेतु का काम करती है. कैरिबियाई देश गुयाना में 3,27,000 से अधिक भारतीय मूल के लोग रहते हैं, जो इसे देश का सबसे बड़ा जातीय समूह बनाते हैं. दोनों देश जॉर्जटाउन में भारतीय सांस्कृतिक केंद्र के माध्यम से घनिष्ठ सांस्कृतिक आदान-प्रदान करते हैं, जो भारतीय कला रूपों, नृत्य और भाषा को बढ़ावा देता है.
प्रधानमंत्री मोदी जॉर्जटाउन के प्रोमनेड गार्डन में महात्मा गांधी की प्रतिमा पर श्रद्धांजलि अर्पित करेंगे. यह शांति और अहिंसा के साझा आदर्शों का प्रतीक है. वे इंडियन एराइवल मॉन्यूमेंट भी देखेंगे. यह 1838 में गुयाना में भारतीय गिरमिटिया मजदूरों को लेकर आने वाले पहले जहाज का सम्मान करता है. इस महत्वपूर्ण घटना ने एक लंबे समय तक चलने वाली इंडो-गुयाना विरासत की शुरुआत की थी.
भारत और कैरीकॉम
15 कैरिबियाई देशों के क्षेत्रीय समूह कैरीकॉम के साथ भारत की भागीदारी पश्चिमी गोलार्ध में मजबूत संबंधों को बढ़ावा देने का एक रणनीतिक प्रयास है. भारत-कैरीकॉम शिखर सम्मेलन क्लाइमेट रेजिलेंस यानी जलवायु लचीलापन, डिजास्टर रिस्पॉन्स (आपदा प्रतिक्रिया) और इकोनॉमिक इंटिग्रेशन (आर्थिक एकीकरण) जैसे क्षेत्रों में सामूहिक लक्ष्यों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान करेगा. गुयाना हाल ही में आपदा रोधी बुनियादी ढांचे के लिए गठबंधन (CDRI) में शामिल हुआ है. यह भारत के टिकाऊ विकास और मजबूत बुनियादी ढाँचे पर ध्यान देने के साथ मेल खाता है.
हेल्थकेयर, खेती-बाड़ी, आईटी और इंफ्रास्ट्रक्चर में साझेदारी से भारत और कैरीकॉम देश साझा चुनौतियों का समाधान करने के साथ-साथ आपस में आर्थिक हितों को आगे बढ़ाना चाहते हैं. कैरीकॉम ने भारत के डिजिटल और हेल्थकेयर टेक्नोलॉजी सेक्टर में भी दिलचस्पी दिखाई है, जिससे क्षेत्र में आगे व्यापार के अवसर और विकास परियोजनाएं शुरू हो सकती हैं.
शिक्षा और क्षमता निर्माण की पहल
भारत, गुयाना में शिक्षा और कौशल विकास के लिए प्रतिबद्ध है. ये बात कई छात्रवृत्ति और प्रशिक्षण कार्यक्रमों से साफ होती है. भारतीय तकनीकी और आर्थिक सहयोग कार्यक्रम ने 900 से ज्यादा गुयाना के लोगों को अलग-अलग क्षेत्रों में विशेषज्ञता हासिल करने में मदद की है. इसके अलावा, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) सहित भारतीय विश्वविद्यालयों के ऑनलाइन कार्यक्रमों के तहत गुयाना के छात्रों को हजारों छात्रवृत्तियां दी जाती हैं. ये गुयाना ऑनलाइन एकेडमी ऑफ लर्निंग (GOAL) पहल के तहत दिया जाता है. इससे दोनों देशों के बीच शिक्षा के क्षेत्र में संबंध और मजबूत होते हैं.
भविष्य के लिए नई राह
जिस तरह से भारत और गुयाना के बीच सहयोग के नए रास्ते खुल रहे हैं. ऐसे में प्रधानमंत्री की यह यात्रा दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी की मजबूत नींव रखेगी. इससे दोनों देशों को आर्थिक, सांस्कृतिक और भू-राजनीतिक रूप से फायदा होगा. रक्षा, ऊर्जा और सांस्कृतिक विरासत में साझा हितों के साथ, भारत-गुयाना संबंध नई ऊंचाइयों को छूने के लिए तैयार हैं. यह साझेदारी कैरिबियाई क्षेत्र और उसके बाहर आपसी विकास और सहयोग के भविष्य का वादा करती है.
Tags: PM Modi, Pm narendra modi, Special Project, World news
FIRST PUBLISHED : November 14, 2024, 13:17 IST
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