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हैदराबाद की रहने वाली इंदिरा ईगलपति सऊदी अरब के रियाद में मेट्रो चलाने के लिए बेहद एक्साइटेड हैं. ईगलपति उन महिलाओं में से एक हैं, जो रियाद में मेट्रो संचालन से जुड़ी हैं और वर्तमान में ट्रायल ट्रेनें चला रही हैं. वह रियाद जाने से पहले हैदराबाद में मेट्रो से जुड़े काम संभाल रही थी.
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पिछले पांच वर्ष से ट्रेन पायलट और स्टेशन ऑपरेशन मास्टर के रूप में कार्यरत 33 वर्षीय इंदिरा ने कहा, “इस विश्व स्तरीय और प्रतिष्ठित परियोजना का हिस्सा बनना, खासकर एक प्रवासी होने के चलते, मेरे लिए वास्तव में गर्व का क्षण है.” जब इंदिरा को रियाद मेट्रो में वैकेंसी के बारे में पता चला तब वह हैदराबाद मेट्रो में काम कर रही थीं और फिर उन्होंने इसके लिए अप्लाई किया.
2025 में शुरू हो सकती है रियाद मेट्रो
इंदिरा और भारत से दो अन्य लोग 2019 में रियाद मेट्रो में शामिल हुए थे, लेकिन कोविड-19 वैश्विक महामारी के कारण उन्हें शुरुआती प्रशिक्षण डिजिटल तरीके से ही लेना पड़ा. फिलहाल प्रायोगिक परीक्षण जारी है और खबरों के मुताबिक रियाद मेट्रो सेवा 2025 की शुरुआत से चालू होने की संभावना है.
‘रियाद में अब तक का अनुभव बहुत अच्छा रहा’
पायलट के रूप में भर्ती होने वाली चुनिंदा महिलाओं में से एक इंदिरा ने कहा, “अब तक का अनुभव वाकई बहुत अच्छा रहा है. सऊदी अरब के लोग बहुत मिलनसार हैं और उनकी संस्कृति बहुत अच्छी है. मैं सोच भी नहीं सकती कि मैंने यहां पांच साल पूरे कर लिए हैं. इंदिरा ने यह भी कहा कि एक महिला के तौर पर उन्हें कभी किसी चुनौती का सामना नहीं करना पड़ा और यहां पर समान अवसर हैं और कोई लैंगिक भेदभाव नहीं है.”
छोटी बहन भी हैदराबाद मेट्रो में लोको पायलट
आंध्र प्रदेश के गुंटूर जिले में धुलिपल्ला की रहने वाली इंदिरा 2006 में हैदराबाद में बस गईं थीं. इंदिरा के पिता एक मैकेनिक थे, लेकिन उन्होंने अपने तीन बच्चों की शिक्षा से कभी समझौता नहीं किया. इंदिरा ने बताया कि वह एक निम्न मध्यम वर्गीय परिवार से ताल्लुक रखती हैं, लेकिन उनके पिता ने सुनिश्चित किया कि वह अपनी शिक्षा प्राप्त करें. इंदिरा ने इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की और उनकी बड़ी बहन एक शिक्षिका हैं. उनकी सबसे छोटी बहन भी हैदराबाद मेट्रो में लोको पायलट के रूप में काम कर रही हैं.
‘दोहा में भी किया काम’
इंदिरा के पति भी यहां मेट्रो के रखरखाव विभाग में काम करते हैं. इंदिरा को 2022 फुटबॉल विश्व कप के दौरान भीड़ प्रबंधन में सहायता के लिए दोहा भी भेजा गया था. उन्होंने कहा, “इतनी भीड़ को देखना एक शानदार अनुभव था और बिना किसी दुर्घटना के हमने इसे सफल बनाया.”
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