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झारखंड में पहले फेज का मतदान 13 नवंबर को खत्म हो गया। दूसरा चरण में 20 नवंबर को वोटिंग होगी।
झारखंड विधानसभा चुनाव के पहले फेज का मतदान 13 नवंबर को खत्म हो गया। शाम पांच बजे तक 65% वोटिंग हुई। इस बार भी ग्रामीण इलाके में ज्यादा वोटिंग हुई, शहर में धीमी रफ्तार रही। हालांकि, अब तक चुनाव आयोग ने फाइनल डेटा जारी नहीं किया है।
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खास बात रही कि आदिवासी रिजर्व 43 में से 20 सीटों पर पिछली बार (2019 विधानसभा चुनाव) से 3% तक ज्यादा वोटिंग हुई है। यही वोट तय करेगा कि सरकार किसकी बनेगी।
वहीं, 43 में से 28 सीटों पर पिछली बार UPA ( अब INDIA) ने जीत दर्ज की थी, उसकी सीटों पर भी वोटिंग में 3% से ज्यादा तक की बढ़ोत्तरी हुई है। जबकि, भाजपा की जीती हुई 13 सीटों पर भी वोटिंग में ढाई फीसदी तक की बढ़त है।
इस पर जानकारों का कहना है कि वोटिंग प्रतिशत के बढ़ना अच्छी बात है, लेकिन सीटिंग विधायकों के लिए ये खतरे की घंटी हो सकती है। उनकी धड़कने बढ़ गई होगी, क्योंकि एंटी इनकंबेंसी में वोटिंग के बढ़ने का ट्रेंड हैं।
हर चुनाव में करीब 50% विधायकों के चुनाव हारने का है ट्रेंड
सीनियर जर्नलिस्ट ज्ञान रंजन सिंह ने बताया, ‘झारखंड में यह ट्रेंड रहा है कि हर चुनाव में करीब 50% सीटिंग विधायक चुनाव हार जाते हैं। हर सीट पर वोटिंग बढ़ने का मतलब है कि स्थानीय लेवल पर एंटी इनकंबेंसी भी हाबी हो सकती है।’
आदिवासी सीटों पर वोटिंग बढ़ने का मतलब है कि वहां एंटी इनकंबेंसी ज्यादा है। किसी भी सीट पर 65% से कम वोटिंग नहीं है। हालांकि, ये एंटी इनकंबेंसी किस हद तक है ये अभी कहना जल्दबाजी होगी। लेकिन बीजेपी को इससे फायदा हो सकता है। -ज्ञान रंजन सिंह, सीनियर जर्नलिस्ट
युवाओं ने रोजगार को बनाया मुद्दा
मतदान के दौरान अधिकतर युवाओं ने रोजगार के मुद्दे पर वोट डालने की बातें कही। वहीं, महिलाओं की लंबी कतार का मतलब चौक-चौराहों पर लोगों ने मईंया सम्मान योजना से जोड़कर बताया। हालांकि, महिलाएं खुलकर इस मुद्दे पर बोलने से बचती रही। यही दो वोटर हैं, जो सरकार की दिशा तय करेंगे।
जरूरी तथ्य
- आदिवासी रिजर्व 20 सीटों पर महिला वोटरों की संख्या ज्यादा थी। बूथ पर महिलाओं की कतार भी लंबी दिखी। इस वर्ग को साधने के लिए INDIA ने मईंया सम्मान योजना (2500 रुपए हर माह) और भाजपा ने गोगो दीदी योजना (2100 रुपए हर माह) का ऐलान किया है।
- इस फेज में 30% वोटर 18 से 29 साल के उम्र के बीच के थे। इसमें 20 से 29 साल के 25.90% तो 18 से 19 साल के 4.7% वोटर थे।
जब-जब वोटिंग की बढ़ी रफ्तार, सरकार स्थिर रही
पिछले चार चुनाव के आंकड़ों को देखें तो जब-जब कम वोटिंग हुई, सरकार अस्थिर रही। पांच साल में कई मुख्यमंत्री बनते और हटते रहे। वहीं, जब भी वोट प्रतिशत बढ़ा स्थिर सरकार बनी। पांच साल चली।
- 2005 में हुए झारखंड के पहले विधानसभा चुनाव में कुल 57% वोटिंग हुई थी। इस चुनाव में किसी दल को पूर्ण बहुमत नहीं मिला। इस कारण पांच साल में चार सरकारें बनीं और गिरीं। एक बार राष्ट्रपति शासन भी लगा।
- 2009 में जब विधानसभा का चुनाव हुआ तो 56.96% वोटिंग हुई। इस बार भी किसी दल को बहुमत नहीं मिला। लगभग पांच साल में तीन सरकारें बनीं। दो बार राष्ट्रपति शासन लगा।
- 2014 विधानसभा चुनाव में वोटिंग प्रतिशत बढ़ा और 66.42% वोटिंग हुई। राज्य को पहली स्थिर सरकार मिली, जो पूरे पांच साल तक चली।
- 2019 में 65.18% मतदान हुआ था। एक बार फिर राज्य को स्थिर सरकार मिली। हालांकि, बीच में जमीन घोटाले के आरोप में जेल जाने पर सीएम हेमंत सोरेन को इस्तीफा देना पड़ा था, फिर भी सरकार बहुमत में रही।
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