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जबलपुर के नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में पदस्थ नर्सिंग ऑफिसर को हाईकोर्ट ने राहत दी है। याचिकाकर्ता के पास बीएएसी नर्सिंग की डिग्री है। वह एमएससी करना चाहती है। इसके लिए जब डीन से अनुमति मांगी तो उन्होंने नियमों का हवाला देकर अनुमति नहीं दी।
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वरिष्ठ अधिकारियों ने भी उसकी कोई मदद नहीं की। आखिरकार उसने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। गुरुवार को नर्सिंग ऑफिसर की याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस संजीव सचदेवा और जस्टिस विनय सराफ की डिवीजन बेंच ने प्रमुख सचिव मेडिकल शिक्षा विभाग भोपाल, एडिशनल डायरेक्टर नर्सिंग भोपाल, संयुक्त संचालक मेडिकल कॉलेज जबलपुर, डीन नेताजी सुभाष चंद्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर, प्रिंसिपल शासकीय नर्सिंग कॉलेज जबलपुर तथा कर्मचारी चयन बोर्ड को नोटिस देते हुए दो सप्ताह में जवाब मांगा है।
यह है पूरा मामला…
जबलपुर के नेताजी सुभाषचंद्र बोस मेडिकल कॉलेज में पदस्थ नर्सिंग ऑफिसर शिल्पा श्रीवास्तव (38) ने डीन को आवेदन दिया था। इसमें उन्होंने एमएससी नर्सिंग की पढ़ाई करने के लिए दो साल की एजुकेशन लीव मांगी थी। अपने आवेदन में शिल्पा ने स्प्ष्ट किया था कि वह इस दौरान सैलरी नहीं लेगी और परीक्षा फीस व अन्य खर्च खुद वहन करेगी।
शिल्पा श्रीवास्तव के आवेदन को डीन ने यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि शासन में परीक्षा के लिए समय देने का प्रावधान सिर्फ एक बार ही है, जो कि तुम्हें दिया जा चुका है। इसके बाद शिल्पा श्रीवास्तव ने 28 सितंबर 2024 को राज्य सरकार और मेडिकल कॉलेज डीन के खिलाफ याचिका दायर की। याचिकाकर्ता की तरफ से अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने तर्क दिया कि जब याचिकाकर्ता विभागीय रूप से बीएससी नर्सिंग करने के बाद स्वयं के व्यय पर एमएससी नर्सिंग करने के लिए तैयार है, तो फिर मेडिकल कॉलेज के डीन अनुमति क्यों नहीं दे रहे हैं।
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