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चक्रवात दाना ने खेती को किया प्रभावित, सब्जियों की कीमतों में वृद्धि
चक्रवाती तूफान दाना ने बीते तीन दिनों से आम जनजीवन को अस्त-व्यस्त कर रखा है। रोजमर्रा के कामकाज तो प्रभावित हुए ही हैं, वहीं खेती पर सीधा असर डाला है। इस तूफानी चक्रवात ने अगर किसी के जीवन को सबसे अधिक प्रभावित किया है तो वे किसान हैं। लगातार हुई बार
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धान की फसल लगभग 75% तैयार हो गई थी, अगले माह कटाई शुरू होनी थी। इससे पहले चक्रवात के कारण तेज हवा और बारिश ने किसान की सारी मेहनत पर पानी फेर दिया। पकने को तैयार खेत में लगी धान की फसल गिर गई। वहीं, सब्जी की खेती भी प्रभावित हुई है।
रांची के आसपास ऐसी है किसानों की स्थिति
सोनाहातू : इस बार जुलाई के अंत में धनरोपनी शुरू हुई थी। 75% धान की फसल पकने के बाद बालियां खेतों में गिरी पड़ी हैं। खेत में पानी भरा होने से सब्जियों के पौधे भी नष्ट हो रहे हैं। सोनाहातू बीडीओ ने बताया कि किसानों को नुकसान हुआ है तो आवेदन दें। जांच के बाद कार्रवाई होगी।
ठाकुरगांव : क्षेत्र में पिछले दो दिनों से हो रही बारिश से खेतों में लगी सब्जियों की फसल बर्बाद हो गई है। खेतों में धान की बालियां गिर गई हैं। फूलगोभी, बींस, टमाटर, धनिया पत्ता की फसल को भारी नुकसान पहुंचा है।
मुरी : मुरी और आसपास के गांवों में तूफान का जबर्दस्त असर है। किसान मोंटू कर्मकार और गंगाधर रजक ने बताया कि असमय बारिश से 50% फसल नष्ट हो गई है। सरकार भी सुध नहीं ले रही है। सिल्ली : तेज हवा से धान की बालियां खेतों में गिर गई हैं। किसान किशोर कुशवाहा ने बताया कि फसल कटाई के लिए तैयार होती, इससे पहले ही चक्रवात के कारण बर्बाद होने के कगार पर पहुंच गई है। सब्जियों की खेती को भी नुकसान पहुंचा है।
बेड़ो : बेड़ो व आसपास के क्षेत्रों में बेमौसम बारिश से किसानों के खेत में लगी धान व मड़ुआ की फसलों को काफी नुकसान पहुंचा है। किसानों ने कहा कि खेत में पानी भरा है और धान की बालियां गिर गई हैं। सब्जियों के पौधे भी गिर गए हैं।
सब्जियों की कीमतों में आया उछाल बारिश ने न केवल खड़ी फसलों को बर्बाद किया बल्कि बाजार में उतरने को तैयार सब्जियों को भी बर्बाद कर दिया है। आलम यह है कि सब्जियों की कीमतें आसमान छू रही हैं। 50 रुपए प्रति किलो से कम कीमत पर एक भी सब्जी नहीं है। बारिश का हवाला देकर बिचौलिए सब्जी में मुनाफाखोरी कर रहे हैं। बीते 3 दिनों में ही सब्जियों की कीमत में करीब 25% तक की बढ़ोतरी हो गई है।
क्या कहते हैं एग्रीकल्चर एक्सपर्ट
बीएयू के निदेशक अनुसंधान पीके सिंह ने बताया कि इस बार मॉनसून की बारिश देरी से हुई तो किसानों ने धान की बुआई भी देरी से की। अभी धान तैयार होने के कगार पर है, लेकिन तेज हवा और बारिश से फसल खराब हो सकती है।
जो बाली गिर गई है, उसमें धान नहीं हो पाएंगे। किसानों को चाहिए कि वे जल्द खेत से पानी निकालें, यह धान और सब्जी की फसल के लिए बेहद फायदेमंद होगा। अभी बारिश से खेतों में नमी रहेगी, ऐसे में अब रबी की फसल लगाने में भी देरी होगी।
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