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रांची | भाजपा के प्रदेश प्रभारी लक्ष्मीकांत बाजपेयी सोमवार को दैनिक भास्कर के न्यूज रूम में थे। उन्होंने कहा- पार्टी ने ऐसी रणनीति बनाई है कि जहां चुनाव हो रहा हो वहां स्थानीय नेतृत्व की मदद के लिए बाहर से सक्षम कार्यकर्ताओं को भेजा जाए। जो उनका सहयो
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सवाल: कौन है भाजपा का मुख्यमंत्री फेस…?
भाजपा आखिर आदिवासी नेताओं को प्रोजेक्ट क्यों नहीं कर पा रही, सीएम चेहरा कौन है
-बाबूलाल मरांडी राज्य के प्रथम मुख्यमंत्री हैं। वे लगातार वर्किंग में हैं। आदिवासी लीडर के रूप में अर्जुन मुंडा भी है। पहली बार सरकार ने जनजातीय मंत्रालय बनाया और उन्हें मंत्री बनाया। सीएम पद पर अभी न कोई विचार हुआ है और न ही निर्णय। चुने हुए विधायक अपना मत बताएंगे।
भाजपा के प्रचार अभियान का नेतृत्व केंद्रीय नेता कर रहे हैं, क्या स्थानीय नेतृत्व सक्षम नहीं है
-घर का जोगी जोगना और आन गांव का सिद्ध। स्थानीय कार्यकर्ता, स्थानीय नेतृत्व, स्थानीय परिस्थिति को जानता है। उससे सलाह करने के बाद उसकी कार्ययोजना बनाने में हमलोगों का सहयोग रहता है। उसे एग्जिक्यूट स्थानीय नेतृत्व करता है। हिमंता जी, शिवराज जी पब्लिक लीडर हैं, वे जा रहे हैं।
प्रदेश चुनाव प्रभारी और सह प्रभारी के होते आपकी क्या भूमिका हैै
-हर राज्य में यह नियम था। अपवाद हुआ झारखंड लोकसभा चुनाव में। हर राज्य में चुनाव के समय चुनाव प्रभारी भेजा जाता है। प्रदेश प्रभारी संगठन का काम करता है। चुनाव के समय बूथ को भी मजबूत करना होता है।
लोकसभा चुनाव में भी आप प्रभारी थे, उससे इस चुनाव में क्या अंतर है
-अंतर है। नौ लोकसभा सीटें हम जीते, पांच हारे थे। अबकी बार हमें उन पांच लोकसभा क्षेत्रों में भी भरपूर समर्थन मिलने वाला है। उसी के भरोसे कह रहे हैं कि हम सरकार बना रहे हैं।
आपने कार्यकर्ताओं से कहा था- पैसे के बल पर कोई टिकट नहीं ले सकता, क्या टिकट वितरण में इसका पालन हुआ
-पैसे के आधार पर झारखंड में किसी को टिकट नहीं मिला है। जिन्होंने काम किया है, उन्हें ही टिकट दिया गया है। कहीं-कहीं कास्ट इक्वेशन का ध्यान रखा गया है।
रघुवर दास व पूर्व सीएम अर्जुन मुंडा के परिजनों को टिकट देकर उन्हें एक ही सीट में इंगेज किया गया है
-मैं इससे सहमत नहीं हूं। ऐसा नहीं है कि उन्हें एक ही विधानसभा क्षेत्र में घेरने का कोई प्लान है। अपनी पार्टी के कार्यकर्ता को हम क्यों घेरेंगे, हम तो उनका उपयोग करेंगे। रघुवर दास राज्यपाल हैं, उनका टिकट लेने-देने की पॉलिटिक्स से कोई लेना देना नहीं है। जहां तक टिकट देने की बात है, अगर परिवार का कोई सदस्य जिताऊ है तो उसे टिकट मिलना चाहिए। उसे परिवार का आदमी नहीं मानना चाहिए। क्योंकि, अंत में विधानसभा में सरकार बनाने के लिए सिर गिने जाएंगे। नए कार्यकर्ता को मौका मिलना चाहिए। लक्ष्मीकांत के परिवार से कोई चुनाव नहीं लड़ेगा।
