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धनीपुर मंडी में पड़ी धान की फसल
– फोटो : संवाद
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सरकारी क्रय केंद्रों की अपेक्षा अधिक कीमत और नकदी भुगतान की वजह से किसान मंडियों में धान बेच रहे हैं। यहीं वजह है कि एक तरफ सरकारी क्रय केंद्रों पर सन्नाटा पसरा हुआ है तो वहीं, मंडी में किसानों की भीड़ उमड़ रही है।
अलीगढ़ जिले में इस बार धान की बंपर फसल हुई है। त्योहार से पहले किसान धान बेचने में जुटे हुए हैं। ऐसे में मंडी में अधिक कीमत मिलने और हाथों-हाथ भुगतान होने की वजह से किसान क्रय केंद्रों के बजाय सीधे मंडियों में धान बेच रहे हैं। सरकारी क्रय केंद्रों पर जहां मोटे धान का समर्थन मूल्य 2300 रुपये प्रति क्विंटल है तो वहीं, मंडी में इसी धान की कीमत 2500 रुपये तक मिल रही है।
सरकारी क्रय केंद्रों पर ग्रेड ए धान की कीमत 2320 रुपये है। किसानों को इसी धान की कीमत मंडी में 3200 रुपये तक मिल रही है। यहीं वजह है कि जहां मंडियों में अब तक 12 लाख क्विंटल धान की बिक्री हो चुकी है तो वहीं, सरकारी क्रय केंद्रों पर सिर्फ 40 क्विंटल धान की खरीद ही हुई है।
मंडी में भीड़ का आलम यह है कि यहां धान रखने के लिए जगह नहीं मिल पा रही। किसानों को घंटों इंतजार करना पड़ रहा है। मंडी में जनपद के किसानों के अलावा हाथरस, एटा, आगरा, कासगंज, मैनपुरी, फिरोजाबाद तक के किसान धान लेकर आ रहे हैं। जिले में धनीपुर के अलावा खैर, गभाना, अतरौली, हरदुआगंज, छर्रा, इगलास की मंडियों में धान की बंपर खरीद हो रही है।
अलीगढ़ मंडल में मोटे धान (कॉमन एवं ग्रेड ए) की कम पैदावार होती है। यहां के किसान बासमती एवं सुगंधा चावल अधिक उगाते हैं। जिले में 25 सरकारी धान क्रय केंद्र खुले हुए हैं। अभी मोटे धान की आवक कम है। बासमती धान की अधिक आवक हो रही है। अभी सिर्फ 40 क्विंटल धान व 300 क्विंटल बाजरे की खरीद ही हो सकी है।– राजीव कुलश्रेष्ठ, जिला खाद्य विपणन अधिकारी
धनीपुर मंडी के अलावा खैर, गभाना, अतरौली, हरदुआगंज, छर्रा, इगलास की अनाज मंडी में अब तक करीब 12 लाख क्विंटल बासमती धान की खरीद हो चुकी है। जबकि मक्का व बाजरा की करीब 25 हजार क्विंटल खरीद हो चुकी है।– रामकुमार यादव, मंडी सचिव धनीपुर
सरकारी क्रय केंद्रों पर केवल मोटा धान खरीदा जा रहा है। भुगतान भी कई-कई दिन बाद मिल रहा है। मंडी में धान की कीमत अच्छी मिल रही है। भुगतान भी हाथों-हाथ मिल रहा है। – भूप सिंह, सिकंदराराऊ, हाथरस
सरकारी क्रय केंद्रों पर केवल मोटे धान की खरीद हो रही है। जबकि खुले बाजार में सभी प्रकार का धान खरीदा जा रहा है और भुगतान भी नकद मिल रहा है।– नवाब सिंह, नानऊ
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