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किसान ने 12 साल पहले खेत में चंदन के पौधे लगाए तो लोग हंसने लगे। तंज कसते थे कि क्या इस जमीन पर अब चंदन पैदा होगा? कहते थे- यहां चंदन के पेड़ लगेंगे क्या? मेरे पिता भी कहते थे- भरतपुर में चंदन की खेती संभव नहीं है। हालांकि किसान ने लोगों की बातों पर ध
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भरतपुर के किसान लखन लाल ने प्रयोग के तौर पर खेत में सफेद चंदन के पौधे लगाए थे। अब पेड़ तैयार हो चुके हैं और डिमांड आ रही है।
म्हारे देस की खेती में इस बार बात भरतपुर के चंदन किसान की….
भरतपुर के भुसावर के गांव सलेमपुर कलां के किसान लखन लाल के खेत में चंदन के 80 पेड़ लगे हैं। उन्होंने बताया- 2500 रुपए प्रति किलो के हिसाब से चंदन की लकड़ी बेची तो लोगों की जुबान बंद हो गई। किसान तरीके से इस खेती को करे तो लाखों कमा सकता है। हमने तो प्रयोग के तौर पर की थी। यह सफल रही।
ऐसे लगाएं चंदन का पौधा किसान लखन लाल ने बताया चंदन दो तरह का होता है, सफेद और लाल। लाल चंदन यहां नहीं होता। मैंने सफेद चंदन लगाया। एक बीघा में किसान आराम से 300 पौधे लगा सकते हैं। यह इन्वेस्टमेंट के लिए लिहाज से बेहतरीन है।
उन्होंने बताया- किसान गर्मियों में बारिश से पहले खेत में दो से ढाई फीट का गड्ढा खोद लें। मिट्टी में गोबर या केंचुए की खाद मिलाएं। इसके बाद पौधे को दीमक से बचाने के लिए इस मिट्टी में रीजेंट का एक लीटर पानी मिलाकर डाल दें। गड्ढे में जब खाद सड़ जाए तो यह पौधा लगाने के लिए तैयार होता है।
इसके बाद बारिश से पहले चंदन का पौधा लगा दें। इसके पास ही (करीब एक फीट की दूरी पर) एक अरहर का पौधा लगा दें। दो पौधों के बीच दूरी 12 से 15 फीट रखें। अरहर का पौधा 2 साल तक चलता है। पौधा नष्ट होने से पहले दूसरा पौधा लगा दें।
चंदन जंगली पौधा है। इसलिए इसके पास शीशम-बबूल भी लगा सकते हैं। उनकी जड़ों से यह अपने लिए उपयोगी तत्व लेता रहता है। 5 साल तक सामान्य सिंचाई करें। सिंचाई के लिए बारिश का पानी अच्छा है। अधिक सिंचाई न करें। 5 साल बाद पेड़ को अधिक देखभाल की जरूरत नहीं रहती।
किसान लखन लाल के खेत में तैयार चंदन के पेड़।
ऐसे आया चंदन लगाने का आइडिया लखन लाल ने बताया- मेरा छोटा भाई गुजरात में धार्मिक वस्तुओं, किताबों और भगवान की पोशाक की दुकान करता है। 13-14 साल पहले उसकी दुकान पर एक व्यक्ति आया था। उसने सलाह दी। कहा- अगर आप चंदन के पौधे लगा लें, तो बहुत मुनाफा होगा। चंदन की लकड़ी बहुत महंगी बिकती है। इससे मूर्तियां बनती हैं। इसका तेल भी काफी महंगा बिकता है।
छोटा भाई 13 साल पहले गुजरात से चंदन के पौधे ले आया। हमने एक बीघा में चंदन लगाने के लिए गड्ढे तैयार कर लिए। जब लोगों को बताया कि खेत में चंदन के पौधे लगा रहे हैं तो उन्होंने मजाक उड़ाया।
बोले- कैसी बात करते हो, भरतपुर में चंदन के पेड़ कैसे लगेंगे। मेरे पिताजी ने भी यही बात कही। उन्हें विश्वास ही नहीं था कि चंदन के पेड़ हमारे खेत में पनप सकते हैं। हमने ऊपरी मन से पेड़ लगा दिए। खास देखरेख भी नहीं की।
