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पुत्रवधु ने ही प्रेमी से मिलकर करवाया था मर्डर
डाकघर बचत अभिकर्ता की हत्या के आठ साल पुराने मामले में जिला एवं सेशन न्यायाधीश दीपा गुर्जर ने चार आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा दी है। साथ ही प्रत्येक पर 20 हजार रुपए का जुर्माना लगाया है। आरोपियों में मृतक की पुत्रवधु भी शामिल हैं। कुल्हरियों की
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मामले के अनुसार 15 जुलाई 2016 को कुल्हरियों की ढाणी के सोहनलाल जाट ने बिसाऊ थाने में रिपोर्ट दी थी कि उसका चचेरा भाई सुभाषचंद्र डाकघर में अल्पबचत अभिकर्ता था। रोज सुबह 11 बजे बिसाऊ जाता था और दिन में घर-घर जाकर आरडी के पैसे एकत्रित कर रात्रि को साढ़े दस बजे घर आता था।
14 जुलाई को सुभाष बस से उतरकर घर आ रहा था। रास्ते में श्रीराम के घर के पास नीली बत्ती लगी एक गाड़ी खड़ी थी। उसमें से उतरे दो व्यक्तियों ने सुभाष को पकड़ लिया और जबरन गाड़ी में डाल लिया। इसके बाद सुभाष से मारपीट की और गला घोंटकर उसकी हत्या कर दी।
प्रेम प्रसंग में आड़े आया तो बहू ने ही करवाई थी ससुर की हत्या
प्रेम प्रसंग में आड़े आने पर बहू सोनू कुल्हरि ने ही अपने ससुर आरडी एजेंट सुभाषचंद्र की हत्या करवाई थी। सोनू से पूछताछ में कहा था कि उसके ससुर ने उस पर बंदिशें लगा रखी थी। घर से बाहर नहीं निकलने देता था। बिसाऊ आना जाना भी बंद करवा दिया। सोनू के गांव के ही सुनील से अवैध संबंध थे। इसलिए ससुर को रास्ते से हटाने के लिए सोनू ने सुनील को अपने साथ किया। इसके बाद 14 जुलाई की रात सुनील ने अपने अन्य साथियों गांव के ही दीपेंद्र, वारिसपुरा के प्रदीप व एक गला दबाकर उसकी हत्या कर दी। इसके बाद हत्या को रोड एक्सीडेंट का रूप देने के लिए शव को सड़क किनारे डाल गए थे।
पहले भी तीन बार मारने का किया था प्रयास
पुत्रवधु ने अपने ससुर सुभाष को तीन बार पहले भी मारने का प्रयास किया था। लेकिन नाकाम रही थी। उसने एक बार अमरस में नींद की गोलियां देकर मारने का प्रयास किया था। लेकिन सुभाष बच गया। आरोपी सोनू बिसाऊ के एक निजी अस्पताल में एएनएम थी। सुभाष के दो बेटे हैं।
दुर्घटना का रूप देने सड़क पर डाल गए थे शव
सड़क दुर्घटना का रूप देने के लिए शव को कुल्हरियों की ढाणी बस स्टैंड पर पटक गए। आरोपी सुभाष से आरडी के एक लाख रुपए भी छीनकर ले गए। पुलिस ने मामला दर्ज कर कुलहरियों की ढाणी निवासी पुत्रवधू सोनू पत्नी विकास कुमार, सुनील कुमार पुत्र सुभाषचंद्र, दीपेंद्र कुमार उर्फ मिकू पुत्र सुरेश कुमार तथा वारिसपुरा निवासी प्रदीप कुमार पुत्र सुभाषचंद्र के विरुद्ध न्यायालय में चालान पेश किया। न्यायाधीश ने चारों आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई। साथ ही 20-20 हजार का जुर्माना लगाया।
वारदात में शामिल नाबालिग को बरी किया
वारदात में शामिल एक नाबालिग के विरुद्ध बाल न्यायालय में आरोप पत्र पेश किया। बाद में नाबालिग का मामला भी हस्तांतरित होकर जिला सेशन न्यायालय में आ गया। राज्य सरकार की तरफ से पैरवी करते हुए लोक अभियोजक भारत भूषण शर्मा व पीड़ित पक्ष की और से पैरवी कर रहे एडवोकेट सुभाष पूनिया ने 40 गवाहों के बयान कराए व 191 दस्तावेज पेश किए। पत्रावली पर आए साक्ष्यों का विश्लेषण करते हुए न्यायाधीश ने नाबालिग को बरी कर दिया गया।
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