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अनुच्छेद 370 हटने के बाद जम्मू-कश्मीर में टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ गई हैं। आतंकियों ने प्रवासियों, कश्मीरी पंडितों और स्थानीय मुस्लिमों को निशाना बनाया है। इस साल कई घटनाएं हुई हैं, जैसे राजौरी में…
– अनुच्छेद 370 हटने के बाद से टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ीं नई दिल्ली, एजेंसी। जम्मू-कश्मीर में आतंकियों द्वारा प्रवासियों को निशाना बनाने के मामले पहले भी सामने आए हैं। स्थानीय हैंडलरों की मदद से आतंकियों ने टारगेट किलिंग की कई घटनाओं को अंजाम दिया है।
पुलिस ने बताया कि इसी साल 22 अप्रैल को राजौरी में आतंकियों ने एक घर पर फायरिंग की थी। इसमें 40 साल के मोहम्मद रज्जाक की मौत हो गई थी। वे कुंडा टोपे शाहदरा शरीफ के रहने वाले थे। उसी महीने में टारगेट किलिंग की दो अन्य वारदातें भी हुईं थीं। 8 अप्रैल को कश्मीर के शोपियां जिले के पदपावन में आतंकियों ने गैर कश्मीरी ड्राइवर परमजीत सिंह को गोली मारी थी। वह दिल्ली का रहने वाला था। इसके अलावा 17 अप्रैल को आतंकियों ने बिहार के एक प्रवासी शंकर शाह की गोली मारकर हत्या कर दी थी। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटने के बाद से ही टारगेट किलिंग की घटनाएं बढ़ी हैं, जिसमें खास तौर पर आतंकियों ने कश्मीरी पंडितों, प्रवासी कामगारों और यहां तक कि सरकार या पुलिस में काम करने वाले उन स्थानीय मुस्लिमों को भी निशाना बनाया है।
पंजाब के दो लोगों को मार दिया
श्रीनगर में 7 फरवरी, 2024 को आतंकियों ने हब्बा कदल इलाके में सिख समुदाय के दो लोगों को एके-47 राइफल से गोली मारी दी थी। मृतकों की पहचान अमृतसर के रहने वाले अमृत पाल (31) और रोहित मसीह (25) के रूप में की गई थी।
पिछले साल की घटनाएं
26 फरवरी, 2023 को आतंकियों ने पुलवामा में एक कश्मीरी पंडित संजय शर्मा की हत्या कर दी थी। वो अपने गांव में गार्ड का काम करते थे। 29 मई, 2023 को अनंतनाग में आतंकियों ने एक नागरिक की गोली मारकर हत्या कर दी थी। मृतक की पहचान दीपक कुमार के रूप में हुई थी। दीपक जम्मू के उधमपुर का रहने वाला था और अनंतनाग के जंगलात मंडी में सर्कस मेले में काम करता था।
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