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पीएम जस्टिन ट्रूडो को नवंबर या दिसंबर में विश्वास मत हासिल करना हैजगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन वापस लेने से ट्रूडो सरकार अल्पमत में हैलिबरल पार्टी के कुछ सांसद पहले से ही ट्रूडो पर इस्तीफे का दबाव बना रहे हैं
टोरंटो. खालिस्तानी आतंकवादी हरदीप सिंह निज्जर हत्याकांड की आड़ में कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो भारत पर लगातार अनर्गल आरोप लगा रहे हैं. घरेलू राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के चक्कर में ट्रूडो अंतरराष्ट्रीय मंच पर कनाडा की छवि को नुकसान पहुंचा चुके हैं. अक्टूबर के पहले सप्ताह में ट्रूडो सरकार जाते-जाते बची थी. अब एक बार फिर से जस्टिन ट्रूडो को हाउस ऑफ कॉमन्स (संसद) में विश्वास मत हासिल करना है. इस बार ट्रूडो के लिए बहुमत हासिल करना कतई आसान काम नहीं होने वाला है. जगमीत सिंह ने समर्थन वापस लेकर जस्टिन ट्रूडो की मौजूदा सरकार की हालत पतली कर दी है. घरेलू राजनीतिक पिच पर संभावित हार से बौखलाए जस्टिन ट्रूडो कनाडाई सिख समुदाय का समर्थन हासिल करने के लिए निज्जर हत्याकांड में भारत को घसीटने में जुट गए हैं.
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कम से कम 10 सांसदों ने एक डॉक्यूमेंट साइन कर जस्टिन ट्रूडो से गद्दी छोड़ने की मांग की है. लिबरल पार्टी के सांसद सीन केजी ने स्थानीय मीडिया को दिए इंटरव्यू में कहा कि उनके पास यह मैसेज लगातार और पूरी मजबूती के साथ पहुंच रहे हैं कि जस्टिन ट्रूडो के सत्ता छोड़ने का समय आ गया है. बता दें कि ट्रूडो का संबंध भी लिबरल पार्टी से ही है. पीएम जस्टिन ट्रूडो पर प्रधानमंत्री की कुर्सी छोड़ने का दबाव लगातार बढ़ रहा है. पिछले कुछ महीनों से उनके खिलाफ विरोध के सुर कुछ ज्यादा ही मुखर और मजबूत तरीके से उभरने लगे हैं. दूसरी तरफ, ट्रूडो विदेशी संबंधों को तिलांजलि देने पर तुले हैं. वह निज्जर हत्याकांड मामले में भारत को घीसटकर सिख सांसदों का समर्थन हासिल करने की कोशिश में जुटे हैं.
ट्रूडो सरकार की ताबूत में आखिरी कील
जस्टिन ट्रूडो सरकार की ताबूत में आखिरी कील ठोकी जा चुकी है. दरअसल, ट्रूडो सरकार जगमीत सिंह की न्यू डेमोक्रेटिक पार्टी के समर्थन से सत्ता में बने हुए हैं. अब जगमीत सिंह ने ट्रूडो सरकार से अपना समर्थन वापस ले लिया है. हाउस ऑफ कॉमन्स में कुल 338 सदस्य होते हैं. जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन वापस लेने से अब लिबरल पार्टी के पास महज 154 सदस्यों का सपोर्ट ही बचा है. यह संख्या बहुमत से काफी कम है. ऐसे में पीएम जस्टिन ट्रूडो फिलहाल अल्पमत की सरकार चला रहे हैं. पीएम ट्रूडो के लिए एक तो करेला दूजे नीम चढ़ा वाली कहावत सटीक बैठ रही है. घरेलू मोर्चे पर पूरी तरह से विफल पीएम ट्रूडो अब भारत के खिलाफ जहर उगल रहे हैं. इससे अब अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी कनाडा की स्थिति कमजोर हो रही है.
अग्निपरीक्षा में कैसे सफल होंगे ट्रूडो?
दरअसल, आने वाले कुछ सप्ताह में ट्रूडो सरकार की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं. पीएम ट्रूडो को बजट अपडेट प्रस्ताव पर नवंबर के आखिर में या फिर दिसंबर में कॉन्फिडेंस वोट का सामना करना पड़ सकता है. जगमीत सिंह की पार्टी के समर्थन वापस लेने से लिबरल पार्टी की हालत हाउस ऑफ कॉमन्स में बेहद खस्ता है. पीएम ट्रूडो के सामने बड़ी चुनौती यह है कि पार्टी के आंतरिक विरोध और विपक्षी दलों के आक्रामक रवैये से सरकार को कैसे बचाया जाए. मौजूदा राजनीतिक समीकरण ऐसा ही रहा तो नवंबर या फिर दिसंबर में जस्टिन ट्रूडो का सत्ता से जाना तय है. बता दें कि 2 अक्टूबर को भी जस्टिन ट्रूडो को हाउस ऑफ कॉमन्स में बहुमत साबित करना पड़ा था, तब उनकी सरकार किसी तरह बच गई थी.
Tags: Canada News, International news, Justin Trudeau
FIRST PUBLISHED : October 17, 2024, 19:55 IST
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