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पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन भवन में शुक्रवार को हुई बैठक में हाथी सवारी के दर को कम करने का निर्णय लिया गया है।
पर्यटन विभाग की ओर से पर्यटन भवन में शुक्रवार को हुई बैठक में हाथी सवारी के दर को कम करने का निर्णय लिया गया है। आमेर महल में संचालित हाथी सवारी की दरों की समीक्षा को लेकर पर्यटन सचिव की अध्यक्षता में बैठक आयोजित हुई। जिसमें पर्यटन आयुक्त बीपी सिंह,
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वहीं सवारी की दरें घटाने से हाथी मालिकों काफी अंसतोष है। उनका कहना है कि सालों बाद हाथी सवारी की दरें 1100 रुपए से बढ़ाकर 2500 रुपए करके हमें राहत दी गई थी, लेकिन इसे फिर कम करते 1500 रुपए कर दिया गया। आज के समय में हाथी पालना किसी चुनौती से कम नहीं है।
विभाग के अधिकारियों की माने तो दरें बढ़ने से पर्यटकों की संख्या में कमी आई थी, जिसके चलते फिर से समीक्षा करते हुए दरे कम करने का निर्णय लिया गया है। हाथी सवारी की दर 2500 रुपए से घटाकर 1500 हो गई है। इसके तहत अब हाथी मालिक को 1250 रुपए मिलेंगे। यात्रा अभिकर्ता को 90 रुपए मिलेंगे, हाथी प्रवेश शुल्क 50 रुपए होगा। हाथी स्थल सफाई शुल्क 20 रुपए और हाथी कल्याण को 30 रुपए और हाथी गांव विकास को 60रुपए मिलेंगे। दरों में कमी 15 नवंबर से प्रभावित होगी। ट्रैवल एजेंट और टूर ऑपरेटर्स ने दरों में कमी का स्वागत किया।
हाथी मालिक विकास समिति के अब्दुल अजीज और सेक्रेटरी सद्दीक खान का कहना है कि साल 2012 के बाद अब जाकर हाथी सवारी के शुल्क में बढ़ोतरी की गई थी। करीब 13 सालों के दौरान महंगाई भी बढ़ी है। हाथियों को दी जाने वाली खाने की वस्तुओं की रेट में भी बढ़ोतरी हुई है। प्रतिदिन एक हाथी के खाने पर करीब 3000 रुपए का खर्चा आता है।
गौरतलब है कि 1 अक्टूबर से हाथी सवारी की बढ़ी हुई दरें लागू हुई थी। इतने साल बाद 1100 से सीधे 2500 रुपए हाथी सवारी की दर की गई थी। तब हाथी मालिकों ने अपनी खुशी जाहिर की थी।
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