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राजस्थान में टूरिस्ट सीजन की शुरुआत हो चुकी है। इसी को लेकर रेगिस्तानी इलाके सम में धोरों के बीच ‘टेंट वाला गांव’ बसना शुरू हो चुका है। खास बात ये है कि इस बार लग्जरी टेंट हाउस में फाइव स्टार होटल में मिलने वाली सुविधाएं पर्यटकों को ‘मिनी दुबई’ का एह
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जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर सम इलाके में करीब 10 किलोमीटर के एरिया में 400 से ज्यादा टेंट हाउस बनकर तैयार हो चुके हैं। होटल कारोबारियों की मानें तो टेंट सिटी बसाने में इस बार 500 करोड़ से ज्यादा का खर्च हुआ है। ये टेंट नवम्बर से फरवरी के बीच 4 महीने सर्दी रहने तक लगाए जाते हैं।
जैसलमेर से 45 किलोमीटर दूर सम इलाके में करीब 10 किलोमीटर के एरिया में 400 से ज्यादा टेंट हाउस बनकर तैयार हो चुके हैं।
सर्दियों में तैयार होती है टेंट सिटी सम कैंप एंड रिसॉर्ट वेलफेयर सोसाइटी के सेक्रेटरी गुलाम कादर बताते हैं- सर्दियों के दिनों में ही टेंट सिटी का काम हो पाता है। गर्मियों में चलने वाली आंधी के कारण ये टेंट फट जाते हैं। सैलानी भी भीषण गर्मी में जैसलमेर नहीं आते हैं। ये रिसॉट़्र्स सर्दी के दिनों में तैयार होते हैं और दीपावली के आसपास यहां सैलानियों की भीड़ उमड़ पड़ती है। सैलानियों की भीड़ जनवरी तक, यानी जब तक ठंड है तब तक रहती है। यहां 5 स्टार होटलों की सुविधाएं हम मुहैया कराते हैं।
टेंट सिटी के ठीक सामने रेगिस्तान का नजारा खूब आकर्षक करता है। यहां सैलानी कैमल सफारी का लुत्फ उठाते हैं।
एक तरफ रेगिस्तान, दूसरी तरफ लगते हैं टेंट
- हर लग्जरी रिसॉर्ट में 20 से लेकर 100 के करीब टेंट लगे होते हैं।
- ये टेंट 5 लाख से लेकर 15 लाख तक की कीमत में तैयार होते हैं।
- इनको अलग-अलग कैटेगरी में पर्यटन सीजन में बेचा जाता है।
- यानी जिसकी सुविधा जितनी लग्जरी उतना महंगा पैकेज।
- 5 हजार से लेकर 50 हजार तक एक नाइट स्टे का खर्च आता है।
- कैमल सफारी, राजस्थानी लोक गीत, कालबेलिया डांस और राजस्थानी फूड भी पैकेज में ही शामिल है।
- यहां आने वाले सैलानियों को ये टेंट सिटी मिनी दुबई का एहसास करवाती है।
जैसलमेर के समगांव में बने टेंट सिटी का नजारा। ठंड के सीजन में बड़ी संख्या में यहां पर्यटक आते हैं।
लग्जरी सुइट में अलग-अलग सुविधाएं मिलती हैं। यहां तक की स्विमिंग पूल भी…।
10 किमी के इलाके में 150 से ज्यादा रिसॉट्र्स सेक्रेटरी गुलाम कादर ने बताया- कनोई गांव से लेकर सम गांव तक करीब 10 किमी एरिया में 150 से ज्यादा लग्जरी रिसॉर्ट बने हैं। हर रिसॉर्ट की अपनी खासियत है। कोई छोटा है, जिसमें 20 टेंट है। कोई 100 टेंट के साथ रिसॉर्ट चला रहा है। सभी का उद्देश्य यही है कि सैलानियों को यहां बेहतरीन से बेहतरीन फैसिलिटी दी जाए। यहां मिलने वाली सुविधाएं देखकर सैलानी दंग रह जाते हैं।
टेंट में स्विमिंग पूल भी
सेक्रेटरी गुलाम कादर ने बताया- रिसॉर्ट में बने कपड़े के टेंट को पांच सितारा होटल के रूम की तरह डेकोरेट किया जाता है।
इस टेंट में आपको लग्जरी बेड, अलमारी, एसी, टेबल, सर्दियों से बचने के लिए हीटर, लग्जरी बाथरुम, स्विमिंग पूल तक की सुविधा दी जाती है। जैसा आपका बजट, वैसी सुविधाएं मिलती हैं।