हां, मेहनत बराबर करते रहे। देखते-देखते पेड़ तैयार हो गए। हमें सिंचाई का आइडिया नहीं था। अधिक सिंचाई के कारण करीब 20 पौधे नष्ट भी हो गए।
चंदन का पेड़ बेचने के लिए करवाएं गिरदावरी, तहसीलदार देगा परमिशन
किसान लखन लाल ने बताया- चंदन की लकड़ी आम लकड़ी की तरह नहीं बिकती। किसान इलाके के पटवारी के पास जाएं और चंदन के सभी पेड़ों की ऑनलाइन गिरदावरी करा लें। इसके बाद अगर आप चंदन के पेड़ का सौदा कर रहे हैं तो तहसीलदार के पास से परमिशन लानी होती है।
इस तरह नियमों के अनुसार चंदन का पेड़ बिकता है। फिलहाल सफेद चंदन की लकड़ी की कीमत ढाई हजार रुपए किलो चल रही है। पिछले साल ही तहसीलदार की परमिशन से 5 पेड़ों का सौदा किया और कन्नौज में बेचकर आए। प्रति पेड़ करीब 1 लाख रुपए का बिका। इससे लगभग 5 लाख की आमदनी हुई।
चंदन के लिए व्यापारी खुद किसान से संपर्क करते हैं। किसान अपनी रेट तय कर सकते हैं। गुणवत्ता के अनुसार लकड़ी की रेट तय होती है।
जैसा मिट्टी-पानी वैसा चंदन, अधिक समय भी लग सकता है किसान ने कहा- मैंने 12-13 साल में ही चंदन का सौदा कर दिया। पेड़ को जितना रखेंगे, उतनी ही कीमत बढ़ेगी। लकड़ी भी ज्यादा मिलेगी। जैसी हवा-मिट्टी-पानी होगा, वैसे ही चंदन की ग्रोथ होगी। आप 20 साल तक चंदन को रखेंगे तो लकड़ी ज्यादा मिलेगी। इसकी पत्तियों और टनियों से तेल निकाला जाता है। इस तेल की वर्तमान में कीमत 76 हजार रुपए प्रति लीटर है। मार्केट में सफेद चंदन का तेल 2 लाख रुपए लीटर तक बिकता है।
आम फसलों की तुलना में इसकी देखभाल करना आसान है और मुनाफा कई गुना ज्यादा है। राजस्थान में मिट्टी रेतीली हो, काली हो, चंदन का पेड़ आसानी से लग जाता है। बस यह है कि पानी खारा नहीं होना चाहिए। यानी पानी में फ्लोराइड की मात्रा अधिक होगी तो नहीं लगेगा। इसके लिए मीठा पानी होना जरूरी है।
सुरक्षा के लिए किसान कैमरे लगवाए किसान लखन लाल ने कहा- पेड़ जब तैयार हो जाएंगे तो इनकी सुरक्षा सुनिश्चित करना जरूरी है। एक-एक पेड़ लाखों का होता है। ऐसे में इनकी सुरक्षा के लिए ऑनलाइन गिरदावरी के अलावा सीसीटीवी कैमरे लगाएं। अन्य उपाय भी कर सकते हैं, जैसे तारबंदी।
किसान ने बताया- कुछ लोगों ने मेरे खेत के 15 पेड़ों में आरी चला दी थी। हमें पता नहीं चला। तूफान आया तो पेड़ हवा से गिर गए। ऐसी घटनाओं से बचने के लिए चंदन की सुरक्षा करना जरूरी है।
किसान लखन ने बताया कि का पेड़ कीमती है, ऐसे में सुरक्षा और बीमा कराना बहुत जरूरी है।
हमने अधिकतर पेड़ खेत की मेड़ों पर लगाए हैं। पाइप से सिंचाई कर रहे हैं। खेतों में पारंपरिक फसल भी ले रहे हैं। भरतपुर संभाग में सबसे पहले चंदन के पौधे हमने ही लगाए थे।
किसान लखन लाल परंपरागत खेती भी करते हैं और चंदन के पेड़ भी लगा रहे हैं।
यहां सांप नहीं आते किसान ने कहा- लोगों में यह भ्रम था कि चंदन का पेड़ जहां होता है, वहां सांप आ जाते हैं। सांप पेड़ों से लिपटे रहते हैं। यहां ऐसा कुछ नहीं है। मैंने जब से ये पेड़ लगाए हैं, यहां सांप नहीं देखे। इस इलाके में सांप नहीं है। एकाध आ जाते हैं तो वह सामान्य घटना ही है।
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