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झारखंड के मॉडलों से देखिए छठ की खूबसूरती
छठ महापर्व…सच्ची आस्था, श्रद्धा और सात्विकता का संगम। यह केवल एक पर्व नहीं है, बल्कि स्वयं को शुद्ध और निर्मल बनाने का एक संकल्प है। कार्तिक महीने की शुरुआत से ही व्रतियों के जीवन में सात्विकता का प्रभाव दिखाई देने लगता है, मानो जैसे ये हर कर्म से
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छठ के इसी महत्व को बताने के लिए झारखंड की मॉडलों ने भास्कर के लिए स्पेशल फोटो शूट कराया है। आई फोटो के जरिए जानें छठ पर्व करनी की विधि और महत्व।
छठ के पहले दिन की शुरुआत नहाय खाय से होती है। इस दिन नदी में स्नान करके कद्दू-भात बनाया जाता है। इस दिन छठ व्रत करने वाली महिलाएं सुबह गंगा स्नान कर नए वस्त्र पहनती हैं। कद्दू यानी लौकी और भात का प्रसाद बनाती हैं। इस प्रसाद को खाने के बाद ही छठ व्रत की शुरुआत होती है।
ऐसा माना जाता है कि मन, वचन, पेट और आत्मा की शुद्धि के लिए छठ व्रतियों का पूरे परिवार के साथ कद्दू-भात खाने की परंपरा सालों से चली आ रही है। नहाय-खाय में बनने वाले भोजन में लहसुन-प्याज का इस्तेमाल नहीं होता है। इस दिन लौकी की सब्जी, अरवा चावल, चने की दाल, आंवला की चटनी, पापड़, तिलौरी बनते हैं। जिसे प्रसाद के रूप में ग्रहण किया जाता है।
छठ पूजा के दूसरे दिन कार्तिक शुक्ल पंचमी को खरना बोलते हैं। इस दिन व्रती उपवास रखकर शाम को खरना का प्रसाद बनाती हैं। प्रसाद बनाने के बाद सबसे पहले भगवान भास्कर की पूजा की जाती है। पूजा खत्म करने के बाद प्रसाद ग्रहण किया जाता है। खरना का प्रसाद ग्रहण करने के बाद व्रती 36 घंटे का निर्जला व्रत का संकल्प लेती हैं।
खरना में गुड़ के खीर का प्रसाद भोग के रूप में चढ़ाया जाता है। सूर्य देवता और छठी मैया का ध्यान करते हुए व्रती गुड़ और चावल की खीर मिट्टी के चूल्हा पर बनाती हैं। इसके साथ ही गेंहू के आटे की रोटी भी बनाई जाती है। चूल्हा जलाने के लिए आम की लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। आम की लकड़ी को छठ पूजा के लिए शुभ माना गया है।
तीसरे दिन कार्तिक शुक्ल षष्ठी को दिन में छठ प्रसाद बनाया जाता है।शाम को पूरी तैयारी के साथ बांस की टोकरी में अर्घ्य का सूप सजाया जाता है, और सभी मिलकर सूर्य देव को नदी या तालाब के किनारे अर्घ्य देते हैं। सूर्य को दूध और जल दोनों से अर्घ्य दिया जाता है। इसके बाद छठ मैया की भरे सूप से पूजा की जाती है और सारी रात छठी माता के गीत गाये जाते हैं।
इसी दिन अस्त होते सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है। अर्घ्य के दौरान छठ व्रती हाथों में फल और प्रसाद से भरा दउरा-सूप लेकर भगवान भास्कर की उपासना करती हैं। शाम को सूर्य की अंतिम किरण प्रत्युषा को अर्घ्य देकर नमन किया जाता है। माना जाता है कि छठ में शाम के वक्त सूर्य को अर्घ्य देने से आंखों की रोशनी बढ़ती है।
छठ के चौथे दिन व्रती उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं। इसके साथ ही 36 घंटे का निर्जला उपवास समाप्त होता है। भगवान भास्कर को अर्घ्य देने के बाद व्रती छठ का प्रसाद खाकर अपना व्रत खोलती हैं। इसके बाद पारण होता है।
भास्कर के लिए मॉडल खुशबू सिंह, रूबी मलिक, खुशी काकन, गायत्री रंजन, कुमकुम शर्मा और सोनू कुमार भोक्ता मौजूद थे। मैनेज किया है आकिब आजम। सहयोग दिलबीर सिंह। फोटोशूट समद और सैयद दिलनवाज। कोरियोग्राफी पिया बर्मन
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