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मकल सिंह ने सूदखोरों की धमकी और प्रताड़ना से परेशान होकर जान दे दी थी।
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ये धमकी भरा मैसेज एक सूदखोर ने बैतूल जिला मुख्यालय से 70 किमी दूर चिचोली के सेहरा गांव निवासी पूर्व सरपंच 40 वर्षीय मकल सिंह धुर्वे के मोबाइल पर भेजा था। मूल रकम से कई गुना ब्याज चुकाने के बाद भी मकल सिंह कर्ज के जाल से बाहर नहीं निकल पाए। यहां तक कि उनकी डेढ़ एकड़ जमीन भी बिक गई। धमकी और रोज-रोज की प्रताड़ना से परेशान होकर उन्होंने फंदे पर झूलकर जान दे दी।
ये मामला इस कारण भी सुर्खियों में है कि उनकी पत्नी ममता धुर्वे वर्तमान में गांव की सरपंच हैं। चिचोली ट्राइबल बेल्ट है और पेसा एक्ट के तहत ऐसे क्षेत्र में कोई ब्याज का धंधा नहीं कर सकता है। इस क्षेत्र में महाजन लाइसेंस पर भी रोक लगी है।
मकल सिंह धुर्वे की तरह ही मध्यप्रदेश में एक महीने के अंदर राजधानी भोपाल, जबलपुर, इंदौर में कई लोगों ने सूदखोरों से परेशान होकर सुसाइड कर लिया। किसी ने हाथ पर सुसाइड नोट लिखकर मौत चुनी तो किसी ने कागज पर लिखकर जान दे दी। दैनिक भास्कर की इस रिपोर्ट में पढ़िए, कैसे एमपी में सूदखोरी में फंसकर लोग सुसाइड कर रहे हैं…
पहले, मकल सिंह के सुसाइड केस को पढ़ लेते हैं सेहरा निवासी मकल सिंह धुर्वे (40) बीते 14 अक्टूबर को घर में नायलॉन की रस्सी का फंदा लगाकर झूल गया था। मकल सिंह ने ये आत्मघाती कदम दिन के 10 से 11 बजे के बीच उठाया था, तब घर में कोई नहीं था। उसके दोनों बच्चे गौरी (15) और अरुण (14) स्कूल गए थे। गौरी 9वीं में तो अरुण 8वीं में चिचोली में पढ़ते हैं। पत्नी ममता अपनी सास भगवती बाई के साथ खेत में काम कर रही थी।
मकल ने गांव से 800 मीटर दूर खेत में अपना घर बना रखा है। आसपास दो-तीन और मकान बने हैं। सरपंच पत्नी ममता धुर्वे बताती हैं कि वह सास के साथ 11 बजे के लगभग खेत से काम करके लौटी तो पति की बाइक घर के पास दिखी। अक्सर वे 10 बजे घर से निकल जाते थे।
दरवाजा बंद था। चप्पल बाहर देखकर आवाज लगाई लेकिन कोई जवाब नहीं मिला। काफी आवाज देने के बाद दरवाजे को धक्का देकर अंदर गई तो पति फंदे से लटके मिले।
ममता की सूचना पर आसपास के लाेग पहुंचे। इसके बाद मौके पर चिचोली पुलिस भी आई। पुलिस को मकल सिंह के पास से एक सुसाइड नोट मिला। मकल सिंह ने इस सुसाइड नोट में तीन लोगों- मलाजपुर निवासी हरीश यादव, चिचोली निवासी पप्पू जायसवाल और चिचोली के ही बिट्टू यादव के नाम लिखे थे।
ब्याज के एवज में प्रताड़ित करने का आरोप लगाया मकल सिंह ने सुसाइड नोट में लिखा है, ‘हरीश यादव को सूद सहित पैसा देने के बाद भी उसने 1.50 लाख रुपए और बकाया निकाल दिया। मुझे बहुत परेशान कर रहा है। हरीश यादव ने ब्याज और पैसे के एवज में 1.20 एकड़ जमीन भी बिकवा दी है। अब और पैसे देने की हालत नहीं है। इस कारण सुसाइड कर रहा हूं।’
मकल ने सुसाइड नोट में पप्पू जायसवाल पर भी प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। पप्पू को उसने कर्ज के रुपए ब्याज सहित चुका दिए थे। इसके बावजूद उसने ब्याज सहित 1.20 लाख रुपए और बकाया निकाल दिया। उसको सलीम खान से 1.10 लाख रुपए लेने थे, जो वह नहीं लौटा रहा है। इसी कारण वह गिट्टी वाले को भी पैसा नहीं दे पा रहा था।
मकल सिंह ने 14 अक्टूबर को फांसी लगा ली थी। सुसाइड नोट में तीन लोगों के नाम लिखे थे।
हरीश अक्सर गुर्गों के साथ घर आ धमकता था मकल की पत्नी ममता सिंह धुर्वे कहती हैं- मेरे पति को हरीश यादव कुछ समय से लगातार परेशान कर रहा था। वह हर 10-15 दिन में मेरे घर किसी गुर्गे के साथ आ धमकता था। मेरे पति को बहुत ही जलील करता था। फोन पर भी अपशब्द कहता था।
मेरे पति ने परेशान होकर सुसाइड कर लिया। मेरे दोनों बच्चे छोटे हैं, अब मैं उन्हें कहां लेकर जाऊं? सूदखोरों को पैसे देने के चक्कर में मेरे बच्चों की फीस तक पति नहीं भर पाए थे। स्कूल वाहन का भी कई महीने का बकाया हो गया है। उसने भी बच्चों को स्कूल ले जाने से मना कर दिया है। अब पति भी नहीं रहे तो मैं किसके सहारे बच्चों को पालूंगी?
