[ad_1]
लातेहार 2001 में अस्तित्व में आया। इससे पहले यह पलामू जिले का अनुमंडल था। यह झारखंड का मशहूर पर्यटक क्षेत्र भी है। लोध वॉटर फॉल और सनसेट के लिए विख्यात नेतरहाट इसी का हिस्सा है। जिले में दो विधानसभा सीटें हैं। लातेहार में झामुमो और भाजपा में सीधी लड़ा
.
लातेहार में दो विधानसभा सीटें हैं। लातेहार आैर मनिका। एक एससी आैर एक एसटी के लिए आरक्षित है। यहां का जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण चुनाव को प्रभावित करता है। जिले में बड़ा वर्ग अनुसूचित जाति आैर आेबीसी का है। लातेहार सीट पर झामुमो के बैजनाथ राम और भाजपा के प्रकाश के बीच आमने-सामने की टक्कर है। लेकिन, मनिका में चुनाव रोचक हो गया है। यहां एनडीए और इंडिया के प्रत्याशियों के वोटों में सेंधमारी के लिए एक-एक बागी खड़े हैं। कांग्रेस के रामचंद्र सिंह के सामने पूर्व जिलाध्यक्ष मुनेश्वर उरांव निर्दलीय मैदान में उतर गए हैं, वहीं भाजपा के हरिकृष्णा सिंह के लिए सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे रघुपाल सिंह रोड़ा बन गए हैं।
लातेहार जिला…बड़ा वर्ग एसटी व ओबीसी का, जातिगत और क्षेत्रीय समीकरण चुनाव में तय करता है जीत-हार
मनिका में भाजपा और कांग्रेस के लिए समीकरण थोड़ा गड़बड़ा गया है। हरिकृष्णा सिंह भाजपा के टिकट पर चुनाव मैदान में हैं। पर, उनके वोटरों में सेंघमारी करने के लिए रघुपाल सिंह सपा के टिकट पर खड़े हो गए हैं। रघुपाल सिंह पिछले चुनाव में भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़े थे। इस बार टिकट नहीं मिलने पर पहले राजद में गए। वहां से निराशा हाथ लगने पर सपा के टिकट पर चुनाव लड़ रहे हैं। रघुपाल खरवार जाति का बड़ा चेहरा हैं। यहां खरवार जाति जिसके पक्ष में आती है। चुनाव में यह जाति उल्लेखनीय भूमिका निभाती है। लगभग यही स्थिति कांग्रेस के रामचंद्र सिंह की भी है। यहां कांग्रेस के जिलाध्यक्ष रहे मुनेश्वर उरांव निर्दलीय चुनाव मैदान में उतर गए हैं। मुनेश्वर 2014 में भी चुनाव मैदान में थे। उनकी वजह से ही कांग्रेस प्रत्याशी की हार हो गई थी। मुनेश्वर को जितने वोट मिले थे। उतने वोट कांग्रेस को हराने के लिए काफी थे। इस बार भी वे कांग्रेस की वोट में ही सेंघमारी कर सकते हैं।
अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित लातेहार में पिछले पांच चुनावों में बैजनाथ राम और प्रकाश राम के बीच सीधा मुकाबला होता आया है। तीन बार बैजनाथ राम और दो बार प्रकाश राम को जीत मिली है। इस बार भाजपा के टिकट पर प्रकाश राम आैर झामुमो से बैजनाथ राम चुनाव मैदान में हैं। बैजनाथ भाजपा से भी विधायक रह चुके हैं। पर, पिछले चुनाव में झामुमो के सिंबल पर चुनाव जीते थे। प्रकाश राम का संपर्क लगभग हर दल में रहा है। 2005 में प्रकाश राजद के टिकट पर चुनाव लड़कर विधायक बने थे। 2014 में वे झाविमो से चुनाव जीते थे। अब वे भाजपा में हैं। 2019 में बैजनाथ राम ने प्रकाश राम को 16,328 वोटों से हराया था। लातेहार का एक इतिहास रोचक है। यहां से लगातार दो बार चुनाव जीतने का रिकॉर्ड मात्र एक प्रत्याशी हरि दर्शन राम के नाम है। हरि दर्शन ने कांग्रेस की टिकट पर 1980 और 1985 के चुनाव में जीत हासिल की थी।
भाजपा : हरिकृष्णा सिंह
भाजपा : प्रकाश राम
कांग्रेस : रामचंद्र सिंह
झामुमो : बैजनाथ राम
मजबूत पक्ष : भाजपा आैर आजसू पार्टी का जमीनी स्तर पर नेटवर्क।कमजोर पक्ष : पूर्व भाजपा प्रत्याशी का चुनाव में प्रतिद्वंद्वी के रूप में खड़ा होना।
मजबूत पक्ष: आजसू के साथ भाजपा का गठबंधन। भाजपा के कैडर वोट।
कमजोर पक्ष: अपनी विशेष टीम के साथ काम करने से भीतरघात का खतरा।
मजबूत पक्ष : लोगों के बीच लगातार बने रहना। मेहनत से राजनीति में पहचान बनाना।
कमजोर पक्ष: कांग्रेस के जिलाध्यक्ष का प्रतिद्वंद्वी के रूप में चुनाव मैदान में उतरना।
मजबूत पक्ष: चुनाव से पहले मंत्री बनने से क्षेत्र में प्रभाव बढ़ा। जीत के लिए जातीय समीकरण साध रहे हैं। कमजोर पक्ष : एंटी इनकंबेंसी का खतरा।
मनिका : दोनों दलों के बागी कर सकते हैं उलटफेर
लातेहार: मंत्री बैजनाथ को कड़ी चुनौती दे रहे प्रकाश
[ad_2]
Source link