हेमंत ने कहा है कि यूसीसी लागू नहीं होने देंगे
-हेमंत सोरेन जब सीएम रहेंगे तब न रोकेंगे। हम बड़े भरोसे के साथ झारखंड की जनता का आशीर्वाद प्राप्त करके, कमल के फूल के नेतृत्व में सरकार बनाने जा रहे हंै। थोथा चना बाजे घना, आज हेमंत सोरेन जी की दशा वही है। विनम्रतापूर्वक कहना चाहता हूं कि वह कुछ भी कर लें, यह कहकर साबित कर रहे हैं कि वह घुसपैठियों के साथ हैं। हाईकोर्ट के निर्देश पर उन्होंने कार्रवाई नहीं की।
हिमंता बिस्वा सरमा हिंदुओं से एक होने का आह्वान कर रहे हैं, क्या यह ध्रुवीकरण नहीं है
-मैं इसे दूसरे रूप में कहना चाहूंगा। हिमंता जी घुसपैठियों के सवाल को उठा रहे हैं। घुसपैठियों और झारखंड की बदलती डेमोग्राफी की बात जब आम जनता के बीच कही जाती है, तो लगता है कि वे हिंदू-मुसलमान की बात कर रहे हंै। घुसपैठिए झारखंड की अस्मिता पर चोट कर रहे हैं। यहां की बेटियों से शादी कर उनकी जमीनंे हड़प रहे हैं।
झामुमो चुनाव आयोग से हिमंता बिस्वा सरमा के प्रचार पर रोक लगाने की मांग कर रहा है
-जब चुनाव आचार संहिता नहीं लगी थी, तब भी सत्ताधारी दल हम पर आरोप लगाता था। आज इनके महाधिवक्ता और चीफ सेक्रेट्री चुनाव आयोग में जा रहे हैं। उनको चुनाव आयोग में जाने का अधिकार नहीं है। चुनाव आयोग में जाता है पॉलिटिकल आदमी। मुख्यमंत्री जा सकता है। महाधिवक्ता और चीफ सेक्रेट्री अगर, चुनाव आयोग में जाते हंै तो यह सर्विस कंडक्ट रूल का उल्लंघन है। भाजपा की सरकार आने दीजिए, उनकी भी जांच होगी।
आपके संकल्प पत्र में भी रेवड़ियों की भरमार है, क्या इससे राज्य दिवालिया नहीं हो जाएंगे
-मैं इससे सहमत हूं। हमारी जो रेवड़ियां हैं, वो व्यक्ति के जीवन स्तर में सुधार के लिए हैं। लेकिन, देश में आज जो रेवड़ी कल्चर चल रही है, उसे हम एकदम बंद कर दें और चुनाव जीत जाएं यह असंभव है। इसलिए, हमने तय किया है कि पहले सरकार में चलें, जितना तय किया है, उतना देंगे। भविष्य में रेवड़ी कल्चर रुके, इसके लिए भी प्रयास किया जाएगा।
रघुवर दास की बहू चुनाव लड़ रही हैं, ऐसे में उनका जमशेदपुर में रहना उचित है
– रघुवर दास ओडिशा के राज्यपाल जरूर हैं, लेकिन उनका घर जमशेदपुर में है। उनका परिवार जमशेदपुर में रहता है, इसलिए वे आते-जाते रहते हैं। हालांकि, वे कल ही ओडिशा चले गए हैं।
भास्कर ऑफिस में भाजपा प्रभारी ने कहा- झारखंड में यूसीसी लागू होगा, रही बात हेमंत सोरेन की तो वह सीएम रहेंगे तब न रोकेंगे
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