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इंदौर जिले के गौतमपुरा में हर साल दिवाली के दूसरे दिन आयोजित होने वाला ‘हिंगोट युद्ध’ एक परंपरागत और साहसिक आयोजन है। जो न केवल स्थानीय लोगों के लिए बल्कि पर्यटकों और बाहरी लोगों के लिए भी आकर्षण का केंद्र बन चुका है। इस बार भी गौतमपुरा में हिंगोट यु
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सुरक्षा के व्यापक इंतजाम
गौतमपुरा के इस वार्षिक आयोजन में अप्रिय घटना को रोकने के लिए प्रशासन और पुलिस द्वारा सख्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे। गौतमपुरा थाना प्रभारी अरुण सोलंकी ने जानकारी दी कि इस बार आयोजन के दौरान सुरक्षा के मद्देनजर 280 पुलिस जवान तैनात किए गए थे ताकि भीड़ पर नियंत्रण रखा जा सके और किसी भी आपात स्थिति में तुरंत कार्रवाई की जा सके। इसके अलावा 160 कोटवार, नगर सैनिक और नगर सुरक्षा समिति के सदस्य भी पूरे समय मौके पर मुस्तैद रहे, जिन्होंने भीड़ को नियंत्रित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
घायलों की त्वरित चिकित्सा व्यवस्था
‘हिंगोट युद्ध’ में हर साल कुछ लोगों के घायल होने की आशंका रहती है और इस बार भी 15 लोगों के घायल होने की खबर सामने आई है। हालांकि राहत की बात यह है कि कोई भी गंभीर रूप से घायल नहीं हुआ। एसडीएम रवि वर्मा ने जानकारी दी कि घायलों को तत्काल चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने के लिए पहले से ही इंतजाम किए गए थे। ब्लॉक मेडिकल ऑफिसर डॉ. अभिलाष शिवरिया के नेतृत्व में मौके पर 5 एंबुलेंस तैनात की गई थीं ताकि घायल योद्धाओं को त्वरित उपचार दिया जा सके। चिकित्सा दल ने सक्रियता से घायलों का उपचार किया और स्थिति को नियंत्रण में रखा।
प्रशासनिक अधिकारी भी रहे मुस्तैद
‘हिंगोट युद्ध’ में सुरक्षा और व्यवस्था बनाए रखने के लिए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारियों की भी विशेष उपस्थिति रही। एसडीएम रवि वर्मा, मुख्यालय डीएसपी उमाकांत चौधरी, एसडीओपी राहुल खरे के अलावा बेटमा, गौतमपुरा, देपालपुर, हातोद और चंद्रावतीगंज के टीआई और स्टाफ भी मौके पर मौजूद रहे। इस बार प्रशासन की सतर्कता और तैयारियों के कारण आयोजन में कोई अप्रिय घटना नहीं हुई और लोगों ने इस परंपरा का भरपूर आनंद लिया।
सांस्कृतिक धरोहर का प्रतीक
गौतमपुरा का ‘हिंगोट युद्ध’ न केवल एक प्राचीन परंपरा है बल्कि यह क्षेत्रीय संस्कृति और साहस का प्रतीक भी है। स्थानीय लोग इसे अपनी सांस्कृतिक धरोहर मानते हैं और इसके प्रति गहरी श्रद्धा रखते हैं। दीपावली के दूसरे दिन इस युद्ध का आयोजन करते हुए ग्रामीणों ने दिखा दिया कि वे अपनी सांस्कृतिक जड़ों से कितनी गहराई से जुड़े हुए हैं। यह आयोजन आज भी एक जीवित परंपरा के रूप में लोगों को अपने पूर्वजों की बहादुरी और साहस की याद दिलाता हैं।
भीड़ में गूंजते जयकारे और रोमांच
इस आयोजन को देखने के लिए गौतमपुरा और आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए। जयकारों और रोमांच की गूंज के बीच योद्धाओं ने अपने दल की जीत के लिए पूरी ताकत झोंक दी। ‘हिंगोट युद्ध’ को लेकर लोगों में जोश और उमंग इतनी अधिक थी कि हर वार, हर पल को भीड़ ने रोमांचित होकर देखा। स्थानीय लोगों और प्रशासन के बेहतर समन्वय के कारण इस परंपरागत आयोजन का आयोजन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ। गौतमपुरा का ‘हिंगोट युद्ध’, जहां एक ओर साहस, परंपरा और शौर्य की भावना को जीवित रखता है वहीं दूसरी ओर लोगों को उनके सांस्कृतिक विरासत से जोड़ने का भी कार्य करता है।
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