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पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में स्पष्ट किया है कि यदि किसी ट्रायल जज का आदेश उच्च न्यायालय द्वारा गलत पाया जाता है, तो इसका मतलब यह नहीं है कि ट्रायल जज ने किसी के प्रति पक्षपात किया है। अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारियों द्वारा
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कोर्ट ने यह भी कहा कि ऐसी स्थितियों में ट्रायल को स्थानांतरित करने की मांग करना न्यायिक प्रक्रिया को छल के समान मानता है। पीठासीन अधिकारी या ट्रायल जज को अपना कर्तव्य निभाते रहना चाहिए और वादी द्वारा बनाए गए दबाव के आगे नहीं झुकना चाहिए। अदालत ने कहा कि न्यायिक अधिकारी को ऐसे आरोपों के प्रति अनावश्यक संवेदनशीलता दिखाने और मामले से खुद को अलग करने की अपेक्षा नहीं की जाती।
यह टिप्पणियां एक महिला की याचिका पर सुनवाई के दौरान की गईं, जिसने पंजाब के जिला बठिंडा में दहेज मांगने और क्रूरता के मामले में मुकदमे को स्थानांतरित करने की मांग की थी। महिला ने कहा कि उसके माता-पिता बूढ़े हैं और वे मानसा में अदालती कार्यवाही के लिए उसके साथ नहीं आ सकते, जहां मुकदमा लंबित है।
हाईकोर्ट ने इस याचिका को खारिज करते हुए कहा कि यदि ऐसे आधारों पर मुकदमे को स्थानांतरित करने की अनुमति दी जाती है, तो इससे न्यायिक प्रक्रिया में अराजकता उत्पन्न होगी।
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