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हवा का स्तर खराब रहने के कारण एनसीआर के अधिकांश जिलों में दृश्यता 0 से 10 मीटर दर्ज की गई है।
हरियाणा में ठंड की शुरुआत हो चुकी है। रात और दिन के तापमान में लगातार गिरावट हो रही है। 24 घंटे में पारे में सामान्य से 1.5 डिग्री की गिरावट दर्ज की गई है। हिसार , महेंद्रगढ़ व सोनीपत में रात का न्यूनतम तापमान 13.8 डिग्री सेल्सियस पर आ गया है। वहीं,
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सूबे के 22 जिलों में यह सबसे कम रहा। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि अगले 5 दिन में दिन और रात के तापमान में 2 से 3 डिग्री तक की गिरावट देखने काे मिलेगी। नवंबर के अंत तक रात का पारा 10 डिग्री से नीचे आ सकता है।
गेहूं की बिजाई का सही समय
भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. राजेंद्र सिंह छौक्कर ने बताया कि अब मौसम गेहूं की बिजाई के अनुकूल है। वैसे सूबे में गेहूं की बिजाई का सही समय 25 अक्टूबर से 20 नवंबर के बीच होता है। 25 अक्टूबर से 5 नवंबर के बीच की बिजाई को अगेती बिजाई माना जाता है। वहीं, 25 नवंबर तक की बिजाई भी पछेती बिजाई में नहीं आती।
धुंध छाने के कारण रात और दिन के तापमान में गिरावट आने के कारण गेहूं की बिजाई सूबे में शुरू हो चुकी है।
AQI का स्तर अभी भी खराब
प्रदेश में एयर क्वालिटी इंडेक्स (AQI) का स्तर अभी भी खराब बना हुआ है। सूबे के गुरुग्राम की हवा सबसे खराब दर्ज की गई। यहां एक्यूआई 298 रिकॉर्ड किया गया। हालांकि अच्छी बात यह है कि रेड जोन से बाहर है। इसके अलावा नारनौल का 272, फरीदाबाद 261, भिवानी 257, हिसार का 220, फतेहाबाद का 253 एक्यूआई दर्ज किया गया।
मानसून ने नहीं किया निराश
राज्य में मानसून का प्रदर्शन अब तक संतोषजनक रहा है। कुल मिलाकर अब तक 424.6 मिमी बारिश के मुकाबले 406.4 मिमी बारिश दर्ज की गई है। जो सामान्य से महज 4% कम है। यानी बारिश का कोटा लगभग पूरा हो चुका है।दूसरी ओर, अगर जिले के हिसाब से बारिश की स्थिति देखें तो 10 जिले ऐसे हैं, जिनमें 10 से 38% कम बारिश दर्ज की गई है। 12 जिलों में सामान्य से 10 से 71% अधिक बारिश हुई है।
जिलों में ये रहा हाल मानसून का हाल
इस बार मानसून सीजन नूंह, गुरुग्राम और महेंद्रगढ़ पर ज्यादा मेहरबान रहा। नूंह में सामान्य से 71 फीसदी, गुरुग्राम में 53 फीसदी और महेंद्रगढ़ में सामान्य से 43 फीसदी अधिक बारिश हुई है। सबसे अधिक बेरुखी करनाल, यमुनानगर और पंचकूला की रही।
करनाल में सामान्य से 38 फीसदी, यमुनानगर में 33 फीसदी और पंचकूला में सामान्य से 32 फीसदी कम बारिश हुई है। मानसून कभी भी विदा हो सकता है, इसलिए इन जिलों के लिए बारिश का कोटा पूरा करना संभव नहीं लगता।
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