[ad_1]
प्रदेश के फार्मेसी कॉलेजों से बी.फार्मेसी और डी.फार्मेसी करने के लिए पिछले 7 सालों में छात्रों का रुझान लगातार बढ़ा है। लेकिन इस साल एडमिश्न के आंकड़े कम होने की संभावना बन रही है। पहले राउंड की काउंसलिंग कंप्लीट हो चुकी है। इसके बाद 78 कॉलेज ऐसे हैं ज
.
डायरेक्टोरेट ऑफ टेक्निकल एजुकेशन (डीटीई) द्वारा इस बार फार्मेसी कोर्सेस के लिए काउंसलिंग सितंबर में शुरू की। 10 सितंबर से रजिस्ट्रेशन हुए और पहले राउंड का सीट अलॉटमेंट डेढ़ माह बाद 25 अक्टूबर को किया गया। अब सेकंड राउंड में सीट अलॉटमेंट 15 नवंबर को किया जाएगा। कॉलेज संचालकों का कहना है कि एडमिशन प्रोसेस देरी से शुरू होने के कारण ये स्थिति बनी है। पिछले भी ये स्थिति बनी थी। इसका सबसे बड़ा कारण फार्मेसी काउंसिल ऑफ इंडिया (पीसीआई) से समय पर कॉलेजों को मान्यता जारी नहीं होना है। लेकिन तब दो बार काउंसलिंग हाेने से छात्रों को एडमिशन के लिए ज्यादा मौका मिला। पिछले सत्र में बी.फार्मेसी में 89.88 प्रतिशत और डी.फार्मेसी में 77.50 प्रतिशत एडमिशन हुए।
अब तक 13 हजार एडमिशन
प्रदेश में बी.फार्मेसी और डी. फार्मेसी में 13,327 एडमिशन हुए। बी. फार्मेसी के 170 कॉलेज हैं। इनमें सीट संख्या 14720 है। इनमें 23 हजार 208 अब तक रजिस्ट्रेशन करा चुके हैं। फर्स्ट राउंड में 8850 एडमिशन हुए हैं। भोपाल में 3500 सीट हैं, 2468 एडमिशन हो चुके हैं। इसी तरह डी. फार्मेसी में 214 कॉलेज में 12 हजार 840 सीट हैं। 23 हजार 208 स्टूडेंट्स ने रजिस्ट्रेशन कराए। अब तक 4477 ने प्रवेश ले लिया है।
पिछले साल भी बनी थी यह स्थिति
पीसीआई द्वारा समय पर मान्यता जारी नहीं किए जाने के कारण पिछले साल भी एडमिशन में देरी हुई। पिछले सत्र में बी.फार्मेसी के 174 कॉलेज काउंसलिंग में शामिल हुए। इनमें 14680 सीट थी। 13209 छात्रों ने प्रवेश लिया। डी.फार्मेसी के 220 कॉलेज शामिल हुए। इनमें 13200 सीट थी। 10230 ने प्रवेश लिया।
“छात्रों के बढ़ते रुझान के कारण फार्मेसी कोर्सेस की सीट में लगातार इजाफा हुआ है। देरी से एडमिशन प्रोसेस शुरू होने के बाद भी एडमिशन कम हुए हैं। जब अन्य प्रोफेशनल कोर्सेस में एडमिशन प्रोसेस लगभग बंद हो चुकी थी। तब फार्मेसी कोर्सेस के लिए प्रोसेस शुरू हुई। इसलिए स्टूडेंट्स दूसरे कोर्स में डायवर्ट हुए हैं। हमेशा से इंजीनियरिंग सहित कोर्स के साथ ही फार्मेसी में एडमिशन प्रोसेस शुरू होती है। एक साथ काउंसलिंग होने से छात्र को प्रवेश लेने के लिए निर्णय लेने में आसानी होती है। पीसीआई समय पर मान्यता जारी करती तो अभी जो स्थिति निर्मित हुई है, उससे बचा जा सकता था।” -डॉ. अजीत सिंह पटेल, उपाध्यक्ष, एटीपीआई
[ad_2]
Source link