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5 साल में 7 साल बढ़े हेमंत सोरेन; हलफनामे के बाद से राज्य की राजनीति गरमाई हुई है।
झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की उम्र 5 साल में 7 साल बढ़ गई है। यह कारनामा उनके चुनावी हलफनामे में हुआ है। इस पर विपक्षी दल खासकर भाजपा हमलावर है। झामुमो (झारखंड मुक्ति मोर्चा) के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने 24 अक्तूबर को बरहेट (एसटी) विधान
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दरअसल, वोटर अपने उम्मीदवार को सही-सही जान सके, इसके लिए चुनाव आयोग ने प्रत्याशियों के लिए हलफनामा दाखिल करना अनिवार्य बनाया। लेकिन क्या इन हलफनामों के कोई मायने हैं? अगर कोई गलत हलफनामा दाखिल करे, तो उसका क्या बिगड़ेगा? जानिए…
पहले जानिए, हेमंत सोरेन मामले में आयोग ने क्या कहा है
हेमंत सोरेन विवाद पर झारखंड के मुख्य निर्वाचन पदाधिकारी के. रवि कुमार ने कहा कि यह मामला इलेक्शन पिटिशन का है। मैं टिप्पणी नहीं कर सकता।
- नॉमिनेशन पर निर्णय लेने में रिटर्निंग अफसर (आरओ) ही सक्षम होते हैं।
- आरओ फौरी तौर पर (समरी रिवीजन) देखते हैं कि आयोग की गाइडलाइन के अनुसार शपथ-पत्र का कोई कॉलम खाली है या नहीं।
- आरओ, उम्र पर निर्णय नहीं लेता है। शपथ के तथ्य गलत हैं तो यह इलेक्शन पिटिशन का मामला बनता है। इसके आगे मैं टिप्पणी नहीं कर सकता।
बरहेट से उम्मीदवार हेमंत सोरेन के हलफनामे ने झारखंड की राजनीति को गरमा दिया है। हलफनामा में दी गई जानकारी के अनुसार पांच साल में हेमंत सोरेन की उम्र सात साल बढ़ गई है।
नियम में चुनाव लड़ने से रोकने का प्रावधान नहीं
दरअसल, गलत हलफनामा के खिलाफ चुनाव आयोग के अधिकार बहुत सीमित हैं। आयोग संपत्ति के आंकड़ों को इनकम टैक्स विभाग को भेज देता है, लेकिन बाकी हलफनामे की जांच तभी की जाती है, जब शिकायत मिलती है। कोई शिकायत न मिले तो ये हलफानामे कूड़े के ढेर जैसे ही हैं। अगर शिकायत में एफिडेविट गलत पाया भी जाए तो आयोग बहुत कुछ नहीं कर सकता।
द रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपल्स एक्ट (RPA) 1951 की धारा 125ए के तहत अधिकतम 6 महीने की सजा हो सकती है। जुर्माना भी लगाया जा सकता है, लेकिन कैंडिडेट को चुनाव लड़ने से नहीं रोका जा सकता। हालांकि, RPA का सेक्शन 8ए कहता है कि अगर उम्मीदवार करप्ट प्रैक्टिस करता हो, यानी रिश्वत या फिर वोट के लिए धमकियां देता हो तो उसे चुनाव लड़ने से रोका भी जा सकता है। इसी करप्ट प्रैक्टिस की परिभाषा पर विवाद भी है।
पार्लियामेंट्री कमेटी की सिफारिश पर अब तक नहीं लगी मुहर प्रत्याशियों के गलत जानकारी देने पर बहुत से नेताओं का मत है कि इसके लिए सजा बढ़ाई जानी चाहिए, खासकर आपराधिक मामलों को छिपाने वालों पर। साथ ही चुनाव लड़ने पर भी रोक लगनी चाहिए ताकि केवल साफ छवि वाले लोग ही नेता बन सकें। इसे लेकर 2023 में संसदीय कमेटी ने तात्कालीन भाजपा सांसद (दिवंगत) सुशील मोदी की अध्यक्षता में रिपोर्ट सौंपी थी। कमेटी ने सिफारिश की कि गलत हलफनामा दायर करने की मौजूदा सजा को बढ़ा दिया जाए। फिलहाल सिफारिश पर फैसला पेंडिंग है।
कमेटी की दो महत्वपूर्ण सिफारिश
- सजा की गंभीरता, अपराध की गंभीरता के आधार पर होनी चाहिए, न कि तयशुदा।
- गलत जानकारी वाले मामले को 8(1) के तहत रखा जाए। ये वो सेक्शन है, जो उम्मीदवार को चुनाव के लिए अयोग्य बनाता है।
हेमंत के इस हलफनामे को लेकर भाजपा हमलावर है
फरवरी 2020 में आयोग ने दिया था सुझाव चुनाव सुधार को लेकर फरवरी 2020 में विधि मंत्रालय में सचिव जी नारायण राजू के साथ मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा, चुनाव आयुक्त अशोक लवासा और सुशील चंद्रा ने बैठक की। इसके बाद आयोग ने बयान जारी कर कहा, ‘बैठक में गलत हलफनामा देने और फर्जी खबरों के प्रसार को निर्वाचन प्रक्रिया दूषित करने वाले अपराध की श्रेणी में रखने का प्रस्ताव दिया गया है, जिससे निर्वाचित होने के बाद दोषियों की सदस्यता समाप्त की जा सके।’
एक मामले में सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा था
‘भारत में कोई भी शैक्षिक योग्यता के आधार पर वोट नहीं देता है और इसलिए चुनाव उम्मीदवार की शैक्षिक योग्यता के बारे में गलत जानकारी देना लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 की धारा 123(4) और धारा 123 (2) के तहत ‘भ्रष्ट आचरण’ नहीं कहा जा सकता है।’
दरअसल, जस्टिस के.एम. जोसेफ और जस्टिस बी.वी. नागरत्ना ने फरवरी 2023 में यह टिप्पणी की थी। पीठ पूर्व विधायक अनुग्रह नारायण सिंह की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी।याचिका में इलाहाबाद हाईकोर्ट के उस आदेश को चुनौती दी गई थी, जिसमें कहा गया था कि भाजपा उम्मीदवार हर्षवर्धन वाजपेयी द्वारा प्रस्तुत शैक्षिक योग्यता से संबंधित गलत जानकारी मतदाताओं के चुनावी अधिकारों में हस्तक्षेप नहीं करती है। हालांकि, आपको बता दें यहां हेमंत सोरेन का मामला उम्र के विवाद से जुड़ा है।
मंगल कालिंदी की 5 साल में 42 से 51 के हो गए!
इससे पहले हेमंत की पार्टी के ही प्रत्याशी मंगल कालिंदी का भी मामला ऐसा आया है। उन्होंने 2019 में अपनी उम्र 42 साल बताया था। 2024 में जब उन्होंने हलफनामा दिया, तो अपनी उम्र 51 वर्ष बताया। भाजपा के अंकित आनंद ने इसी को आधार बनाकर कालिंदी के खिलाफ जांच शुरू करने और उनका नामांकन रद्द करने की चुनाव आयोग से मांग की है।
पांच साल में हेमंत की संपत्ति दोगुना, कल्पना फिर भी अमीर
झामुमो के टिकट पर शिबू सोरेन के दो बेटे सीएम हेमंत सोरेन, विधायक बसंत सोरेन और बहू कल्पना सोरेन चुनाव मैदान में है। 2024 के चुनावी हलफनामे के अनुसार, तीनों में सबसे अमीर कल्पना सोरेन हैं।
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