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पैंथर के आगे-पीछे घूम रहा वन विभाग मंगलवार को खुद फरार नजर आया। शहर में सज्जनगढ़ स्थित बायोपार्क में विभाग के कर्मचारियों की मौजूदगी के बावजूद मंगलवार सुबह मादा पैंथर फरार हो गया। खास बात यह है कि इस पैंथर को लखावली से पकड़कर सोमवार शाम 6:30 बजे ही यहा
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सवाल ये भी खड़े हाे रहे हैं कि वह खुद भागा या भगाया गया? प्रारंभिक जांच के बाद कर्मचारियों की लापरवाही सामने आ रही है। जिले में एक माह में 8 लोगों की जान ले चुके आदमखोर के खौफ को कम करने में पहले से नाकाम चल रहे विभाग की कार्यशैली में यह बड़ी नाकामी जुड़ी। आनन-फानन में पैंथर की तलाश शुरू हुई, लेकिन देर रात तक कुछ हाथ नहीं लगा। पार्क के पास ही सज्जनगढ़, फतहसागर व पिछोला जैसे पर्यटन स्थल सहित आबादी क्षेत्र है। ऐसे में इन इलाकों में खौफ पसर गया है।
बता दें कि गोगुंदा में आदमखोर पैंथर ने 18 सितंबर से एक अक्टूबर के बीच 7 और मदार में 16 अक्टूबर को एक महिला सहित 8 लोगों की जान ली। इसके बाद वन विभाग ने 18 अक्टूबर को एक पैंथर को आदमखोर बताते हुए मार गिराया। हालांकि, उसके आदमखोर होने की पुष्टि अभी तक नहीं हो पाई है। इससे पहले 11 अक्टूबर को सायरा में लोगों ने एक पैंथर को मार दिया था। विभाग ने 4 पैंथर भी आदमखोर मानते हुए पकड़े थे। लखावली का यह पैंथर पांचवां था। इसकी उम्र करीब 3 साल है और केनाइन (चीरने-फाड़ने वाले दांत) सुरक्षित हैं।
भागा नहीं, पैंथर को भगाया गया
6:30 बजे सोमवार शाम लखावली से पार्क में लाए। 6:30 बजे मंगलवार सुबह पिंजरे से गायब। 8:30 बजे पकड़ने की प्रक्रिया शुरू। 9:30 बजे सुबह गाेगुंदा से शूटर बुलाया। रात तक नहीं मिला।
कर्मचारियाें के अनुसार आखिरी बार रात 11 बजे तक तेंदुआ पिंजरे में ही था। सुबह 6:30 बजे उसके गायब हाेने का पता लगा। सीसीएफ एसआरवी मूर्ति ने बताया कि जिस पिंजरे में उसे पकड़कर लाया गया, उसे ट्रैप पिंजरा कहते हैं। कर्मचारियों ने लापरवाही बरती और उसे ट्रैप पिंजरे में ही रखा, जबकि उसे दूसरे यानी फिक्स पिंजरे में शिफ्ट किया जाना था।
ट्रैप पिंजरे में ऑटाेमेटिक लिफ्टिंग सिस्टम लगा होता है। अगर तेंदुआ इस पर पंजा रखे और बाहर लगा लॉकिंग सिस्टम किसी कारण से काम नहीं करे तो गेट थोड़ा खुल जाता है। इसमें से छोटे कद का तेंदुआ निकल सकता है। उधर, किसी कर्मचारी के जानबूझकर भी गेट के लॉकिंग सिस्टम से छेड़छाड़ की आशंका भी है।
भागने के बाद भी दिनभर लापरवाही
टूरिज्म बंद ही नहीं किया
तेंदुए के भागने के बाद भी बायोपार्क से सटे सज्जनगढ़ किले का गेट पर्यटकाें के लिए खुला रहा। सुबह से शाम तक पर्यटक बाइक, काराें से किले के ऊपर आ-जा रहे थे। हालांकि, बायो पार्क में एंट्री बंद कर दी गई। िकले पर रोज 700 से 800 व पार्क में 300 से 400 पर्यटक आते हैं।
निहत्थी महिलाएं झाड़ियां साफ करने में लगा दीं
फरार तेंदुए के पार्क में ही होने की आशंका के बीच झाड़ियां आदि हटाने का काम शुरू कराया गया। पार्क में गेट नंबर तीन के पास उगी झाड़ियों को निहत्थी महिला मजदूरों से भी हटवाया जा रहा था। ऐसे में उनको भी खतरा बना हुआ था।
बड़ा सवाल… पार्क में है या आबादी मेंं? विभाग ये बता रहा…
पार्क की दीवारें नियमानुसार 8-8 फीट हैं। ऊपर 4 फीट की साेलर फेंसिंग लगी है। इसमें 8 वाॅट का करंट रहता है। जैसे ही काेई जानवर टच करता है ताे झटका लगता है। ऐसे में संभावना यह है कि तेंदुआ पार्क के अंदर ही मौजूद है।
ये भी आशंका…
बायो पार्क की दीवार और फेंसिंग के पास बड़े पेड़ मौजूद हैं। इन पर चढ़कर तेंदुआ आसानी से दूसरी तरफ कूद सकता है और पार्क से बाहर निकल सकता है। यहां से वह आबादी एरिया और सज्जनगढ़ सेंचुरी में भी प्रवेश कर सकता है।
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