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मध्यप्रदेश सरकार का विमान सी-90 तीन साल पहले ग्वालियर एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हुआ था। अब इस प्लेन को बेचने के लिए सरकारी प्रक्रिया शुरू की गई है। एविएशन डिपार्टमेंट ने प्लेन के वैल्यूएशन के लिए टेंडर जारी किया है। इसकी कीमत कितनी होगी, कंपनी वैल्य
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इस प्लेन के दुर्घटनाग्रस्त होने के बाद से अब तक राज्य के मुख्यमंत्री किराये के प्लेन में ही सफर कर रहे हैं। ये सिलसिला अगले दो साल तक और चलने वाला है, क्योंकि सरकार का नया प्लेन अप्रैल-मई 2026 तक आने की संभावना है।
जब तक नया प्लेन नहीं आता, तब तक मध्यप्रदेश सरकार किराए के प्लेन पर दो साल में 72 करोड़ रुपए और खर्च करेगी, क्योंकि प्लेन का हर महीने का खर्च औसतन 3 करोड़ रुपए है। किराए का विमान लेने के लिए सरकार ने 10 कंपनियों का पैनल तैयार किया है।
निजी कंपनियों से प्लेन किराए पर लेने की क्या प्रोसेस है, किराए का प्लेन देने की क्या शर्त होती है, नया प्लेन आने में दो साल का वक्त क्यों लगने वाला है…पढ़िए, मंडे स्टोरी…
पहले जानिए, किराए का प्लेन लेने की जरूरत क्यों पड़ी 6 मई 2021 को मध्यप्रदेश सरकार का प्लेन रात 9 बजे ग्वालियर एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। दरअसल, लैंडिंग के दौरान इंजन में तकनीकी खराबी आने से स्टेट प्लेन पलट गया। इस हादसे में सीनियर पायलट कैप्टन सईद माजिद अख्तर, पायलट शिवशंकर जायसवाल और एक अफसर घायल हो गए थे। विमान गुजरात के अहमदाबाद से रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर आया था।
यह प्लेन पहले अहमदाबाद से रेमडेसिविर इंजेक्शन लेकर इंदौर पहुंचा था। वहां अनलोडिंग के बाद बचे हुए डोज लेकर ग्वालियर एयरपोर्ट पहुंचा था, लेकिन ग्वालियर में लैंडिंग से पहले ही प्लेन के इंजन में तकनीकी खराबी आ गई।
सीनियर पायलट कैप्टन सईद माजिद अख्तर ने समझदारी दिखाते हुए निर्धारित पॉइंट से 200 मीटर पहले ही प्लेन को रनवे पर डाल दिया। उन्होंने स्पीड कम करते हुए विमान को कंट्रोल करने की कोशिश की लेकिन प्लेन रनवे पर फिसलकर एक तरफ पलट गया था।
कमलनाथ सरकार ने खरीदा था विमान जो विमान इस समय ग्वालियर में डैमेज पड़ा है, वह कमलनाथ सरकार के दौरान खरीदा गया था। 62 करोड़ रुपए में खरीदे गए इस विमान के डैमेज होने के बाद इसके पार्ट्स को बेचने के लिए विमानन विभाग तैयारी कर चुका है। पूर्व में इसे अमेरिका की टेक्सट्रॉन कंपनी को ही बेचने की तैयारी थी, जिससे यह विमान खरीदा गया था।
डबल इंजन वाले किंग एयर बी-250 (टर्बोप्राप) विमान में नौ यात्री तथा दो पायलट के बैठने की क्षमता थी। यह विमान दुर्घटनाग्रस्त होने से पहले मई 2021 तक 210 घंटा और दो मिनट की उड़ान भर चुका था।
मई 2021 में मध्यप्रदेश का सरकारी विमान ग्वालियर एयरपोर्ट पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया था। इस प्लेन की कीमत तय करने के लिए सरकार ने टेंडर जारी किया है।
जानिए, किराए से विमान लेने की प्रोसेस
- सरकार का एविएशन डिपार्टमेंट हर साल प्राइवेट एविएशन कंपनियों का एम्पेनलमेंट करता है। इसके लिए एक्सप्रेशन ऑफ इंट्रेस्ट (ईओआई) जारी किया जाता है।
