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जीएसटी काउंसिल की 53वीं और 54वीं बैठक में लिए गए निर्णयों का असर स्क्रैप मेटल खरीदने वालों पर भी पड़ा है। नए बदलाव के अनुसार अब अनरजिस्टर्ड डीलर से मेटल स्क्रैप खरीदने पर 30 दिन के भीतर बिल लगाना होगा और उसके 10 दिन में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत ट
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यह बात गुरुवार को माहेश्वरी भवन में कमर्शियल टैक्स प्रैक्टिशनर एसोसिएशन (सीटीपीए) और मप्र टैक्स लॉ बार एसोसिएशन (एमपीटीएलबीए) द्वारा आयोजित कार्यशाला में जीएसटी विशेषज्ञ अमित दवे ने बताई। और भी कई बदलावों पर चर्चा की गई। दवे ने बताया जब भी कोई अनरजिस्टर्ड डीलर मेटल स्क्रैप बेचेगा तो खरीदने वाले व्यापारी को रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म के तहत 18% दर से टैक्स चुकाना होगा और वह भी 40 दिन के अंदर। इसका सबसे बड़ा असर स्टील, एल्युमिनियम, कॉपर आदि के निर्माताओं और रिसाइकल करने वालों पर पड़ेगा।
इससे पहले अनरजिस्टर्ड डीलर से स्क्रैप खरीदने पर टैक्स का रिवर्स चार्ज में भुगतान व्यापारी लंबे समय बाद करते रहे। ऐसी स्थिति को देख सीमित समय में रिवर्स चार्ज मैकेनिज्म का क्लॉज लाया गया है। इस प्रकार चुकाए हुए टैक्स पर इनपुट टैक्स क्रेडिट का लाभ भी लिया जा सकेगा।
स्क्रैप डीलर के लिए मुश्किल हुआ व्यापार इन दोनों बदलाव से स्क्रैप डीलरों के लिए व्यापार करना और मुश्किल हो गया। स्क्रैप व्यापार में कीमतों का निर्धारण बाजार में एकरूप होता है। इसके चलते प्रॉफिट मार्जिन काफी कम होती है। ऐसे में यदि 2% भुगतान का हिस्सा टीडीएस के रूप में कट जाएगा, तो व्यापारियों की वर्किंग कैपिटल पर इसका सीधा असर पड़ेगा। एक दिक्कत यह भी है कि सरकार बड़े कारोबारियों को उनके आईटीसी का 99% हिस्सा ही इस्तेमाल करने की अनुमति देती है। शेष 1% हिस्सा कैश में देना होता है। अब इस 1% के अलावा 2% और कैश में देना होगा, जिससे कैश फ्लो और प्रभावित होगा।
एमनेस्टी स्कीम और अन्य विषयों पर भी हुई चर्चा एमपीटीएलबीए अध्यक्ष अश्विन लखोटिया और सीटीपीए अध्यक्ष देवेंद्र जैन ने बताया सेमिनार में सरकार की लाई गई एमनेस्टी स्कीम पर भी चर्चा हुई। उच्च व्यावसायिक उपयोग के लिए किराए पर ली जाने वाली संपत्ति पर लागू होने वाले टैक्स पर भी चर्चा हुई। संशोधन के तहत अगर कोई संपत्ति व्यावसायिक उपयोग के लिए ली गई है तो किराएदार या भवन स्वामी दोनों में से जो भी जीएसटी में पंजीकृत है, उन्हें रिवर्स या फॉरवर्ड चार्ज मैकेनिज्म के तहत जीएसटी चुकाना होगा यह नियम अक्टूबर से ही प्रभावशील है। संचालन सचिव कमल सोडानी ने किया। सहसचिव हेमंत जोशी ने भी संबोधित किया।
रजिस्टर्ड डीलर से स्क्रैप खरीदने वाले काटेंगे डीलर का टीडीएस : एक और बड़ा बदलाव यह भी है कि अब रजिस्टर्ड व्यापारी से स्क्रैप मेटल खरीदने पर टीडीएस भी काटना होगा, जहां सालाना 2.5 लाख रुपए से ज्यादा का माल बेचा जा रहा। यह टीडीएस खरीदने वाले उद्योगपति को सरकार को जमा करना होगा और इसकी जानकारी जीएसटीआर-7 में सरकार को देना होगी। रजिस्टर्ड व्यापारी इसे अगले साल रिटर्न में क्लेम कर सकेंगे।
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