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राजस्थान विश्वविद्यालय अभियंता कार्यालय में वर्ष 1990 में विभिन्न संवर्गों के करीबन 400 स्थायी तकनीकी कर्मचारी काम करते थे, जो अब घटकर मात्र आठ ही रह गए हैं। मैनपावर की कमी के कारण विवि परिसर एवं संबद्ध कॉलेजों परिसरों में नए भवनों का निर्माण, नवीनीक
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विश्वविद्यालय के 214 आवासीय भवन, 21 हॉस्टल, 185 फ्लैट और 6 संघटक कॉलेजों के मेंटेनेंस समेत अनेक काम महज 3 इंजीनियरों के भरोसे हैं। नतीजन, लगातार बढ़ रहा काम का दबाव, पुरानी हैरिटेज बिल्डिंग होने के कारण आए दिन काम प्रभावित हो रहा है। स्टाफ की कमी के कारण समय पर काम नहीं होने से लड़ाई-झगड़े का माहौल बना रहता है। इधर, राजस्थान विवि अभियंता कार्यालय कर्मचारी संघ की ओर से इंजीनियर व टेक्नीकल स्टाफ लगाने के लिए कुलपति, रजिस्ट्रार और वित्त नियंत्रक को लिखित में देने के बावजूद अनदेखी की जा रही है।
इंजीनियर के दस पद स्वीकृत, काम कर रहे मात्र तीन
राजस्थान विश्वविद्यालय के इंजीनियर को बिजली-पानी की आपूर्ति, लाइन डालने के साथ ही फाल्ट सुधारना, शुद्ध पानी उपलब्ध कराना, भवनों का मेंटेनेंस, सड़कों की मरम्मत, नई सड़कें बनाना, जमीन की मॉनिटरिंग व देखरेख जिम्मेदारी दे रखी है। बिना मैनपावर के अधिकारियों के हाथ-पांव भी फूलने लगे हैं। इंजीनियर के दस पद स्वीकृत होने के बाद भी 3 ही काम कर रहे हैं। इनमें भी एक डेपुटेशन पर लगा है। वर्ष 1996 से काम कर रहे एक इंजीनियर के पास तीन-तीन विभाग बिजली, पानी और सार्वजनिक निर्माण विभाग की जिम्मेदारी है।
आए दिन गिर रहा है प्लास्टर
कॉमर्स कॉलेज में बारिश के पानी की सीलन के कारण लाइब्रेरी के पुस्तक वितरण हॉल व कक्षाओं के कमरों में छत का प्लास्टर टूट कर गिर गया। यूरोपियन लैग्वेज लिट्रेचर एंड कल्चर स्टडीज के विभागाध्यक्ष की छत गिर गई। यहां पर विदेशी छात्रों के पढ़ने से कभी भी बड़ा हादसा हो सकता है। सेन्ट्रल लाइब्रेरी, नाट्य विभाग और केमिस्ट्री लैब में भी प्लास्टर गिरने का मामला सामने आया है।
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