[ad_1]
दक्षिण राजस्थान का उदयपुर डेंगू के बाद मलेरिया की चपेट में है। यहां डेंगू रोगियों का आंकड़ा 968 पर पहुंच गया है। दूसरी ओर मलेरिया रोगियों की संख्या भी 205 के करीब पहंुच गई है, जो पिछले साल 22 अक्टूबर को 44 थी। लेकिन, अभी चौकाने वाली बात यह है कि अकेले
.
घाटा और पाटिया इलाके के मेडिकल कैंप में चिकित्सा विभाग के 4 डॉक्टरों के अलावा आरएनटी मेडिकल कॉलेज और फॉरेंसिक लैब विशेषज्ञों की मौजूदगी के बीच सैकड़ों लोग जांच के लिए पहुंचे। वहीं, दैनिक भास्कर की ओर से 25 दिनों में 17 बच्चों की मौत के खुलासे के बाद जांच करने पहंुची चिकित्सा विभाग की टीम ने 9 बच्चों के मौत की पुष्टि की है। हालांकि, विभाग इन मौतों का जिम्मेदार अकेले मलेरिया को मानने को तैयार नहीं है।
विभाग का तर्क है कि ये मौतें अलग-अलग समय और जगहों पर हुई हैं। इसलिए ये कहना अभी मुश्किल है कि मौत का कारण मलेरिया या फिर अज्ञात बीमारी है। बच्चों की मौत के मामले में विभाग की अनदेखी भी सामने आई है। मौतों के खुलासे के बाद भी दो दिन तक विभाग के जिम्मेदार सोते रहे। विभागीय निदेशालय की ओर से मिले निर्देश के बाद सीएमएचओ और आरसीएचओ सहित अन्य जिम्मेदार जिला अधिकारियों की टीम मौके पर हकीकत जानने के लिए पहुंची। मौके पर मरीजों के गले के अलावा ब्लड के नमूने लेकर स्लाइड और यूरिन जैसे नमूने लिए गए।
इधर, खामियों को छिपाने में लगे जवाबों से बचने के लिए सीएमएचओ डॉ. शंकर बामनिया ने मीडिया से दूरी बना ली है। इतना ही नहीं अन्य अधिकारियों को भी अब मौसमी बीमारी के मामले में जवाब देने से बचने की नसीहत दी गई है।
विभागीय विफलताओं का सच यही है कि देवला, मामेर और मालवा का चोरा जैसे इलाके बीते 10 साल से मलेरिया प्रोन इलाके के तौर पर चिन्हित है। इसकी वजह ये है कि इन इलाकों में मच्छर कभी मरता ही नहीं है। यहां मच्छरों की साइकिल पूरे साल चलती है। इसके बावजूद मौसमी बीमारियों की दस्तक के बाद भी विभाग के जिम्मेदारों ने अधीनस्थों को अलर्ट नहीं किया।
शहर में 20 से ज्यादा मलेरिया रोगी
विभागीय रिकॉर्ड में मलेरिया रोगियों की संख्या पिछले साल की तुलना में भले ही कम है। चौंकाने वाले जानकारी ये है कि बीते 5 साल से चिकित्सा विभाग शहरी इलाकों में मलेरिया रोगियों की संख्या चार-पांच ही दर्शाता आ रहा है। एक हिसाब से उदयपुर शहर में मलेरिया रोगियों की संख्या नहीं के बराबर रहती है। जबकि, इस बार शहर में अब तक 20 मलेरिया रोगी सामने आ चुके हैं। विभाग की ओर से ये सच भी छिपाने के प्रयास हो रहे हैं।
रेजीडेंट हड़ताल : ओपीडी में 1500 मरीज घटे, हर डॉक्टर पर 25 का भार, आईपीडी-ऑपरेशन का जिम्मा अलग
मौसमी बीमारियों के बीच आरएनटी मेडिकल कॉलेज के अधीन संचालित 6 अस्पतालों में रेजीडेंट डॉक्टरांे की हड़ताल मंगलवार को तीसरे दिन भी जारी रही। इसके चलते ओपीडी में रोगी संख्या में 1500 की कमी दर्ज की गई है। बीते दिनों में एमबी हॉस्पिटल, जनाना, टीबी हॉस्पिटल, सुपर स्पेशिएलिटी, हिरण मगरी और चांदपोल स्थित सेटेलाइट हॉस्पिटल में मरीजों का संख्या भार करीब 9 हजार बना हुआ था, जो घटकर 7500 के करीब आ गया है। यानी हड़ताल के बीच मरीज अस्पताल पहुंचने से बच रहे हैं या फिर निजी अस्पतालों की शरण ले रहे हैं।
इस बीच मंगलवार को चिकित्सा विभाग ने मेडिकल कॉलेज को 9 डॉक्टर मुहैया कराए है। इसके अलावा कॉलेज ने करीब 15 फैकल्टी को भी ओपीडी और आईपीडी व्यवस्था में लगाया है। कॉलेज की 250 फैकल्टी पहले से मोर्चे पर डटी है। अभी 274 डॉक्टर और शिक्षक मरीजों के लिए लगी हुई हैं। ऐसे में औसत हर डॉक्टर पर 25 मरीजों का लोड है। हालांकि अलग-अलग शिफ्ट और आईपीडी में ड्यूटी के बीच यही आंकड़ा 50 मरीज तक पहुंच रहा है। कॉलेज की ओर से नियमित होने वाले इलेक्टिव 30 से 40 ऑपरेशनों को समय पर पूरा करने की प्लानिंग है। इमरजेंसी वाले 15-20 ऑपरेशन नियमित हो रहे हैं।
