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अपने बयानों को लेकर अंजुमन सैयद जादगान के सचिव सरवर चिश्ती चर्चा में रहते हैं।
अजमेर के सरवर चिश्ती ने बहराइच (UP) में हुए उपद्रव, मुंबई में हुई बाबा सिद्दीकी (NCP अजित पवार गुट के नेता और महाराष्ट्र सरकार के पूर्व मंत्री) की हत्या को लेकर सरकार पर सवाल उठाए हैं। उन्होंने कहा है कि मुसलमानों को गालियां बकी जाएंगी। उनके घर (बहरा
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लॉरेंस बिश्नोई जेल से सुपारियां लेता है। नामचीन मुसलमानों को मारता है, कभी सिखों (सिद्धू मूसेवाला) को मारता है। जब तक गवर्नमेंट का हाथ नहीं हो, तो क्या ऐसा हो सकता है?
करीब 4 मिनट के वीडियो में चिश्ती ने महाराष्ट्र (अमरावती) की भाजपा नेता नुपूर शर्मा पर कार्रवाई नहीं करने का भी आरोप लगाया है।
चिश्ती अजमेर की खादिमों (ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में सेवा करने वाले) की संस्था ‘अंजुमन सैयद जादगान’ के सचिव हैं। वह ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती की दरगाह में जियारत कराते हैं।
पहले पढ़िए सरवर चिश्ती ने वीडियो में क्या कहा है-
ये तो इंतेहा हो गई, ये तो किसी भी डेमोक्रेटिक कंट्री में नहीं होता है। जबकि हमारे देश को ‘मदर ऑफ ऑल ड्रेमोक्रेसी कंट्री’ (लोकतंत्र की जननी) कहा जाता है। बहराइच में मुसलमालों के घर के नीचे भीड़ खड़ी है। डीजे बज रहा है, मुसलमानों को अनाप-शनाप कहा जा रहा है।
घर पर चढ़कर हरा झंडा उतारकर धर्म विशेष का झंडा लहराया जा रहा है। तो फिर फूल तो बरसेंगे नहीं, जो हुआ यही होना था। न्यूटन का सिद्धांत है, क्रिया-प्रतिक्रिया का नियम। कुदरत का कानून है। आप घरों में भी घुस जाओगे, डीजे पर गालियां भी बकोगे, धर्म को भी गालियां बकोगे। हमारे लोगों को भी गालियां बकोगे। मुसलमान समुदाय को गालियां बकोगे। फिर ये भी कहोगे कि मुसलमान रिएक्ट ना करे। फिर जब रिएक्ट करते हैं, तो उसके ऊपर जिन्होंने एक्शन किया उसको तो मीडिया दिखाता नहीं है। और मुसलमानों के रिएक्शन को दिखा देता है।
बाराबंकी में अभी क्या हुआ। पुलिस को इस मामले में सैल्यूट करते हैं। पुलिस अगर चाहे तो कुछ नहीं हो सकता, अगर सेक्युलर रोल निभाए। वहां पर भी डीजे बजा, मुसलमानों को मां-बहन की गालियां बकीं। पूरे समुदाय को गालियां बक रहे हैं। हमारे धर्म को गालियां बक रहे हैं। वो तो पुलिस ने सतर्कता दिखाई और 40 को गिरफ्तार किया।
ये तो आए दिन का हो गया। नुपूर शर्मा से लेकर….। हमारे धार्मिक गुरु की शान में गुस्ताखी करते हैं, आज तक पकड़े नहीं जाते हैं। क्या हम किसी देवी-देवताओं के लिए ऐसा कुछ करते हैं। कोई हमारा धार्मिक जुलूस निकलता है तो हम किसी के धार्मिक स्थल पर जा के हमारे हरे रंग के झंडे लगाते हैं? क्या हम डीजे बजाकर उनको गालियां बकते हैं? लेकिन किसी पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही है।
लॉरेंस बिश्नोई जेल से सुपारियां लेता है। नामचीन मुसलमानों को मारता है, कभी सिखों को मारता है। जब तक गवर्नमेंट का हाथ नहीं हो, तो क्या ऐसा हो सकता है? मेरा एक सवाल है- क्या ये हो सकता है, क्या ये मुमकिन है। धर्म के अंदर क्राइम को भी जोड़ दिया। ये तो धार्मिक रैली ना होकर के एक सांप्रदायिक रैली हो गई।
आपने अपने लोगों को धर्म से हटा के क्रिमिनल बना दिया। सांप्रदायिक बना दिया।
इसका नुकसान तो आपको उठाना पड़ेगा।
हम तो कभी ऐसा नहीं करते, हमारे ईद पर नमाज पढ़ी जाती है, जलसा निकलता है। खामोशी से जाते हैं। खामोशी से आ जाते हैं। ये एकतरफा कार्रवाई हो रही है। घरों पर बुलडोजर चलाए जा रहे हैं। इसे ‘इजरायली मैकेनिज्म’ कहेंगे। 1967 में इजरायलियों ने पहले गाजा में घर तोड़े थे। वो ही पॉलिसी एडॉप्ट कर रहे हैं। वही पॉलिसी चला रहे हैं। वो तो एक बहुत छोटी सी जगह है। हिंदुस्तान तो बहुत बड़ा है। एक कम्पोजिट कल्चर है हमारा। डायवरसिटी है। यूनिटी एंड डायवरसिटी है। उसको आप बर्बाद कर रहे हैं।
आरएसएस चीफ मोहन भागवत कहते हैं-
हिंदुओं एक होकर रहो। अरे कहना यह चाहिए था, देशवासियों एक होकर रहो। अगर हिंदू एक होकर रहेंगे तो फिर हम मुसलमान ये बात कहेंगे तमाम अल्पसंख्यक एक होकर रहें। हमें भी फिर हक है ये बोलने का कि तमाम अल्पसंख्यक एक होकर रहें। और मुसलमानों में जिन्होंने हिम्मत को बांटा, जिन्होंने हिम्मत को बेचा, तो मुसलमान उनकी निशानदेही कर चुका है। आज भी हमारे यहां ही देख लें मैं जैसे कभी आवाज उठाता हूं, तो ये बात आती है कि ये मरवा देगा, ये मत बोलो, ऐसा नहीं बोलना चाहिए, अभी वक्त नहीं है,… ये कौम को बुजदिल बनाने वाली बात है। हमारी कौम बुजदिल नहीं है। हम ये नहीं कह रहे कि आप किसी को डराओ, लेकिन डरना भी तो जुर्म है। ना किसी को डराओ, ना किसी से डरो। लिव एंड लेट लिव (जियो और जीने दो)। प्यार-महोब्बत से रहो। लेकिन ये मुश्किल कर दिया है हमारा जीना। अब हम एफआईआर, प्रोटेस्ट (विरोध-प्रदर्शन) भी करके देख चुके। अभी तक नुपूर शर्मा और उसके जैसे बंद नहीं हो रहे। अभी जैसलमेर की तरफ किसी ने हमारे धार्मिक गुरु की शान में गुस्ताखी की है। कब तक हम ये सब चीजें बर्दाश्त करते रहेंगे? गवर्नमेंट से हम यह सवाल करते हैं।
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