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राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सत्येंद्र जैन मुस्कराते हुए कोर्ट रूम से बाहर निकले। मीडिया कर्मियों की ओर से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने सिर्फ सत्यमेव जयते कहकर मुस्करा दिया। इस दौरान उनकी पत्नी पूनम जैन और बेटी श्रेया जैन भी मौजूद रहीं।
राउज एवेन्यू कोर्ट से जमानत मिलने के बाद सत्येंद्र जैन मुस्कराते हुए कोर्ट रूम से बाहर निकले। मीडिया कर्मियों की ओर से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने सिर्फ सत्यमेव जयते कहकर मुस्करा दिया। इस दौरान उनकी पत्नी पूनम जैन और बेटी श्रेया जैन भी मौजूद रहीं। श्रेया जैन ने कहा कि हमें खुशी है कि अदालत ने न्याय दिया। मुझे लगता है कि दिवाली इस साल जल्दी आ गई है। पूनम जैन ने भी अदालत को धन्यवाद दिया।
अदालत ने फैसला सुनाते हुए कहा कि ट्रायल अभी शुरू नहीं हुआ है। ऐसे में केस के परिणाम में बहुत अधिक समय लगेगा। जैन बहुत अधिक समय तक जेल में रह चुके हैं। किसी को भी अनंत काल तक जेल में नहीं रखा जा सकता है। ऐसे में जैन को जमानत दी जा सकती है। ईडी की ओर से सिसोदिया के मामले की तुलना का विरोध करने पर जैन की तरफ से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने तल्ख टिप्पणी करते हुए कहा कि क्या अनुच्छेद 21 हर मामले में अलग-अलग होगा। बता दें कि अदालत ने सिसोदिया को सुप्रीम कोर्ट की ओर से मिली जमानत के आदेश को भी आधार बनाया है।
बचाव पक्ष ने तर्क दिया, पांच साल में जांच पूरी नहीं हुई
बचाव पक्ष की तरफ से तर्क दिया गया कि ट्रायल में देरी के आधार पर जमानत की मांग करने का एक कारण है। ईडी पिछले पांच वर्षों से इस मामले में की जांच कर रही है। आरोप अभी तक तय नहीं हुए हैं। सीबीआई ने भी एक आरोपपत्र दाखिल किया है। अदालत को जांच जारी रहने की जानकारी दी है। वहीं, ईडी भी जांच पूरी न होने की बात कह रही है। वरिष्ठ अधिवक्ता ने दलील दी कि मनीष सिसोदया 17 माह से हिरासत में थे और उन्हें जमानत दे दी गई। के. कविता को पांच माह में जमानत मिल गई। जैन 18 महीने से अधिक समय से हिरासत में हैं।
ईडी ने कहा, 16 बार सुनवाई टाली इसलिए हुई देरी
ईडी के विशेष वकील जोहेब हुसैन ने दलीलों का विरोध करते हुए कहा कि अपराध की आय 4.81 करोड़ रुपये है। दो सह-अभियुक्त व्यक्तियों ने कथित तौर पर केवल मुख्य आरोपी की सहायता की। देरी आरोपी व्यक्तियों के कारण हुई। उनके द्वारा 16 बार सुनवाई टाली गई। यदि वह सहयोग करते तो मुकदमे की कार्रवाई आगे बढ़ गई होती।
जांच में अपराध की आय बदल गई: एन हरिहरन
वरिष्ठ अधिवक्ता एन हरिहरन ने तर्क दिया कि ईसीआईआर 2017 में दर्ज किया गया था और अभियोजन शिकायत 2022 में दायर की गई थी। सीबीआई ने कहा है कि अपराध की आय (पीओसी) 1.27 करोड़ रुपये है। दूसरी ओर ईडी का कहना है कि यह 4.68 करोड़ रुपये है। ईडी केवल उस हिस्से की जांच कर सकती है जिसे सीबीआई अपराध की आय बताती है। ईडी के पास ऐसा करने की छूट नहीं है, इसलिए उन्होंने विचार वापस सीबीआई को भेज दिए। अब सीबीआई कह रही है कि इसकी फिर जांच करेंगे। वरिष्ठ अधिवक्ता ने कहा कि जांच में अपराध की आय बदल गई।
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