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झारखंड विधानसभा नियुक्ति घोटाला; CBI जांच पर सुप्रीम ने लगाई रोक
झारखंड विधानसभा में गलत तरीके से हुई नियुक्ति और प्रोन्नति की अब सीबीआई जांच नहीं होगी। सुप्रीम कोर्ट में आज इस मामले को लेकर झारखंड विधानसभा की ओर से दायर याचिका पर जस्टिस बीआर गवई और जस्टिस केवी विश्वनाथन की पीठ ने सुनवाई की। इसके बाद झारखंड हाईकोर
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दरअसल, झारखंड हाईकोर्ट ने 23 सितंबर को अवैध तरीके से की गई नियुक्ति-प्रोन्नति की जांच सीबीआई को सौंपी थी। जिस याचिका पर झारखंड हाईकोर्ट ने आदेश दिया था, उसमें यह बताया गया था कि विधानसभा में अवैध नियुक्तियां हुई हैं।
हाईकोर्ट ने सुनवाई के क्रम में अवैध नियुक्ति की जांच कर जो विक्रमादित्य प्रसाद की रिपोर्ट थी, उसे प्रस्तुत करने का निर्देश दिया। इसी रिपोर्ट के आधार पर सीबीआई जांच के आदेश दिए गए थे।
30 प्वाइंट्स पर राज्यपाल ने उठाए थे सवाल
झारखंड विधानसभा में हुई नियुक्ति पर तत्कालीन राज्यपाल सैयद सिब्ते रजी ने सवाल उठाए थे। उन्होंने नियुक्ति की 30 बिंदुओं पर सवाल उठाते हुए जांच कराने को कहा था। तबके स्पीकर सीपी सिंह ने भी जांच कराने की बात कही थी।
जिसके बाद राज्य सरकार को जांच कराने के निर्देश दिए गए। राज्यपाल ने राज्य सरकार को जांच आयोग का गठन करने को कहा था। सरकार ने राज्यपाल के निर्देश के बाद जांच कमेटी बनाई। जिसके अध्यक्ष पूर्व न्यायाधीश लोकनाथ प्रसाद थे।
साल 2002 से ही शुरू हुई थी बहाली प्रक्रिया
झारखंड विधानसभा में अवैध तरीके से नियुक्ति की नींव राज्य गठन के साल में ही रख दिया गई थी। विधानसभा में साल 2002 से बहाली शुरू हुई। पहले स्पीकर इंदर सिंह नामधारी के कार्यकाल में 274 लोगों की नियुक्ति की गई। इसमें केवल पलामू से ही 60 फीसदी से अधिक लोग थे। इन्हीं के कार्यकाल में 143 अनुसेवक, 24 प्रतिवेदक, पांच वरीय प्रतिवेदक, 12 रुटीन क्लर्क, आठ टाइपिस्ट की अवैध नियुक्ति हुई।
अवैध नियुक्ति का क्रम वर्ष 2006 से 2009 तक आलमगीर आलम के स्पीकर रहने के दौरान हुआ। इस दौरान 324 पद सृजित किए गए। इनके कार्यकाल में 150 सहायक सहित 25 चालक, 14 माली, 33 सफाईकर्मी, 16 टंकक, 10 सुरक्षा प्रहरी, दो उर्दू सहायक, एक उर्दू प्रशाखा पदाधिकारी और उर्दू अनुवादक सहित कई पदों पर बहाली हुई थी।
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