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लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन व्रतियों ने अस्ताचल सूर्य को अर्घ्य दिया। मान्यता है कि सूर्य को अर्घ्य देने से बच्चों का जीवन भी सूर्य के समान चमकता है और जीवन में मान सम्मान और यश की भी प्राप्ति होती है। मुख्य कार्यक्रम छोटा तालाब पर आयोजित हु
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दीप प्रज्वलन के बाद भजन गायिका गीता मिश्रा ने भोजपुरी गीतों से समा बांधा। उगा हो सूरज देव…, सुना सजनवा माना कहनवा…, छोटा तालाब बड़ा भारी जहां बैठे मैया हमारी…से शुरुआत की। इसके बाद एक से बढ़कर एक लोकगीतों की प्रस्तुति दी गई। देर रात तक सांस्कृतिक कार्यक्रम का सिलसिला चलता रहा। इसके एक दिन पहले बुधवार को खरना करके 36 घंटे के व्रत की शुरुआत हुई। छठ के चारों दिन का अलग-अलग महत्व होता हैं। छठ के तीसरे दिन गुरुवार शाम को व्रतियों ने घाटों पर आकर पानी में उतर कर सूर्य को संध्या अर्घ्य दिया। इसके बाद श्रद्धालु कल यानी शुक्रवार को सप्तमी पर उगते सूर्य को अर्घ्य देकर व्रत खोलेंगे। सभी लोग पर्व में बढ़-चढ़ कर हिस्सा ले रहे हैं और छठी मैया की पूजा कर रहे हैं।
खरना से शुरू हुआ 36 घंटे का निर्जला व्रतछठ पर्व के दूसरे दिन बुधवार को खरना पर घर-घर विशेष प्रसाद बनाया गया और इसी के साथ 36 घंटे लगातार निर्जला व्रत की शुरूआत भी हो गई। इस दौरान मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ की खीर बनाई गई। इसके लिए पीतल के बर्तन का प्रयोग किया। खीर के अलावा गुड़ की अन्य मिठाई, ठेकुआ और लड्डू आदि भी बनाए। इसके बाद पूरा परिवार ने व्रत व्यक्ति से आशीर्वाद लिया। साथ ही सुहागन महिलाओं ने व्रती महिलाओं से सिंदूर लगवाया। इस अवसर पर गायक सूर्य प्रकाश तिवारी,संजय मिश्रा, श्री श्री भवानी म्यूजिकल ग्रुप के जया पटेल, नैना पटेल, मंच अध्यक्ष अजय सिंहा, सचिव उमेश बरनवाल, राकेश सिंहा, जितेंद्र साव सहित अन्य गणमान्य मौजूद रहे।
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