दो आरोपी गिरफ्तार, तीसरे की तलाश जारी चिचोली थाना प्रभारी हरिओम पटेल कहते हैं- मकल सिंह धुर्वे के सुसाइड नोट के आधार पर तीनों आरोपियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। हरीश यादव और सलीम खान की गिरफ्तारी हो चुकी है। पप्पू जायसवाल की तलाश जारी है।
टीआई ने बताया कि सलीम खान ने सेंटरिंग का काम मकल सिंह की ग्राम पंचायत में किया था। उसे 1.10 लाख रुपए इसी काम के एवज में भुगतान हुआ था। ये रकम भी उसके खाते में आई थी। मकल द्वारा सीधे रकम दिए जाने का अभी तक कोई ब्योरा नहीं मिला है। हरीश यादव के पास महाजन का कोई लाइसेंस नहीं है।
ट्राइबल क्षेत्र में सूदखोरी पर रोक, फिर भी लोग ब्याज पर चला रहे रकम युवा आदिवासी विकास संगठन के जिलाध्यक्ष जितेंद्र सिंह इवने कहते हैं कि ट्राइबल एरिया में रोक के बावजूद सूदखोरी का धंधा चल रहा है। सूदखोर लोगों से 25 से 40 फीसदी तक ब्याज वसूल रहे हैं। ब्याज के एवज में किसी की बाइक रख लेते हैं तो किसी से बैंक का ब्लैंक चेक तक रखवा लेते हैं। कई लोगों से कोरे स्टाम्प पर हस्ताक्षर करवाने के अलावा उनकी जमीन के दस्तावेज भी रखवा लेते हैं।
हरीश यादव के पास कोई लाइसेंस नहीं है। वह बिना किसी प्रूफ के लोगों को पैसे बांटता है। देने के समय 5 से 10 प्रतिशत बताता है लेकिन वसूलता 20 से 25 प्रतिशत है। चक्रवृद्धि ब्याज लगाकर लोगों को परेशान करता है।
प्रदेश में सूदखोरी के चर्चित केस भी पढ़ लीजिए
- कर्ज से डबल चुकाया, फिर भी वसूली करते रहे सूदखोर 4 अक्टूबर को कटनी के खिरहनी फाटक निवासी संजू (46) पिता ग्यारसी निषाद फंदे से झूल गया। वह मछली का कारोबार करता था। बेटे का दावा है कि उसके पिता ने चार साल पहले भोका निषाद और बच्ची निषाद से कर्ज लिया था। वो ब्याज सहित ये कर्ज चुका देने के बावजूद प्रताड़ित करते थे। घर आकर धमकी देते थे। कहते थे- गाड़ी उठा लेंगे, दुकान बंद करवा देंगे। सुसाइड से पहले भी उनके पिता को बार-बार फोन कर रहे थे। संजू ने भी सुसाइड नोट में लिखा है- भोका निषाद से 50 हजार रुपए उधार लिया था। ब्याज सहित एक लाख रुपए वापस कर चुका हूं फिर भी मुझे फोन करके भोका धमकी देता है कि मछली का टपरा उठा लूंगा और दुकान भी नहीं लगाने दूंगा। बच्ची उर्फ राकेश निषाद से मैंने 10 हजार रुपए लिए थे। ब्याज सहित 20 हजार रुपए लौटा चुका हूं।
- सूदखोरों से परेशान होकर सैलून संचालक ने जान दी 16 अक्टूबर को छिंदवाड़ा शहर के रामबाग निवासी 25 वर्षीय धीरज श्रीवास ने बस स्टैंड इलाके में आनंद हॉस्पिटल के पास जहर खा लिया। उसे गंभीर हालत में परिजन ने अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई। सैलून की दुकान से ही धीरज के परिवार का गुजारा होता था। धीरज ने एक सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें उसने कुछ सूदखोरों के नाम लिखे हैं। सूदखोरों के लगातार दबाव और धमकी देने के चलते उसने ये कदम उठाया। इससे पूर्व भी वह सूदखोरों की धमकी से परेशान होकर घर से गायब हो गया था। इसकी धर्मटेकड़ी चौकी में गुमशुदगी भी दर्ज थी। हालांकि, कुछ दिन बाद वह लौट आया था।
- हाथ पर सूदखोरों का नाम लिखकर सुसाइड 30 सितंबर को जबलपुर में घमापुर निवासी आदर्श राजपूत ने फंदा लगाकर आत्महत्या कर ली थी। उसने अपने बाएं हाथ पर दो महिलाओं समेत चार लोगों का नाम लिखा था। उसके पास से एक सुसाइड नोट भी पुलिस ने बरामद किया था। परिवार का बड़ा बेटा आदर्श राजपूत कोरोना के बाद से ही शेयर मार्केट में पैसा लगा रहा था। इसके चलते उसने कुछ लोगों से 10 लाख रुपए कर्ज लिया था। इसके एवज में सूदखोर उससे 30 लाख से अधिक वसूल चुके थे।
