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गढ़वा में PM मोदी की पहली सभा, फिर जाएंगे चाईबासा
पीएम नरेंद्र मोदी की झारखंड में पहली चुनावी सभा सोमवार को गढ़वा और चाईबासा में होगी। गढ़वा से पलामू प्रमंडल के 9 और चाईबासा से कोल्हान के 14 सीटों को साधने की कोशिश करेंगे। 2019 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी कोल्हान के 14 सीटों में से सिर्फ 1 सीट जीती
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PM मोदी गढ़वा शहर से सटे चेतना गांव स्थित श्रीकृष्ण गौशाला मैदान में दिन के 12 बजे चुनावी सभा को संबोधित करेंगे। आजादी के बाद गढ़वा में पहली बार किसी प्रधानमंत्री की चुनावी सभा होगी। यहां से वे गढ़वा के 6 विधानसभा सीट के साथ-साथ पलामू प्रमंडल के 9 सीटों को साधने की कोशिश करेंगे।
गढ़वा के बाद दोपहर 2 बजे पीएम मोदी चाईबासा के टाटा कॉलेज मैदान में रैली को संबोधित करेंगे। यहां से आदिवासियों को लुभाने के साथ ही कोल्हान के 14 विधानसभा के उम्मीदवारों के पक्ष में मतदान की अपील करेंगे।
पीएम के आने से संजीवनी की उम्मीद
बीजेपी गठबंधन के लिए कोल्हान बड़ी चुनौती की तरह है। हालांकि, पूर्व सीएम चंपाई सोरेन को अपने खेमे में लाने से पार्टी की थोड़ी उम्मीद जगी है। इसके साथ ही पीएम के कोल्हान में सभा को संजीवनी की तरह देखा जा रहा है। 2019 के चुनाव परिणाम से सबक लेते हुए इस बार एनडीए और इंडिया गठबंधन के सामने असली परीक्षा कोल्हान ही बन गया है। एनडीए कोल्हान में अपनी जमीन वापस पाने के लिए जुट गया है।
चाईबासा में होने वाली सभा से मोदी आदिवासी वोटरों के साथ ही कुर्मी और अन्य पिछड़ा वर्ग के वोटरों को साधने का प्रयास करेंगे। कोल्हान की 14 सीटों पर औसतन 20 से 25 फीसदी वोटर आदिवासी हैं। इसके साथ ही ईचागढ़, जुगसलाई समेत कई सीटों पर कुर्मी वोटर्स की संख्या 15 से 18 फीसदी के करीब है। यह संख्या भी निर्णायक होती है।
कोल्हान की 14 सीटों पर सभी की नजर
झारखंड में सत्ता की राह कोल्हान के रास्ते गुजरती है। इस स्थिति में इंडिया गठबंधन और एनडीए दोनों को कोल्हान की 14 सीटों पर मजबूत पकड़ बनानी पड़ेगी। पिछले चुनाव में भाजपा और आजसू के बीच गठबंधन नहीं था। जिस वजह से भाजपा का खाता तक नहीं खुला। इस बार के चुनाव में एनडीए का समीकरण बदल चुका है। उसे न केवल आजसू का साथ मिला है, बल्कि कोल्हान में एक सीट पर जदयू भी मैदान में है।
चंपाई सहित चार मुख्यमंत्री की प्रतिष्ठा दांव पर
झामुमो से भाजपा में आए पूर्व मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन खुद सरायकेला और उनके बेटे बाबूलाल सोरेन घाटशिला से चुनावी मैदान में हैं। वहीं, पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास की बहू पूर्णिमा दास साहू जमशेदपुर पूर्वी विधानसभा क्षेत्र और पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की पत्नी मीरा मुंडा पोटका सीट से चुनाव लड़ रही हैं। राज्य में एक और मुख्यमंत्री रह चुके मधु कोड़ा की पत्नी गीता कोड़ा जगन्नाथपुर सीट से चुनाव मैदान में हैं। इन सबकी नजर भी प्रधानमंत्री के चुनावी कार्यक्रमों पर लगी हुई है।
पलामू प्रमंडलः NDA और I.N.D.I.A गठबंधन में कांटे की टक्कर
पलामू प्रमंडल में तीन जिले पलामू, लातेहार और गढ़वा हैं। विधानसभा की 9 सीटें हैं। इसमें 6 सीटें सामान्य हैं। दो सीटें एससी और एक एसटी के लिए आरक्षित हैं। ये सीटें हैं मनिका, लातेहार, पांकी, छतरपुर, डाल्टेनगंज, विश्रामपुर, हुसैनाबाद, गढ़वा और भवनाथपुर।
पलामू एरिया में पार्टियों की स्थिति समझिए…
NDA के अन्य घटक दलों की तुलना में भाजपा यहां मजबूत है। अभी 9 में से 5 विधायक भाजपा के हैं। पलामू प्रमंडल में विकास के मुद्दों के अलावा पार्टी अपने परंपरागत वोट बैंक के साथ-साथ पिछड़े वर्गों और आदिवासी वोटरों को भी अपनी ओर करने में लगी है।
वहीं, I.N.D.I.A गठबंधन में झामुमो का प्रभाव आदिवासी इलाकों में मजबूत है। माले, राजद और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ रही है। इस स्थिति में कड़ी टक्कर है। गठबंधन विकास के मुद्दों के साथ-साथ आदिवासी हितों और कई अन्य मुद्दों को प्रमुखता से उठा रही है।
जातीय समीकरण: आदिवासी-ओबीसी को साधने में जुटे दोनों गठबंधन
पलामू प्रमंडल में ब्राह्मण, यादव, कुर्मी, मुस्लिम, आदिवासी और अनुसूचित जाति के वोटर प्रमुख हैं। इन समुदायों के वोटर्स को साधने के लिए राजनीतिक दलों के बीच कड़े मुकाबले की स्थिति है। मोटे तौर पर यादव और अन्य पिछड़ी जातियों का समर्थन राजद, कांग्रेस और झामुमो को मिलता रहा है। भाजपा की पैठ सवर्ण जातियों और शहरी मतदाताओं में है। पलामू प्रमंडल में अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति के वोटर्स का भी प्रभाव है। झामुमो और कांग्रेस का आदिवासी मतदाताओं पर प्रभाव दिखता हैं।
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