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उमरिया जिले में आदिवासी कोल समुदाय का पर्व बिरहिंया रविवार से शुरू हो गया है। शरद पूर्णिमा से ही इसकी तैयारी शुरू कर दी जाती है। एकदशी को इसका विसर्जन होता है। इस पर्व में आदिवासी कोल समुदाय पारंपरिक वेशभूषा में मांदर, टिमकी और लोक गीत पर डांस करता ह
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अर्चना कोल ने बताया कि हम सबको बिरहिंया पर्व का विशेष रूप से इंतजार रहता है। सालभर में बिरहा पर एक बार आता है। हम सब इसमें तैयार होते हैं। मांदर, नगड़िया बजाकर लोकगीत गाते हैं। ये हमारा पुश्तैनी पर्व है। बल्लू कोल ने बताया कि बिरहिंया पर्व शरद पूर्णिमा से शुरू होता है। दो दिन विशेष रहते हैं, जिसमें शनिवार रात को कोल समाज के सभी लोग एकत्रित होते हैं। मनोज कोल ने बताया कि दूसरे दिन दिन भर उत्साह मनाने के बाद गौरा पार्वती का विसर्जन कर दिया जाता है। बिरहिंया पर्व दस दिन का होता है।
इन तस्वीरों में देखिए लोकपर्व की छटा
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