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व्यापम के जरिये मेडिकल की सीट पर फर्जी निवास पत्र के आधार पर एडमिशन लेने वाले एक आरोपी को एसटीएफ कोर्ट भोपाल ने तीन साल की सजा सुनाई है। पूर्व सीएम दिग्विजय सिंह ने साल 2021 में इस मामले में एसटीएफ से शिकायत की थी, जांच के बाद केस दर्ज किया था। शुक्र
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दिग्विजय ने की थी शिकायत विशेष लोक अभियोजक आकिल खान ने इस मामले के बारे में बताते हुए कहा कि पूर्व मुख्यमंत्री एवं राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने व्यापम घोटाले के संबंध मे फर्जी प्रमाण पत्र के माध्यम से डॉक्टर बनने के संबंध में अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक विशेष कार्य बल भोपाल को वर्ष 2021 में एक लिखित शिकायत की थी। जिसमें उन्होंने संदिग्ध व्यक्तियों की सूची भी संलग्न की थी।
यूपी के छात्र ने बनवाया था फर्जी प्रमाणपत्र दिग्विजय सिंह ने अपनी शिकायत में यह भी उल्लेख किया था कि संदिग्ध छात्र उत्तरप्रदेश के रहने वाले हैं जबकि उन्होंने मध्यप्रदेश का मूल निवासी प्रमाणपत्र बनवाकर परीक्षा दी और उनके सीट आवंटन पत्र में चस्पा फोटो भी अलग है। जिस पर एसटीएफ पुलिस ने अपराध क्रमांक 03/2020 धारा 420, 467, 468, 471 भादवि का अपराध पंजीबद्ध कर जांच की। सौरभ सचान के द्वारा फर्जी मूल निवासी प्रमाण पत्र के माध्यम से मेडिकल कॉलेज में प्रवेश लेना पाया गया। आरोपी सौरभ के मूल निवासी प्रमाण पत्र की जांच में पाया गया कि जारी करने वाले अनु विभागीय अधिकारी त्यौंथर जिला रीवा मध्यप्रदेश ने यह प्रमाणपत्र जारी ही नही किया है, प्रमाण पत्र फर्जी पाया गया। अपराध साबित होने पर न्यायालय में अभियोग पत्र पेश किया गया। जिसमें शासन की ओर से पैरवी विशेष लोक अभियोजक सुधा विजय सिंह भदौरिया और आकिल अहमद खान ने की है।
STF के स्पेशल जज ने सुनाई सजा
एसटीएफ न्यायालय के विशेष न्यायाधीश अतुल सक्सेना ने आरोपी सौरभ सचान को धारा 420, 467, 468, 471 भादवि के मामले मे दोषी मानते हुए प्रत्येक धारा में 03-03 वर्ष के सश्रम कारावास एवं 500-500 रू के अर्थदण्ड का फैसला सुनाया है।
सुधा विजय सिंह भदौरिया, विशेष लोक अभियोजक
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