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गढ़ी बाला गांव में आनन फानन में बनाई गई रिटेनिंग वॉल।
सोनीपत में रिटेनिंग वॉल के निर्माण में हुए भ्रष्टाचार की परतें अब खुलनी शुरू हो गई है। लोक निर्माण विभाग (PWD) के अधिकारी जहां पूरे मामले को विभाग को बदनाम करने की साजिश बताते हुए टूटी हुई दीवार की रिपेअर करने का दावा कर रहे हैं, वहीं गांव के सरपंच प
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विभागीय डॉक्यूमेंट के अनुसार सोनीपत के छतेहरा गांव से कंवाली वाया गढ़ी बाला में रोड के साथ रिटेनिंग वॉल व सड़क की रिपेयरिंग को लेकर दिसंबर 2022 में एक कंस्ट्रक्शन कंपनी को टेंडर दिया गया था। इसमें सड़क के साथ सपोर्टिंग के लिए 400 मीटर की रिटेनिंग वॉल बनाई जानी थी। इसको लेकर लगभग 50 लाख रुपए का बजट बनाया गया था।
21 अक्टूबर को नाबार्ड ने दीवार पर रिपोर्ट मांगी तो इसके दो तीन बाद दीवार बनाने का काम शुरू हो गया।
जून 2023 तक बननी थी रिटेनिंग वॉल, बिना बने पेमेंट हुई
रिटेनिंग वॉल का कार्य नाबार्ड के फंड से होना था। इसके लिए 6 महीने का टाइम दिया गया था। इस लिहाज से इसे जून 2023 में बनकर तैयार कर दिया जाना था। हालांकि वहां पर दीवार बनी ही नहीं लेकिन कागजों में काम पूरा दिखा दिया गया। इसके बाद ठेकेदार को काम के बदले 50 लाख की पेमेंट भी कर दी गई।
दीवार बनती देख सरपंच अचंभित
गांव गढ़ी बाला के सरपंच प्रतिनिधि जयप्रकाश ने बताया उनके गांव में पहले कोई भी रिटेनिंग वॉल नहीं बनाई गई थी। दीपावली वाले दिन वे यहां से गुजर रहे थे, तो इस दौरान बहुत सारी लेबर द्वारा काम किया जा रहा था। जहां एनजीटी के आदेशों का भी सरेआम धज्जियां उड़ाई जा रही थी। जमकर धूल उड़ रही थी। ये एकाएक उनके गांव में दीवार कैसे बनने लगी, वो खुद भी अचंभित हो गए।
गढ़ी बाला के सरपंच प्रतिनिधि जयप्रकाश जानकारी देते हुए।
जयप्रकाश ने बताया कि दो-तीन साल पहले तक यहां पर किसी भी प्रकार की कोई दीवार नहीं थी और न ही यहां पर पहले कोई निर्माण कार्य करवाया गया था। जयप्रकाश ने बताया कि 25 या 26 अक्टूबर के आसपास रिटेनिंग वॉल को बनाने का कार्य शुरू किया गया है। सरपंच ने कहा कि गांव के सभी लोग इस बात के साक्षी हैं कि यहां पर पहले कोई दीवार नहीं थी।
किसान के सिंघाड़े हुए खराब, नुकसान हुआ
गढ़ी बाला के किसान रमेश ने बताया कि वो कई सालों से रोड किनारे बने तालाब में सिंघाड़े की खेती करते आ रहे हैं। यहां उनके खेत के साथ 15 दिन पहले दीवार बनाई गई है। इससे पहले यहां पर कोई भी दीवार नहीं थी। किसान रमेश ने बताया कि रिटेनिंग वॉल बनाने के लिए नींव खोदी गई थी. जिसकी सारी मिट्टी उसकी सिंघाड़े की खड़ी फसल में डाल दी गई। मिट्टी के कारण सिंघाड़े की सारी बेल नीचे दब गई और उसे करीबन डेढ़ से 2 लाख रुपए का नुकसान उसे हुआ है।
दीवार बनाते समय मिट्टी गिरने से किसान के सिंघाड़े की फसल खराब हो गई।
किसान रमेश ने यह भी बताया कि सिंघाड़े का पीक सीजन था। जब अच्छी पैदावार के साथ अच्छा भाव मिल रहा था। वही किसान को सरकारी काम का हवाला देकर मामले को दबा दिया गया। रमेश ने बताया कि दिन रात यहां पर 50 से ज्यादा मजदूर काम कर रहे थे। उन्होंने यह भी बताया कि पिछले 10-15 साल से क्षेत्र में खेती कर रहे हैं। यहां पर पहले कोई भी दीवार नहीं थी। अभी 15 रोज पहले ही लोक निर्माण विभाग ने यह दीवार खड़ी की है।
जानकारी देते हुए किसान रमेश कुमार।
शिकायत से हुआ घपले का खुलासा नाबार्ड को ढ़ाई साल बाद तमन्ना गहलावत के नाम से शिकायत कर दी गई। जिसमें कहा गया कि यहां पर काम नहीं हुआ और पेमेंट भी कर दी गई। जिसे ठेकेदार और अधिकारी आपस में बांट कर खा गए। इस शिकायत पर 21 अक्टूबर को नाबार्ड के एग्जीक्यूटिव इंजीनियर ने सोनीपत PWD के एसई को पत्र लिखा।
डीसी दे चुके जांच के आदेश
सोनीपत के डीसी डॉ. मनोज कुमार रिटेनिंग वॉल के निर्माण से जुड़े इस पूरे मामले में जांच के आदेश दे चुके हैं। डीसी ने कहा कि हमारे संज्ञान में ये मामला लाया गया था कि कोई कार्य सही तरीके से पूर्ण नहीं हुआ है। उसकी क्वालिटी में भी कुछ इश्यू हैं। इस मामले मे जांच के आदेश दे दिए गए हैं। इन्क्वायरी रिपोर्ट में जो भी तथ्य सामने आएंगे, उसके हिसाब से कार्रवाई की जाएगी। डीसी ने कहा कि जहां तक मामला रिटेनिंग वॉल के कागजों में बनाने का है, इसकी डिटेल में जांच होगी तो सब कुछ सामने आ जाएगा।
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