बता दें कि मेडिकल कॉलेज में वर्तमान में 20 से ज्यादा विभाग संचालित हैं। इनमें तकरीबन 576 रेजीडेंट और 49 सीनियर रेजीडेंट फिलहाल मांगों को लेकर हड़ताल पर बने हुए हैं। सरकार पर मांगों को मनवाने के लिए उदयपुर रेजीडेंट यूनियन काम का पूर्ण बहिष्कार कर रहा है।
अलग-अलग कारणों से 9 मौतें
मौसमी बीमारियों को लेकर उदयपुर में विभागीय टीमें काम कर रही हैं। विभाग के अधीनस्थों से मिली जानकारी के अनुसार मौके पर 9 मौतें हुई हैं। हालांकि, सभी मौतें अलग-अलग जगहों पर और कारणों से हुई है। जयपुर होने के कारण अभी पूरी जानकारी नहीं मिल पाई है।
-प्रकाशचंद शर्मा, संयुक्त निदेशक, चिकित्सा विभाग
कोटड़ा के घाटा पंचायत में कैंप
शाम 6:30 बजे बैठक, देर रात तक चर्चा, हड़ताल खत्म करने की घोषणा नहीं
सरकार की सख्ती और समझाइश के बीच रेजीडेंट एसोसिएशन ने शाम 6:30 बजे मीटिंग बुलाई। सभी डॉक्टर यहां अधीक्षक कार्यालय के नीचे जुटे। अध्यक्ष डॉ. दीपक निनामा के साथ बाकी के कार्यकारिणी सदस्यांे ने हड़ताल खत्म करने सहित अन्य मुद्दों पर मंथन किया। देर रात तक बातचीत का दौर जारी रहा। हालांकि, एसोसिएशन की ओर से हड़ताल खत्म करने की कोई घोषणा नहीं हुई।
डॉक्टरों की व्यवस्था में जुटे अधिकारी
एमबी अधीक्षक डॉ. आरएल सुमन ने बताया कि चिकित्सा विभाग के 9 डॉक्टरों ने ज्वाइन किया है। अन्य डॉक्टर भी जल्द ही सेवाएं देंगे। कॉलेज के फैकल्टी मेंबर की राउंड द क्लॉक ड्यूटी लगाई है। इधर, प्रिंसिपल डॉ. विपिन माथुर का कहना है कि हड़ताल को लेकर सरकार संजीदा है। उम्मीद है जल्द ही रेजीडेंट हड़ताल खत्म कर देंगे। मरीज हितों को ध्यान में रखते हुए ऐसा करना भी चाहिए।
पिछले साल 623 डेंगू रोगी थे
बीमारी रोगी 2023 में
डेंगू 968 623
मलेरिया 205 366
चिकनगुनिया 87 29
स्क्रब टायफस 327 503
प्रभावित इलाकों में पहुंचे कांग्रेस नेता, स्वास्थ्य कर्मियों की कमी पर जताई चिंता
पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता डॉ. मांगीलाल गरासिया मंगलवार को घाटा ग्राम पंचायत के क्षेत्रों में पहुंचे। उनके साथ घाटा सरपंच निकाराम गरासिया भी थे। डॉ. गरासिया ने यहां मृतकों के परिजनों से मुलाकात कर ढांढस बंधाया। इसके बाद देवला, बेकरिया और मालवा का चौरा स्वास्थ्य केंद्रों का दौरा किया। सीएमएचओ डॉ. बामनिया से डॉ. गरासिया को जमीनी हकीकत बताई। बताया कि बेकरिया में चिकित्सकों के 5 पद स्वीकृत हैं, लेकिन एक ही चिकित्सक नियुक्त है। यहां एएनएम के 5 में से 2, सीएचओ के 5 में से 3 और नर्सिंगकर्मियों के 8 पदों में से 3 पद रिक्त हैं।
मालवा का चौरा पीएचसी में भी चिकित्सक, नर्सिंगकर्मी, सीएचआे व एएनएम के पद रिक्त हैं। डॉ. गरासिया ने बताया कि कांग्रेस सरकार में पीपरमाल, सिबरवड़ी, पीपलीखेड़ा, बांकावास, भाडेर, राई, चांपा की नाल, भूतवड़ व सिवड़िया में उपस्वास्थ्य केंद्र खोले गए, लेकिन वर्तमान सरकार ने केंद्र के निर्माण के लिए अभी तक जमीन आवंटित नहीं की है। उन्होंने मौसमी बीमारियों पर लगाम लगाने के लिए हर गांव में विशेष टीमें नियुक्त करने, पीएचसी व सीएचसी के रिक्त पद भरने व उपस्वास्थ्य केंद्रों के निर्माण के लिए भूमि आवंटित करने की मांग को लेकर कलेक्टर को पत्र लिखने की बात कही।
[ad_2]
Source link