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शहर में इन दिनों डेंगू मरीजों की संख्या में तेजी से इजाफा हो रहा है। अक्टूबर के 18 दिनों में 100 से ज्यादा डेंगू के केस मिले हैं। इनके सहित इस साल मरीजों की संख्या करीब 500 हो गई है। डेंगू, मलेरिया पर नियंत्रण को लेकर प्रदेश में सबसे पहले एंटी लार्वा
.
दरअसल, बारिश में जब डेंगू मरीजों की संख्या बढ़ने लगी थी तो जुलाई में गुजरात की कंपनी को ड्रोन सर्वे कराने का ठेका दिया गया था। उस दौरान 131 मरीज थे। एंटी लार्वा ड्रोन सर्वे का मकसद यह था कि ऐसे स्पॉट्स जहां लार्वा को आइडेंटिफाई नहीं किया जा सकता, उसे ड्रोन से किया जाए। विभाग का मानना था कि इससे स्पॉट्स जल्द आईडेंटिफाई होंगे और लार्वा नष्ट करने में मदद मिलेगी।
इंदौर के रहवासी इलाकों में सबसे पहले एंटी लार्वा ड्रोन सर्वे शुरू किया गया था।
ऐसा है एंटी लार्वा ड्रोन का काम
- इसका काम लार्वा मैपिंग साइट को आईडेंटिफाई करना है। ऐसे स्पॉट्स जहां लार्वा पनपने वाला है।
- अगले दिन एजेंसी की ही ग्राउंड की टीम वहां जाकर लार्वा नष्ट करती थी। कहीं ऊपर खुली टंकी या गंदगी है तो उसे लेकर संबंधित को दिशा-निर्देश देती थी।
- ऊंचाई वाले स्पॉट्स यानी भवनों, घरों की छतों, सरकारी इमारतों की टंकियों आदि को आईडेंटिफाई करना।
- ऐसे स्पॉट्स जहां बड़े पोखरों, गड्ढ़ों में टीम जा नहीं सकती, उन्हें आईडेंटिफाई करना। फिर वहां छिड़काव कर लार्वा नष्ट करना।
13 वर्ग किमी में ही खर्च हो गए 10 लाख रु.
जिला मलेरिया अधिकारी डॉ. दौलत पटेल ने बताया कि एजेंसी का एंटी लार्वा ड्रोन सर्वे का चार्ज 61 हजार प्रति किमी था। एक माह में एजेंसी ने 13 वर्ग किमी का सर्वे किया। इसमें मूसाखेड़ी, भंवरकुआ, सुदामा नगर, गीता भवन, सपना संगीता, विजय नगर, एमजीएम मेडिकल कॉलेज, राजेंद्र नगर आदि हॉट स्पॉट्स आईडेंटिफाई किए। कंपनी को इसका पेमेंट मिल गया था। फिर बजट नहीं होने से सर्वे बंद कर दिया गया। ऐसे में एक माह का एनालिसिस भी कैसे होता। अगर अवधि ज्यादा होती तो क्या नतीजे रहे इसका आकलन किया जा सकता था।
डेंगू के ताजा हालात
कुल केस | 491 |
पुरुष | 297 |
महिला | 194 |
बच्चे | 58 |
एक्टिव केस | 31 |
एडमिट | 0 |
मौत | 1 |
चिकनगुनिया | 20 |
मलेरिया | 7 |
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