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राजस्थान में गौवंश को अब आवारा नहीं कहा जाएगा। प्रदेश की भजनलाल सरकार ने गौ वंश को लेकर उपयोग में लिए जाने वाले शब्द को लेकर आपत्ति जाहिर की है। गोपालन विभाग ने रविवार देर रात प्रदेश के सभी सरकारी विभागों में गौवंश के लिए सम्मानजनक शब्द प्रयोग करने क
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गोपालन विभाग के शासन सचिव समित शर्मा ने बताया कि गौ वंश हमारी सांस्कृतिक धरोहर का महत्वपूर्ण हिस्सा है। इन दिनों अलग-अलग कारणों की वजह से गौवंश निराश्रित और बेसहारा हो जाते हैं जिन्हें असहाय स्थिति में सड़कों पर या फिर सार्वजनिक स्थानों पर देखा जाता है। इस वजह से इन गौ वंश के लिए आवारा शब्द का इस्तेमाल किया जाता है। जो पूरी तरह अपमानजनक और अनुचित है। यह हमारे सांस्कृतिक मूल्यों के खिलाफ है।
स्वतंत्र रूप से विचरण करने वाले गौ वंश को आवारा ना कह कर निराश्रित और भी बेसहारा गौ वंश संबोधित किया जाना चाहिए। यह शब्दावली इन गौ वंश के प्रति संवेदनशीलता, सम्मान और करुणा दर्शाती है। जिससे समाज में भी इन गौवंश के कल्याण के लिए दृष्टिकोण पैदा होगा।
ऐसे में प्रदेश के सभी सरकारी और अनुदानित संस्थाओं द्वारा गौवंश के लिए अब से सम्मानजनक शब्दावली का प्रयोग किया जाना चाहिए। इसके साथ ही प्रदेश सरकार के किसी राजकीय आदेश, दिशा-निर्देश, सूचना, परिपत्र और रिपोर्ट में भी आवारा गौ वंश के स्थान पर निराश्रित और बेसहारा गौ वंश शब्द का इस्तेमाल होना चाहिए। इसके लिए निजी संस्थाओं को भी प्रेरित किया जाएगा।
बता दें कि पिछले लंबे वक्त से राजस्थान में गौवंश को लेकर नगर निगम और नगर पालिकाओं में आवारा गौ वंश शब्द का इस्तेमाल किया जा रहा था। जिसको लेकर अब गोपालन विभाग ने गाइडलाइन जारी की है। ऐसे में भविष्य में आवारा गौ वंश के स्थान पर अब निराश्रित और बेसहारा गौ वंश शब्द का इस्तेमाल किया जाएगा। यह देखना भी दिलचस्प होगा कि प्रदेश में गौ वंश की बदहाल स्थिति पर गोपालन विभाग कब तक कोई ठोस नीति बनाएगा और निराश्रित गौवंश की स्थिति में सुधार आ पाएगा।
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