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भगवान श्री राम भारत और भारतीय संस्कृति के अधिष्ठाता हैं। उनकी कथा नीति से लेकर अध्यात्म तक जीवन के सभी स्तरों को प्रकाशित करती है, इसीलिए प्रभु रामचंद्र जी की कथा को सुनना-सुनाना अपनी संस्कृति का एक अनिवार्य, आवश्यक और लोकप्रिय भाग है। हमने यह संकल्प
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श्रीनाथ मंदिर संस्थान इंदौर में आयोजित श्रीराम कथा के प्रथम दिन शुक्रवार को वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री ने यह बात कही। शास्त्रीजी की यह 11वीं राम कथा है। दो कथा और करेंगे। उन्होंने कहा कि कथा करने के लिए यही समय हमने इसलिए चुनाव कि अभी राम मंदिर बन रहा है अयोध्या जी में। इस राम मंदिर को बनाने और राम जन्मभूमि को मुक्त करने के लिए 300 वर्षों तक संघर्ष होता रहा। वास्तव में 500 वर्षों तक संघर्ष होता रहा, जिसमें 300 वर्षों तक का संघर्ष बहुत ही ओजस्वी रहा, इसमें कम से कम तीन लाख हिंदू मारे गए। प्रभु रामचंद्र जी में ऐसा क्या है कि इसके लिए लोगों ने अपने प्राण उनकी जन्मभूमि के लिए निछावर किए, यह लोगों को पता चले। यह आस्तिक और नास्तिक दोनों को पता चले। राम कथा सुनेंगे, तब पता चलेगा।
इसलिए लिया 11 कथाओं का संकल्प
शास्त्रीजी ने कहा कि हमने राम कथा करने का यह संकल्प किया और उसके अंतर्गत 11वीं राम कथा इस पवित्र क्षेत्र में इंदौर के श्री नाथ मंदिर में हो रही है। पहले दिन के प्रसंग में महर्षि वाल्मीकि जी का इतिहास बताया गया। प्रभु रामचंद्र जी के जन्म के लिए क्या भूमिका बनी। भगवान श्री रामचंद्र के भक्ति के लिए श्री राम जय राम जय जय राम यह त्रयोदशी अक्षरी अर्थात 13 अक्षरी मंत्र का जाप होता है। इसीलिए 13 अक्षर राम उपासना के लिए बड़े शुभ माने गए हैं।
प्रतिदिन गुणीजन का सम्मान
इस अवसर पर श्रीनाथ मंदिर संस्थान द्वारा प्रतिदिन गुणीजन का सम्मान किया जा रहा है। इसी कड़ी में समाजसेवी राजीव किल्लेदार का सम्मान वेदमूर्ति धनंजय शास्त्री ने किया। किल्लेदार का परिचय श्रीनाथ मंदिर संस्थान की ओर से डाॅ. संदीप तारे ने दिया। कथा के पूर्व संकल्प एवं पुण्याहवाचन यजमान प्रभाकर आपटे द्वारा किया गया।
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