डेजर्ट स्प्रिंग रिसॉर्ट के ओनर मयंक भाटिया ने बताया- हम यहां कैटेगरी बनाते हैं ताकि गेस्ट अपने बजट के लिहाज से टेंट का चुनाव कर सके। ये बजट 5 हजार से लेकर 50 हजार तक जाता है। दिसंबर अंतिम सप्ताह और जनवरी पहले सप्ताह के दौरान तो यहां एक भी टेंट खाली नहीं रहता है। सभी सैलानियों से भरे होते हैं।
टेंट सिटी में शाम 4 बजे चेक इन होता है। दिन की गर्मी की वजह से शाम को पहुंचना ठीक रहता है।
यहां शाम को होता है टूरिस्ट का चेक इन कादर बताते हैं- हर होटल में जहां आपको सुबह चेक इन मिलता है वहीं यहां इसका उल्टा है। यहां आने वाले सैलानियों को टेंट में शाम को 4 बजे चेक इन मिलता है। दिन भर रेगिस्तान की रेत सूरज की रोशनी में गरम होती है। इसलिए सैलानी यहां शाम बिताने, धोरों में सनसेट देखने और कल्चरल इवनिंग देखने आते हैं। यहां शाम 4 बजे के बाद सैलानियों की लाइन लगती है। सभी का राजस्थानी परंपरा के साथ तिलक लगाकर और ढोल बजाकर स्वागत किया जाता है। इसके बाद सभी को उनकी बुकिंग के लिहाज से टेंट में स्टे दिया जाता है।
सम इलाके में टेंट सिटी 4 महीने लगती है। इसके बाद टेंट यहां से हटा दिए जाते हैं।
अरब के रेगिस्तान का मजा जैसलमेर में कादर बताते हैं- अरब देशों जैसा लुत्फ उठाने सैलानी राजस्थान आते हैं। रेगिस्तान में ऊंट की सवारी करना सबसे ज्यादा पसंद करते हैं। यहां 500 से भी ज्यादा ऊंट हैं, जो सैलानियों को रेगिस्तान की सैर कराते हैं। इसके साथ ही रेगिस्तान में दुबई की तर्ज पर जीप सफारी भी करवाई जाती है।
सम कैंप एंड वेलफेयर सोसाइटी के अध्यक्ष और केके रिसॉर्ट के ओनर कैलाश व्यास बताते हैं- गेस्ट को सबसे ज्यादा आनंद कैमल सफारी में आता है। शहरों में अब ऊंट ना के बराबर हैं और ना ही उनका उपयोग होता है। ऐसे में आज कल के बच्चों ने तो केवल फिल्मों में ही ऊंट देखे हैं। इसलिए जब वे यहां आते हैं तो सबसे ज्यादा कैमल सफारी को इंजॉय करते हैं। ये एक अलग ही एक्पीरियंस होता है।
राजस्थानी लोक गीत और नृत्य देखने शाम को सैलानियों का जमावड़ा रहता है।
शाम को सजती है राजस्थानी संगीत की महफिल व्यास बताते हैं- रेगिस्तान की सफारी करने के बाद गेस्ट को हर रिसॉर्ट में राजस्थानी लोक-संगीत की महफिल में इनवाइट किया जाता है। इसके लिए हर रिसॉर्ट में एक अलग स्थान बनाया जाता है, जिसको कोर्टयार्ड कहते हैं। यहां एक तरफ कलाकारों के लिए मंच सजाया जाता। दूसरी ओर गेस्ट बैठते हैं। चाय-नाश्ते व पनीर पकौड़ों के साथ सैलानी राजस्थानी लोक गीतों और कालबेलिया डांस का आनंद लेते हैं। 150 से भी ज्यादा कलाकार रिसॉर्ट के जरिए अपनी कला को देश-विदेशों तक पहुंचाते हैं।
700 करोड़ आता है कुल खर्चा व्यास बताते हैं- सम में करोड़ों का इन्वेस्टमेंट होता है। 500 से 700 करोड़ के करीब खर्च के बाद ये टेंट सिटी तैयार होता है। इतने बड़े इन्वेस्टमेंट के बाद भी सरकार ना तो पानी की सुविधा दे रही है और ना ही बिजली की पर्याप्त व्यवस्था है। इन सबके बावजूद हम सम आने वाले सैलानियों की यात्रा को यादगार बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ते हैं। यहां के स्थानीय लोगों को हर रिसॉर्ट में रोजगार मिलता है। ऊंट वाले से लेकर, जीप सफारी, किराना, गाड़ी वाले सबको रोजगार मिलता है। इसके साथ ही यहां के लोक कलाकारों और कालबेलिया डांसर को स्टेज और रोजगार दोनों ही मिल रहा है। कैलाश व्यास ने बताया कि हमें गर्व है कि हम इन लोक कला को संरक्षण भी दे रहे हैं ताकि ये कला लुप्त ना हो जाए। सभी कलाकार व स्थानीय लोग सीधे तौर से हमारे साथ ही जुड़े हैं।
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