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खंडवा जनपद की जावर ग्राम पंचायत ने जिंदा महिला को मृत बता दिया।
जॉबकार्ड फर्जीवाड़े के जरिये मनरेगा घोटाले को अंजाम देने वाली जावर ग्राम पंचायत का नया कारनामा सामने आया है। पंचायत ने 77 वर्षीय एक जिंदा महिला को मृत घोषित कर दिया। इस बात का खुलासा बुजुर्ग का राशन और पेंशन स्कीम से नाम कटने पर हुआ। संबल पोर्टल पर मह
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पहले तो पंचायत ने उक्त महिला को मनरेगा मजदूर बताकर फर्जी बैंक खाते से राशि निकाल ली। फिर आईडी डिलीट करने और बीमा क्लेम की राशि हड़पने के लिए वृद्वा को मृत बता दिया। 77 वर्षीय ग्यारसीबाई को 22 जुलाई 2024 को मृत घोषित कर दिया।
संबल पोर्टल के मुताबिक, यह कार्रवाई ग्राम रोजगार सहायक मुकेश तंवर ने की। बल्कि ग्यारसीबाई जिंदा है। गौरतलब है कि रोजगार सहायक मुकेश तंवर ही जॉबकार्ड फर्जीवाड़े का मास्टरमाइंड है। उसके द्वारा एक हजार फर्जी जॉबकार्ड तैयार किए गए थे। एक शिकायत के बाद अचानक 500 जॉबकार्ड डिलीट कर दिए।
इस दौरान कई पात्र परिवार भी अपात्र हो गए। वे परिवार अब राशन, पेंशन, पीएम आवास स्कीम सहित पीएम किसान सम्मान निधि और लाड़ली बहना स्कीम से भी अपात्र हो गए है। इसी मामले में लोकायुक्त भोपाल जांच कर रहा है।
संबल पोर्टल पर 77 वर्षीय ग्यारसीबाई को मृत बताया। कार्रवाई रोजगार सहायक मुकेश तंवर ने की।
बेटे धर्मेंद्र ने कहा- राशन पर्ची से नाम हटा तो मृत्यु का पता चला
पंचायत ने अपने कारनामे छुपाने के लिए जिंदा ग्यारसीबाई को भी परलोक पहुंचा दिया है। संबल पोर्टल से उन्हें मृत्यु प्रमाण-पत्र भी जारी हो गया। परिवार में बेटे धर्मेंद्र का कहना है कि जुलाई 2024 से पहले तक उन्हें माताजी के नाम से 5 किलो राशन और वृद्वा पेंशन मिलती थी। लेकिन दोनों बंद हो गई।
वे राशन दुकान पर गए तो आईडी डिलीट पाई गई। इसकी शिकायत लेकर जनपद पंचायत पहुंचे, वहां पता चला कि संबल पोर्टल पर ग्यारसीबाई को मुकेश तंवर द्वारा मृत घोषित कर दिया गया है। धर्मेंद्र के मुताबिक, पंचायतकर्मी उन्हें लालच दे रहे है कि शिकायत मत करो। तुम्हे क्या चाहिए, यह बताओ। तुम्हारे नाम से पीएम आवास भी अलॉट कर देंगे।
महिला को मृत घोषित करने वाला ग्राम रोजगार सहायक मुकेश तंवर।
अफसरों की मेहरबानी: संविदाकर्मी को वित्तीय पावर दे दिए
रोजगार सहायक मुकेश तंवर पर जनपद और जिला पंचायत के अफसरों की बड़ी मेहरबानी है। पंचायत एक्ट और संविदा भर्ती नियम के विपरीत जाकर जनपद सीईओ ने मुकेश तंवर को पंचायत सचिव के अधिकार क्षेत्र वाले वित्तीय पावर सौंप दिए है। जबकि पंचायत एवं ग्रामीण विकास विभाग द्वारा निर्देश दिए गए है कि रोजगार सहायक बतौर संविदाकर्मी है। उन्हें सचिव के वित्तीय पावर नहीं दिए जा सकते। गौरतलब है कि, खंडवा जनपद में जावर सबसे बड़ी ग्राम पंचायत है।
जिपं सीईओ बोले- मामले में कार्रवाई कर रहे हैं
इस तरह का मामला गंभीर है। हम लोग कार्रवाई कर रहे हैं। जांच के बाद संबंधित के विरुद्ध कार्रवाई करेंगे।
जिला पंचायत सीईओ डॉ. नागार्जुन बी गौड़ा।
कलेक्टर की भरोसेमंद अफसर को सीईओ का चार्ज
खंडवा जनपद पंचायत में सीईओ का प्रभार कलेक्टर अनूप कुमार सिंह ने अपने कार्यालय की भरोसेमंद डिप्टी कलेक्टर निकिता मंडलोई को दे रखा है। ग्राम पंचायतों में जल सरंचनाओं का विकास, नदी पुर्नजीवन जैसे विषय कलेक्टर सिंह के ड्रीम प्रोजेक्ट में शामिल है। लेकिन इन प्रोजेक्ट में भ्रष्टाचार का रेशो सबसे ज्यादा है। कलेक्टर के भरोसेमंद ही उनकी ईमानदार छवि को दाग लगा रहे है। लोग चर्चा करते है कि क्या कलेक्टर साहब ठेकेदार है?
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