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जिले के प्राचीन जल स्रोतों और ऐतिहासिक किलों में बनी बावड़ियों का सर्वे चल रहा है। रविवार को पुरातत्व विभाग की टीम ने जिले के अलग-अलग गांव में बने प्राचीन जल स्रोतों का निरीक्षण किया। अब टीम इसकी रिपोर्ट विभाग को सौंपेगी। इसके बाद प्राचीन जल स्रोतों
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ग्राम पंचायत केशवगढ के सरपंच प्रतिनिधि पुष्पेंद्र जैन ने बताया कि आज पुरातत्व विभाग की टीम ने गांव के प्राचीन किले में बनी ऐतिहासिक बावड़ी का निरीक्षण किया। भोपाल से आई टीम में शामिल वैष्णवी प्रशांत ने बताया कि पिछले दो दिनों के दौरान पुरानी खंडहर पड़ी 6 बावड़ियों का निरीक्षण किया गया है।
उन्होंने बताया कि कुराई गांव की बावड़ी, दिगौड़ा का किला और बावड़ी, मोहनगढ़ का किला बावड़ी और केशवगढ़ की बावड़ी का निरीक्षण किया गया। सालों से इनकी देखरेख पर ध्यान नहीं दिया गया है। जिसके चलते प्राचीन जल स्रोत और बावड़ी दुर्दशा का शिकार हो रहे हैं। जबकि कई जल स्रोत और बावड़ी ऐसे हैं, जिनमें आज भी काफी मात्रा में पानी है।
बावड़ियों का निरीक्षण करती भोपाल से पहुंची टीम।
पुष्पेंद्र जैन ने बताया कि राजशाही दौर में जल संरक्षण के लिए अत्याधुनिक तकनीक से बावड़ियों का निर्माण किया गया था। वर्तमान में कई जल स्रोत अस्तित्व खो चुके हैं। कई जल स्रोत ऐसे हैं, जिनमें काफी मात्रा में पानी है। लेकिन देखरेख के अभाव में अनुपयोगी पड़े हैं।
वैष्णवी प्रशांत ने बताया कि फिलहाल पुराने जल स्रोतों और बावड़ियों का रिसर्च करने आए हैं। निरीक्षण के बाद इसकी एक रिपोर्ट तैयार कर विभाग को सौंप जाएगी। इसके बाद जल स्रोतों के संरक्षण और रखरखाव को लेकर कार्य योजना शुरू होगी।
लोगों को मिल सकेगा साल भर पानी
वैष्णवी प्रशांत ने बताया कि दिगौड़ा, मोहनगढ़, केशवगढ़ के किले में कलात्मक ढंग से बावड़ियों का निर्माण कराया गया है। अगर इनका बेहतर ढंग से रख रखाव और साफ सफाई करा दी जाए तो लोगों को साल भर साफ-स्वच्छ पानी उपलब्ध हो सकेगा।
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