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गधे को ठेले पर बैठाकर आतिशबाजी करते युवा।
दीपावली पर्व का अगला दिन सभी जगह अन्नकूट महोत्सव के रूप में मनाया जाता है। आज के दिन गाय और बैलों की विधि विधान से पूजा अर्चना की जाती है तो कहीं ट्रैक्टर और विभिन्न खेती बाड़ी में काम आने वाले साधनों या यू कहे कि रोजगार के काम आने वाले साधनों की पूज
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आयोजन से पूर्व गधे को सजाते हुए कुम्हार
लेकिन भीलवाड़ा जिले के मंडल कस्बे में कुम्हार गधे की पूजा कर बड़े ही उत्साह से आज का पर्व मनाते हैं। ये लोग गधे को बड़े सुंदर तरीके से सजाते हैं और उसके बाद पटाखे चलाकर मनोरंजन के साथ आयोजन का आनंद लेते हैं।
उत्सव के दौरान गधों की पूजा करते ग्रामीण।
ग्रामीण बताते हैं कि जिस प्रकार किसान गाय और बैल की पूजा करते हैं उसी प्रकार हमारा समाज गधों की पूजा करता है। पुराने दौर में जब आवागमन का कोई साधन नहीं था, ऐसे में गधों से ही समान को लाया ले जाया जाता था। जैसे बैल से खेतों में कृषि कार्य होते हैं वैसे ही गधों पर तालाब से मिट्टी ढोकर घर तक लाते थे। गधे हमारे लिए रोजगार का साधन है, इसलिए इनका पूजन किया जाता है। यह परंपरा दादा परदादा के जमाने से चली आ रही है।
आयोजन देखने बड़ी संख्या में ग्रामीण इकट्ठा होते हैं
हमारा कुम्हार (प्रजापति ) समाज गधों ( बैसाख नंदन ) की पूजा धूमधाम से करता है। पूरा समाज एक जगह इकट्ठा होता है दूर-दूर से परिवार के लोग भी इस कार्यक्रम को देखने के लिए पहुंचते हैं।
युवाओं ने गधे को ठेले पर बैठाकर आतिशबाजी की।
इस तरह होता है आयोजन
मांडल के प्रताप नगर क्षेत्र में गधों को नहला-धुला कर सजाया जाता है। उन पर रंग-बिरंगे कलर से साज सज्जा की जाती है। उन्हें माला पहनाई जाती है और उसके बाद उन्हें चौक में लाया जाता है। यहां पंडित पूजा अर्चना के बाद इनका मुंह मीठा कराते हैं। इसके बाद उनके पैरों में पटाखे डालकर इन्हें भड़काया जाता है। गधे दौड़ते हैं और पीछे-पीछे लोग।मांडल सहित आसपास गांव के लोग यहां इस कार्यक्रम को देखने के लिए इकट्ठा होते है।
आयोजन के दौरान गधे की सवारी करते युवक
इसलिए करते है गधों की पूजा
भीलवाड़ा के मांडल सहित आसपास के क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा के मोके पर गधों की पूजा कर उन्हें दौड़ाया गया. यहां कुम्हार जाति के लोगों की रोजी रोटी का साधन एक मात्र गधे हैं. इनके जरिए ये लोग तालाब से मिट्टी दोहन करते हैं और मिट्टी के बर्तन बनाकर अपना रोजगार चलाते हैं. कुम्हार सालों से दीपावली के अगले दिन इन गधों की पूजा अर्चना करते आ रहे हैं. पूजा के बाद इनको दोड़ाने के साथ साथ युवा इस दिन जमकर आतिशबाजी भी करते हैं.
आयोजन के दौरान डांस करते ग्रामीण
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