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राजधानी दिल्ली की हवा पर पराली के धुएं का साफ असर दिखने लगा है। वायु गुणवत्ता पर तैयार किए गए डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक इस सीजन में पहली बार दिल्ली की हवा में पराली के प्रदूषण की हिस्सेदारी एक फीसदी से ऊपर पहुंच गई है।
राजधानी दिल्ली की हवा पर पराली के धुएं का साफ असर दिखने लगा है। वायु गुणवत्ता पर तैयार किए गए डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक इस सीजन में पहली बार दिल्ली की हवा में पराली के प्रदूषण की हिस्सेदारी एक फीसदी से ऊपर पहुंच गई है।
आंकड़ा 2300 से ऊपर पहुंचा
देश के छह राज्यों में पराली जलाने का आंकड़ा भी 2300 से ऊपर पहुंच गया है। खास बात यह है कि तमाम प्रयासों के बावजूद इनमें से 60 फीसदी मामले सिर्फ पंजाब और हरियाणा के हैं। यूं तो दिल्ली की हवा पिछले चार दिन से खराब या खराब श्रेणी के करीब चल रही है, लेकिन अब प्रदूषण के स्तर में और भी बढ़ोतरी होने का खतरा बढ़ता दिख रहा है। अभी तक दिल्ली की हवा में पराली के धुएं का बहुत कम असर देखा जा रहा था।
पंजाब और हरियाणा के खेतों में पराली जलाने के मामलों में आई तेजी के साथ ही दिल्ली की हवा में भी पराली के प्रदूषण की हिस्सेदारी बढ़ी है। डिसीजन सपोर्ट सिस्टम के मुताबिक, मंगलवार को दिल्ली के प्रदूषण में पराली के धुएं की हिस्सेदारी 1.287 फीसदी रही। यह पहली बार है जब पराली के धुएं की हिस्सेदारी एक फीसदी से ज्यादा पहुंची है। इससे पहले 11 अक्तूबर को पराली के धुएं की हिस्सेदारी 0.633 फीसदी रही थी।
हर दिन बढ़ रहीं घटनाएं
आमतौर पर देश के छह राज्यों में पराली जलाने के मामले सामने आते हैं। इसके चलते क्रीम्स द्वारा 15 सितंबर से पराली जलाने के मामलों पर नजर रखने की शुरुआत की जाती है। क्रीम्स के मुताबिक पंजाब, हरियाणा, उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, राजस्थान और दिल्ली में पिछले पांच दिनों में हर दिन पराली जलाने के 200 से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं। अभी तक 12 अक्तूबर को पराली जलाने के सबसे ज्यादा 398 मामले सामने आए थे।
पंजाब में सबसे ज्यादा 1101 मामले सामने आए
इस साल पराली जलाने का आंकड़ा 2300 के पार पहुंच गया है। क्रीम्स के मुताबिक, 15 सितंबर से 15 अक्तूबर तक के बीच यानी एक माह में पराली जलाने की 2382 मामले दर्ज किए गए हैं। पंजाब में सबसे ज्यादा 1101 मामले सामने आए हैं, जबकि हरियाणा में 554 और उत्तर प्रदेश में 528 मामले दर्ज किए गए हैं।
हैरत में डालने वाले हैं आंकड़े
राजधानी में पराली जलाने को लेकर आमतौर पर जागरुकता है। दिल्ली सरकार की ओर से पराली को खेतों में ही गलाने वाले घोल का मुफ्त में छिड़काव किया जाता है। इस साल भी सरकार की ओर से घोल का छिड़काव समय से ही किया गया। इसके बावजूद दिल्ली में अभी तक पराली जलाने के सात मामले सामने आ चुके हैं। दिल्ली के लिए यह आंकड़े चिंताजनक कहे जा सकते हैं।
खराब श्रेणी में रही दिल्ली की हवा
केन्द्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के मुताबिक, बुधवार को दिल्ली की हवा खराब श्रेणी में रही। दिल्ली का औसत वायु गुणवत्ता सूचकांक 230 के अंक पर रहा। इस स्तर की हवा को खराब श्रेणी में रखा जाता है। एक दिन पहले मंगलवार को यहां का सूचकांक 198 के अंक पर रहा था। यानी 24 घंटे में सूचकांक में 32 अंकों की बढ़ोतरी हुई है। वायु गुणवत्ता पूर्व चेतावनी प्रणाली के मुताबिक, अगले दो दिन के बीच भी दिल्ली की हवा खराब श्रेणी में ही रहने की संभावना है।
आनंद विहार का एक्यूआई 429
प्रदूषण के हॉट स्पाट के तौर पर चिह्नित आनंद विहार की हालत सबसे ज्यादा खराब है। यहां बुधवार शाम पांच बजे वायु गुणवत्ता सूचकांक 429 के अंक पर रहा। यानी यहां की हवा गंभीर श्रेणी में पहुंच गई। जबकि, मुंडका का सूचकांक 322 और नेहरू नगर का सूचकांक 301 के अंक पर रहा। इन दोनों जगहों की हवा बेहद खराब श्रेणी में पहुंचा हुआ है। दिल्ली के लिए यह आंकड़े चिंताजनक कहे जा सकते हैं।
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