- ये निजी कंपनियां अपने यहां उपलब्ध विमान या हेलिकॉप्टर और उनके किराए की जानकारी देती हैं।
- इसके बाद इनका एम्पेनलमेंट किया जाता है। इन कंपनियों से ही किराए के विमान और हेलिकॉप्टर लिए जाते हैं।
- इनका प्राथमिकता क्रम भी निर्धारित किया जाता है।
- जो कंपनी उपलब्धता नहीं बताती है, उसके नीचे के क्रम वाली कंपनी से विमान किराए पर लिया जाता है।
कैसे तय होता है, किस कंपनी का प्लेन किराए पर आएगा एविएशन विभाग के अधिकारी बताते हैं कि सरकारी प्लेन का 90 फीसदी इस्तेमाल मुख्यमंत्री करते हैं। राज्यपाल महीने में एक या दो बार ही सरकारी प्लेन का इस्तेमाल करते हैं। वहीं, सरकारी विमान में यात्रा करने वाले मंत्रियों की संख्या बहुत कम है। सरकार इन 10 कंपनियों में से किसी भी एक कंपनी का प्लेन किराए पर ले सकती है। इसकी बाकायदा एक प्रोसेस है।
- डायरेक्टर, एविएशन मुख्यमंत्री के तय कार्यक्रम के अनुसार कंपनियों से विमान की डिमांड करते हैं।
- जिस कंपनी (इम्पेनल्ड) के पास विमान उपलब्ध रहता है, उसे कॉल किया जाता है।
- सामान्य तौर पर मुख्यमंत्री के लिए 7 सीटर जेट विमान की डिमांड रहती है। ब्लेड वाले जेट का किराया, बिना ब्लेड वाले जेट से कम होता है।
- यदि मुख्यमंत्री तय कार्यक्रम के अनुसार सुबह 10 बजे भोपाल से दिल्ली जाते हैं और रात 8 बजे वापस लौटते हैं तो किराया दो गुना हो जाता है।
- डीजीसीए के नियमों के मुताबिक, पायलट 8 घंटे से ज्यादा काम नहीं करते। ऐसे में कंपनी को दूसरा विमान उपलब्ध कराना होता है।
- मुख्यमंत्री को अचानक किसी दौरे पर जाना होता है तो जिस कंपनी के पास विमान उपलब्ध होता है, उसे कॉल किया जाता है।
- यदि विमान बेंगलुरु में है तो भोपाल आने का खर्च भी सरकार को वहन करना पड़ता है।
- यदि विमान का उपयोग नहीं किया जाता है तो भी कंपनी को दो घंटे का किराए का भुगतान करना होगा।
नया विमान खरीदने जुलाई में कैबिनेट ने दी थी मंजूरी सीएम डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में इसी साल जुलाई को हुई कैबिनेट की बैठक में नया विमान खरीदने को मंजूरी दी गई थी। इसके बाद सरकार ने कनाडा की कंपनी बॉम्बार्डियर से चैलेंजर-3500 विमान खरीदने का फैसला किया है। सरकार के नए प्लेन की कीमत 234 करोड़ रुपए है।
यही विमान 2018 में गुजरात सरकार ने खरीदा था। देशभर में चैलेंजर 350 सीरीज के 45 विमान हैं। नया विमान खरीदने के लिए सरकार ने पिछले बजट में 150 करोड़ और इस वित्तीय वर्ष में 75 करोड़ रुपए का प्रावधान किया है।
प्लेन के लिए टेंडर की शर्तें
- एक बार में 3700 किमी की उड़ान भर सके।
- मप्र की हवाई पट्टियों यानी 5500 फीट के रनवे पर भी उतर सके।
- रात में भी टेकऑफ-लैंड कर सके।
- दो पायलट और 8 से 10 पैसेंजर बैठने की क्षमता हो।
- बर्फबारी और बारिश से जुड़ी सुरक्षा प्रणाली हो।
नए विमान के लिए 2 साल पहले 145 करोड़ का ऑफर था सूत्रों के मुताबिक, नया विमान खरीदने के लिए 2 साल पहले प्रक्रिया शुरू हुई थी। तब टेक्सट्रॉन कंपनी ने 145 करोड़ रुपए में ऑफर भी दिया था, लेकिन बाद में कंपनी ने कीमत बढ़ाकर 208 करोड़ रुपए कर दी। इसके बाद सरकार ने प्रक्रिया रद्द कर दी। नए सिरे से हुए टेंडर में बॉम्बार्डियर के अलावा ब्राजील की कम्पनी एम्ब्रायर की बिड आई थी।
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