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मां को पता नहीं उसका बेटा इस दुनिया में नहीं रहा। चाचा को घायलों को अस्पताल पहुंचाने में लगा रहा, लेकिन उसे भी पता नहीं चला कि भतीजा भी इनमें शामिल है। चचेरा भाई भी घटनास्थल से कार लेकर गुजरा। परिचित का कॉल आने पर पता चला, जिन घायलों को अस्पताल पहुंच
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दरअसल, सीकर के लक्ष्मणगढ़ में 29 अक्टूबर को बस पुलिस से टकरा गई थी और हादसे में 13 लोगों की मौत हो गई थी। हादसे में जान गंवाने वाले 13 लोगों में फतेहपुर का आदित्य (16) भी था। वह अपनी मां ममता मेघवाल के साथ मौसी के पास से सालासर में डेंगू का इलाज कराकर लौट रहा था। हादसे के दौरान उसके कॉन्स्टेबल चाचा घायलों को अस्पताल पहुंचाने में जुटे थे। उन्हें मालूम ही नहीं था कि उनका भतीजा और भाभी भी इसी बस में थे।
ममता मेघवाल अब भी सीकर के एसके अस्पताल में भर्ती हैं और उन्हें मालूम ही नहीं है कि जिस बेटे का वह डेंगू का इलाज कराकर लाई थी वो सड़क हादसे में अपनी जान गंवा चुका है।
ये हैं आदित्य के पिता, बेटे का शव देखकर बेसुध हो गए। परिजनों ने उन्हें संभाला, हालांकि अब तक मां ममता को मालूम नहीं है कि उनका बेटा अब इस दुनिया में नहीं रहा।
5 थानों की पुलिस में आदित्य का चाचा भी था चूरू के मानासी थाने में तैनात आदित्य के कॉन्स्टेबल चाचा रामप्रताप (35) ने बताया- 29 अक्टूबर दोपहर 1 बजे के करीब थाने में सूचना मिली कि लक्ष्मणगढ़ में बस का एक्सीडेंट हुआ है और बड़ी संख्या में लोग घायल हैं। सूचना मिलने पर थाने का जाब्ता मौके पर पहुंचा। उस समय तक फतेहपुर, सालासर, बलारा और सीकर थाने की पुलिस भी पहुंच चुकी थी। पुलिसकर्मियों के साथ स्थानीय लोग भी राहत कार्य में जुटे थे। मैं भी बस में फंसे घायलों को बचाने में लगा था। मौके पर अफरा-तफरी का माहौल था और चीख-पुकार मची हुई थी।
आदित्य का छोटा भाई पीयूष (13), बड़े भाई के शव को देखकर रोता रहा।
रामप्रताप ने बताया-
लक्ष्मणगढ़ के वार्ड-31 के पार्षद प्यारेलाल का कॉल आया, जो भाभी ममता के पीहर पक्ष से है। पार्षद ने पूछा कि आप कहां हो। लक्ष्मणगढ़ में बस का एक्सीडेंट हुआ है, इसमें आपकी भाभी ममता और भतीजा भी है। उन्हें लक्ष्मणगढ़ हॉस्पिटल में लाया गया है।
रामप्रताप ने बताया- इसके बाद मैंने तुरंत फतेहपुर पीडब्ल्यूडी विभाग में जेईएन भतीजे बृजेश को कॉल कर हादसे के बारे में बताया और कार लेकर मौके पर बुलाया। बृजेश पास में ही था और कुछ देर पहले इसी रास्ते से निकला था। बात होने के थोड़ी देर बाद ही वह मौके पर पहुंच गया। हम दोनों कार से लक्ष्मणगढ़ हॉस्पिटल पहुंचे। इससे पहले ही भाभी ममता के माता-पिता हॉस्पिटल में पहुंच चुके थे।
