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अपने पहले चुनावी भाषण में पीएम मोदी ने सीएम हेमंत सोरेन का नाम नहीं लिया। इसे आदिवासियों को साधने के तरीके के रूप में देखा जा रहा है।
झारखंड के गढ़वा और चाईबासा में PM नरेंद्र मोदी ने अपनी पहली जनसभा की। इसका फोकस पॉइंट था-रोटी, बेटी, माटी, महिला और युवा। भाषण की शुरुआत उन्होंने छठ पर्व की शुभकामना के साथ की। इसके बाद उन्होंने 3 नवंबर को जारी भाजपा के संकल्प पत्र को ऐतिहासिक और झार
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खास बात रही कि पूरे भाषण में PM मोदी ने झारखंड मुक्ति मोर्चा (JMM) पर हमला तो बोला, लेकिन सोरेन परिवार का नाम नहीं लिया। जानकारों का कहना है कि ऐसा करने के पीछे उनका आदिवासियों को साधने का प्रयास भी हो सकता है। आदिवासी समाज में सोरेन (शिबू सोरेन) परिवार की पैठ अभी भी बरकरार है।
चाईबासा में PM मोदी का पूरा भाषण आदिवासियों को समर्पित PM मोदी ने चाईबासा के टाटा कॉलेज मैदान में अपना पूरा भाषण आदिवासियों को फोकस कर की। बिरसा मुंडा से लेकर अंग्रेजों से लड़ने वाले आदिवासी योद्धाओं को याद किया। JMM-कांग्रेस और राजद को आदिवासी विरोधी बताया। इस दौरान उन्होंने सीता सोरेन पर इरफान अंसारी की टिप्पणी का भी जिक्र कर नारी शक्ति के अपमान से जोड़ा। पीएम मोदी ने कहा कि हो भाषा को उचित सम्मान मिलेगा।
PM ने कहा कि आदिवासी समाज को मजबूत किया जाएगा। धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष योजना और पीएम जन-मन योजना पर एक लाख करोड़ रुपए खर्च किया जाएगा। धान की एमएसपी 3100 रुपए होगी।
झारखंड में आदिवासी रिजर्व सीटों की अहमियत जानिए 2019 विधानसभा चुनाव में आदिवासी रिजर्व 28 सीटों में से भाजपा सिर्फ दो सीटों पर ही जीत सकी थी। इस कारण वह सत्ता से दूर हो गई थी। राजनीतिक पंडितों का मानना है कि बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी और एजेएसयू का अलग लड़ना घातक साबित हुआ। अगर दोनों साथ लड़ते तो कम से कम चार से पांच सीटें जीत सकते थे।
वोट शेयर के हिसाब से बीजेपी ने 33%, जेएमएम ने 34%, कांग्रेस ने नौ%, एजेएसयू ने 6% और अन्य छोटे दलों ने 18% वोट हासिल किया। यूपीए (झामुमो-कांग्रेस) ने 43% वोट शेयर के साथ जीत हासिल की। कुल 47 सीटों में से यूपीए (INDIA) की जीत का आधा हिस्सा आदिवासी रिजर्व सीटों से आया।
सभी आदिवासी रिजर्व सीट पर लोकसभा चुनाव हार गई थी भाजपा
2024 लोकसभा चुनाव में आदिवासी रिजर्व सीटों पर भाजपा का खराब प्रदर्शन रहा है। सभी पांचों सीटों पर इंडिया ब्लॉक की जीत हुई है। झामुमो ने तीन सीटों राजमहल, दुमका और सिंहभूम पर जीत दर्ज किया। वहीं, कांग्रेस ने लोहरदगा और खूंटी सीट पर कब्जा जमाया। लोकसभा चुनाव के आंकड़ों पर नजर डाले तो 28 में से 23 विधानसभा सीटों पर झामुमो-कांग्रेस और राजद की बढ़त है, जो पिछले विधानसभा चुनाव (2019) से सिर्फ दो सीट ही कम है।
आज भी आदिवासी समाज में सोरेन परिवार का वर्चस्व तीर-धनुष आदिवासी समाज का हथियार नहीं बल्कि उस समाज का धार्मिक, सांस्कृतिक एंव सामाजिक पहचान हैं। और तीर-धनुष ही JMM का चुनाव चिह्न है। कुछ जानकार ये भी बताते हैं कि इस कारण ही आदिवासी समाज दूसरे को वोट नहीं दे पाता है। वैसे बीते चुनाव से लेकर 2024 लोकसभा चुनाव के रिजल्ट बता रहे हैं कि अभी सोरेन परिवार का दबदबा कायम है।
जानिए क्या कहते हैं राजनीतिक जानकार
सीनियर जर्नलिस्ट आनंद कुमार ने कहा कि पहले चरण में 43 सीटों पर चुनाव होना है। इसमें से 20 आदिवासी रिजर्व सीटें हैं। पिछले चुनाव में भाजपा को 28 आरक्षित सीटों में से केवल दो सीटें ही मिल पाई थी। ऐसे में भाजपा या पीएम मोदी हेमंत सोरेन का नाम लेकर रिस्क नहीं लेना चाहती है, क्योंकि लोकसभा चुनाव से ठीक पहले उन्हें जेल भेजकर, उसके परिणाम देख चुकी है।
भाषण में सीधे तौर पर हेमंत सोरेन का नाम नहीं लिया, पर निशाने पर वही रहे। इसके पीछे की वजह यह हो सकती है भाजपा ऐसी कोई गलती नहीं करना चाहती जिसका लाभ हेमंत को सहानुभूति के रूप में मिले। – शंभूनाथ चौधरी, सीनियर जर्नलिस्ट
वहीं, सीनियर जर्नलिस्ट शंभूनाथ चौधरी का कहना है, ‘पहले चुनावी सभा के साथ भाजपा का एजेंडा स्पष्ट हो गया। उसके एजेंडे में बांग्लादेशी घुसपैठ का मुद्दा सबसे ऊपर है। भले ही यह मसला संथाल से संबंधित है, पर भाजपा को लगता है कि इस मुद्दे का भावनात्मक असर पूरे राज्य पर पड़ेगा। इससे उसे वोटों के ध्रुवीकरण में मदद मिल सकती है।
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चुनाव लड़ता तो CM की रेस में रहता…:अर्जुन मुंडा बोले- मैं चुनाव नहीं लड़ना चाहता था, पत्नी को टिकट दिलाने में मेरी भूमिका नहीं
परिवारवाद। दलबदल और सीएम फेस। तीन ये ऐसे सवाल हैं जो आजकल भाजपा नेताओं से लगातार पूछ जा रहे हैं। अब तक अलग-अलग नेता इसका जवाब देते रहे हैं। दैनिक भास्कर के इन सवालों का पूर्व CM अर्जुन मुंडा ने बेबाकी से जवाब दिया।
अपने बदले पत्नी को चुनाव लड़ाने के सवाल पर कहा कि मैं चुनाव लड़ता तो मैसेज जाता कि मैं सीएम की रेस में हूं। इसलिए हमने मना कर लिया। मेरी पत्नी को टिकट मिलना परिवारवाद नहीं है। वह किसी पद के लिए चुनाव नहीं लड़ रही हैं। वह पोटका की जनता का प्रतिनिधित्व करने के लिए मैदान में हैं। राजा का बेटा ही राजा बनेगा यह केवल कांग्रेस में है। पूरा इंटरव्यू यहां पढ़े..
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