हर्षवर्धन केशरवानी
- भोजपुरी शोध संस्थान के निदेशक हुए सम्मानित।
- भोजपुरी भाषा को बचाना होगा संक्रमण से।
- हमारा लोक साहित्य भोजपुरी भाषा में है संग्रहित।
सोनभद्र: भोजपुरी शोध संस्थान उत्तर प्रदेश के निदेशक एवं राजकीय स्नातकोत्तर महाविद्यालय ओबरा के पूर्व प्राचार्य डॉक्टर सुधाकर तिवारी द्वारा भोजपुरी भाषा मे साहित्य लेखन, देश- विदेश मे प्रचार- प्रसार, भाषाई संरक्षण के लिए
संस्कृति,साहित्य, कला के क्षेत्र में अनवरत रूप से कार्यरत विंध्य संस्कृति शोध समिति उत्तर प्रदेश ट्रस्ट के प्रधान कार्यालय पर ट्रस्ट के निदेशक/ इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी द्वारा अंगवस्त्रम, स्वरचित कृति प्रदान कर सम्मानित किया गया।
इस अवसर पर डॉक्टर सुधाकर तिवारी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“देश के विभिन्न राज्यों, विश्व के विभिन्न देशो में पीढ़ियों से निवास करने वाले भारतीयों द्वारा बोली, समझी जाने वाली भोजपुरी भाषा हमारे भारतीय क्षेत्रीय भाषाओं की जननी है। हमारी समस्त भारतीय लोक साहित्य भोजपुरी भाषाओं में संग्रहित, संकलित है।
आज विश्व के जिन- जिन देशों मे भारतीय उपनिवेश के नागरिक बसे हुए हैं वहां के लोगों द्वारा भोजपुरी बोली एवं समझी जाती है, आज भोजपुरी भाषा में साहित्य की रचना की जा रही है।
वहीं भोजपुरी लोक साहित्य के लेखन, संकलन में अनवरत रूप से कार्यरत इतिहासकार दीपक कुमार केसरवानी ने अपना विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“आज वर्तमान समय में भोजपुरी द्विअर्थी, संक्रमित भाषाओं की शिकार हो हो गई है। इसकी मिठास अश्लीलता में बदल गई है, आज जिस प्रकार से भोजपुरी फिल्मों, एल्बमों, गीतों में द्विअर्थी शब्दों शब्दों का प्रयोग,उत्तेजक अभिनय, वेशभूषा के माध्यम से दर्शकों के मध्य अश्लीलता फिल्म निर्माताओं,अभिनेत्रियो परोस कर मालामाल हो रही हैं वहीं पर हमारी भारतीय भोजपुरी संस्कृति, भाषा संक्रमित हो रही है। इसलिए भोजपुरी भाषा के संरक्षण, विकास, संक्रमण से बचाने की आवश्यकता है।
इस अवसर पर गुप्तकाशी सेवा ट्रस्ट के संस्थापक रवि प्रकाश चौबे, प्रकृति विधान फाउंडेशन के निदेशक राजकुमार केसरी ने संयुक्त रूप से संयुक्त रूप से विचार व्यक्त करते हुए कहा कि-“मानव जीवन के लिए शुद्ध पर्यावरण, विचारों के संप्रेषण के लिए शुद्ध भाषा की आवश्यकता होती है। भोजपुरी भाषा ही हमारी मातृभाषा, हमारी संस्कृति, भाषाई, साहित्यिक पहचान है, इसे हर हालत में हम सभी को संक्रमण से बचाए रखना चाहिए। हमारा सोनभद्र जनपद खाटी भोजपुरिया क्षेत्र है, जहां के वनों, जंगलों, पहाड़ों, गुफाओं, कंदराओं निवास करने वाले स्थानीय निवासियों का संबंध भोजपुरी भाषा, साहित्य, संस्कृति से रहा है। इस क्षेत्र में अवस्थित नाम, लोकगीत, लोक कथाएं, पहेलियां, बुझावल एवं अन्य वाचक साहित्य भोजपुरी भाषा में ही बोली एवं समझी जाती हैं, सोनभद्र की माटी में जन्मे भोजपुरी कवि, लेखक भोजपुरी भाषी क्षेत्र सोनभद्र का नाम देश-विदेश में रोशन कर रहे हैं।
इस अवसर पर ट्रस्ट के मीडिया प्रभारी हर्षवर्धन केसरवानी, कुशाग्र शर्मा, मनीष चौबे, विनय सहित अन्य लोग उपस्थित रहे।