रास्ते में पार्षद का कॉल आया कि ममता की हालत ज्यादा खराब है। हाथ-पैर में फ्रैक्चर है और कई जगह चोटें आई हैं। उसे सीकर रेफर कर दिया गया है, आप सीधे सीकर के एसके सरकारी हॉस्पिटल ही पहुंच जाओ। वहां पहुंचकर पता चला कि भाभी के साथ आदित्य भी था। हादसे के बाद सभी घायलों को हॉस्पिटल में पहुंचाया जा चुका था। मैं और बृजेश पहले शिखर हॉस्पिटल पहुंचे, लेकिन वहां भी आदित्य नहीं मिला। इसके बाद लक्ष्मणगढ़ अस्पताल पहुंचे। करीब 3 घंटे तलाशने के बाद हमें आदित्य का शव मॉर्च्युरी में मिला।
चचेरा भाई हादसे की जगह से होकर गुजरा था आदित्य के चचेरे भाई बृजेश ने बताया- वह फतेहपुर से सीकर अपनी बहन को लेने के लिए जा रहा था। लक्ष्मणगढ़ में हादसे वाली जगह पुलिया के पास पहुंचने से पहले ही एक्सीडेंट हो चुका था। वहां पहुंचने के बाद करीब पांच मिनट रुका भी था, लेकिन मुझे यह नहीं पता था कि चाची और आदित्य भी इसी बस में हैं। थोड़ी देर निकलने के बाद चाचा ने कॉल किया, तो वापस हादसे की जगह पर पहुंचा। लोग घायलों को बस से निकालने के लिए मशक्कत कर रहे थे। चाची को एंबुलेंस से हॉस्पिटल ले जाया जा चुका था।
सालासर दर्शन की कह रहा था आदित्य परिजनों ने बताया- 27 अक्टूबर को आदित्य जब घर पहुंचा तो हल्का बुखार था, लेकिन दूसरे दिन बुखार तेज हो गया। ऐसे में डेंगू का अंदेशा देखते हुए सालासर में रहने वाली बहन ललिता (सरकारी नर्स) को आदित्य की मां ममता ने कॉल कर इसके बारे में बताया था। ललिता ने बहन से कहा था कि आदित्य को लेकर सालासर आ जा।
आदित्य को उसकी मां इलाज के लिए अपनी बहन के पास ले गई थीं, जहां घर पर ही आदित्य का इलाज किया गया। स्वस्थ होने के बाद आदित्य और ममता बस से घर के लिए मंगलवार सुबह निकले थे।
घर लौटते समय आदित्य ने मां से कहा था कि सालासर के दर्शन करने के बाद घर चलेंगे, लेकिन मां ममता ने यह कहते हुए मना कर दिया था कि आज धनतेरस है और घर पर साफ-सफाई भी करनी है। सालासर के दर्शन करने जाएंगे तो देर हो जाएगी। लौटते हुए लक्ष्णमगढ़ में यह हादसा हो गया।
दादा अपने पोते के शव को देखकर रोते रहे, कहते रहे अब कौन उनकी गोद में आकर खेलेगा।
चार दिन पहले ननिहाल से आया था घर आदित्य दसवीं क्लास में पढ़ता था। छोटा भाई पीयूष 8वीं कक्षा में है। आदित्य का इसी साल सीकर के एक प्राइवेट स्कूल में एडमिशन करवाया था। वह लक्ष्मणगढ़ के वार्ड-31 स्थित ननिहाल में रहकर पढ़ाई कर रहा था। ननिहाल से स्कूल की दूरी करीब 25 किलोमीटर है, ऐसे में आदित्य बस से रोजाना अप-डाउन करता था। दीपावली की छुट्टियों में वह ननिहाल से 25 अक्टूबर को अपने गांव कारंगा छोटा आया था।
आदित्य, जिसे 27 अक्टूबर को डेंगू हुआ था। उसके बाद से वह सालासर में मौसी के पास अपना इलाज करवा रहा था।
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