- 20 हजार के एवज में 3.50 लाख मांग रहे थे सूदखोर 28 अगस्त को भोपाल के छोला इलाके के शिवनगर निवासी प्रकाश द्विवेदी ने सीएम बंगले के पास जहर खा लिया। उसने इसका एक वीडियो बनाकर सोशल मीडिया पर अपलोड कर दिया। इस वीडियो में उसने बताया कि घर के पास रहने वाले अमन और संजीत चौहान ने उसे लेन-देन के चलते बहुत मारा। उसने अमन अडवार के भाई आकाश अडवार से मार्च में 20 हजार रुपए लिए थे। ब्याज के साथ उसने 45 हजार रुपए लौटा दिए थे। इसके बावजूद वे 3.50 लाख रुपए और मांग रहे थे। इसका विरोध करने पर दोनों ने उसके साथ मारपीट की। इसी कारण वह सुसाइड करने जा रहा है। हालांकि, ये वीडियो वायरल होने के बाद परिजन समय रहते पहुंच गए और उसे अस्पताल पहुंचाया। जहां डॉक्टर ने उसे बचा लिया।
- 20 प्रतिशत हर महीने ब्याज वसूल रहे थे 10 अगस्त को इंदौर के कृष्णबाग कॉलोनी निवासी राहुल (26) ने जहर खाकर जान दे दी। एमआईजी पुलिस के मुताबिक, उसने कॉलोनी के ही जीतू करोले, विक्की परमार और अजित के खिलाफ सुसाइड नोट छोड़ा है। उसने अजीत के साथ मिलकर एक प्लॉट खरीदा था। इसके लिए उसने जीतू और विक्की से 15 लाख रुपए उधार लिए थे। आरोपी इसके एवज में हर महीने 20 प्रतिशत ब्याज वसूल रहे थे। उसे लगातार धमकाते थे।
शहरों के मुकाबले ग्रामीण क्षेत्रों में सूदखोरी का अधिक चलन वर्ष 2023 में संसद के शीतकालीन सत्र में कर्ज से पीड़ित परिवारों की संख्या के आंकड़े पर वित्त राज्यमंत्री पंकज चौधरी ने नेशनल सैंपल सर्वे ऑफिस (एनएसएसओ) के 2012 और 2018 के सर्वे के आंकड़े दिए। बताया कि 2012 में देश के शहरी इलाकों में 22.4 प्रतिशत परिवारों पर कर्ज था। 2018 में ये आंकड़ा 22.4 प्रतिशत ही रहा। लेकिन ग्रामीण इलाकों में ये आंकड़ा 31 प्रतिशत से बढ़कर 35 प्रतिशत पहुंच गया। इससे साफ है कि ग्रामीण क्षेत्रों में कर्ज के कुचक्र में लोग अधिक फंस रहे हैं।
कार्रवाई के नियम तो हैं, लेकिन निगरानी का तंत्र नहीं प्रदेश में ट्राइबल क्षेत्र छोड़कर साहूकारी अधिनियम लागू है। नई व्यवस्था में निकायों और पंचायतों को लाइसेंस जारी करने का अधिकार दिया गया है। शहरी क्षेत्र में नगर निगम, नगर पालिका और नगर परिषद को ये लाइसेंस जारी करने का अधिकार दिया गया है। बिना लाइसेंस ब्याज से रुपए देना और वसूली के लिए किसी को प्रताड़ित करना गंभीर अपराध है।
मामले में दोषियों को मप्र ऋण संरक्षण अधिनियम 1937 की धारा 4 के तहत ऋण वसूली के लिए उत्पीड़न पर तीन माह की सजा या 500 रुपए जुर्माना या दोनों सजा हो सकती है। नगर निगम के अनुसार साहूकारी लाइसेंस अपराधियों को नहीं देते। आवेदक से एक शपथ पत्र लेते है, जिसमें उसके स्वच्छ छवि होने के साथ साहूकारी के नियमों का पालन करवाने का अनुबंध होता है।
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बैतूल में सरपंच पति ने लगाई फांसी, सुसाइड नोट में लिखा-सूदखोरों ने जमीन बिकवा दी बैतूल में पूर्व सरपंच ने सूदखोरों से परेशान होकर सोमवार को फांसी लगाकर जान दे दी। उसने एक पेज का सुसाइड नोट छोड़ा है, जिसमें पांच लोगों पर प्रताड़ित करने का आरोप लगाया है। उसने लिखा- इन्होंने मेरी जमीन बिकवा दी, इतनी मानसिक प्रताड़ना दी कि मुझे मरना पड़ा रहा है। पढ़ें पूरी खबर
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